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    जीर्णोद्धार न होने से पहचान खो रहा शेख तैयब का मकबरा

    By Edited By:
    Updated: Sun, 17 Apr 2016 07:21 PM (IST)

    सुरेंद्र सैनी, कैथल : शेख तैयब हुसन का मकबरा मुगलकालीन इतिहास समेटे हुए हैं, लेकिन वर्तमान में मक

    सुरेंद्र सैनी, कैथल :

    शेख तैयब हुसन का मकबरा मुगलकालीन इतिहास समेटे हुए हैं, लेकिन वर्तमान में मकबरे के हालात बदतर है। मकबरा खंडहर होता जा रहा है और आसपास गंदगी फैली हुई है। इतिहास के बारे में जानकारी देने वाला बोर्ड जंग खा चुका है। जंग के कारण लिखे अक्षर मिटने के कगार पर हैं। अधिकारियों की लापरवाही व अनदेखी के कारण यह ऐतिहासिक धरोहर अपनी पहचान खोती जा रही है। भले ही हरियाणा पुरातत्व विभाग ने इसे अपने अधीन लिया हो, लेकिन आज जो इस धरोहर की हालात है उसे लेकर लोगों में रोष है।

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    चंदाना-कुतुबपूर रोड पर लाखौरी ईटों से बनी यह ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे अपनी पहचान खोती जा रही है। पुरातत्व विभाग व जिला प्रशासन के अधिकारियों का इस और कोई ध्यान नहीं है। साल में कभी-कभार ही अधिकारी इस मकबरे को देखने के लिए आते हैं। इसके जीर्णोद्धार की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

    आस-पड़ोस में रहने वाले लोगों का कहना है कि मकबरा काफी ऐतिहासिक है। यहां मुस्लिम समाज के लोग आते हैं और मजार पर मन्नतें मांगते हैं। लोगों में इस मकबरे को लेकर काफी मान्यता है, लेकिन धरोहर अनदेखी के कारण खंडहर होती जा रही है। सरकार व पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी इस तरफ से मुंह मोड़े हुए हैं।

    मजार पर लगता था मेला

    इतिहासकारों के अनुसार यह मकबरा लाखौरी ईटों से बना है, जो देखने में काफी सुंदर हैं। मकबरे के अंदर गुंबदनुमा मजार बनी हुई है। ऊपर गोल गुंबद बनी हुई है। । इतिहास के जानकारों का कहना है कि शेख तैयब हुसन नामी संत थे। वे अरबी व फ्रांसीसी भाषा के अच्छे विद्वान थे। एक सामय था जब इस मजार पर सजदा करने वालों की भीड़ लगती थी। यहां मेला भी लगता था। इसमें लोग भारी संख्या में भाग लेते थे लेकिन हालात बदलते ही यहां लोगों ने आना-जाना कम कर दिया। बताया जाता है कि मुगलकाल में लगभग 500 वर्ष पहले इसे बनाया गया था। लेकिन पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण यह मकबरा अब खंडहर में तबदील होता जा रहा है।

    बोर्ड पर बताया गया इतिहास

    मकबरे के बाहर जो बोर्ड लगाया गया है इस पर मकबरे के इतिहास के बारे में जानकारी दी गई है। यह मकबरा प्राचीन, ऐतिहासिक, स्मारक, पुरातत्व और अवशेषधिकार अधिनियिम 1964 के अधीन राज्य महत्व की धरोहर घोषित किया गया है। जो इस स्मारक को नष्ट करता है या जोखिम में डालता है, इसका दुरुपयोग करता है, विकृत करता है। उसे कारावास का दंड भोगना पड़ सकता है। इसके अधीन तीन महीने तक की कैद व पांच हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है।

    बोर्ड पर लगा जंग

    ऐतिहासिक मकबरे के बाहर जो बोर्ड लगाया गया है उस पर मकबरे के बारे में जानकारी लिखी हुई है लेकिन अब इस बोर्ड पर जंग लग रहा है और धीरे-धीरे जानकारी मिट रही है। यहीं नही मकबरे के आसपास कब्रिस्तान पर लोगों द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है। ऐसा भी नहीं की अवैध कब्जों के बारे में शहर के लोगों द्वारा आवाज न उठाई गई हो, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

    इतिहास को बचाने के

    लिए आगे आएं

    अनिल भारती ने कहा की प्राचीन धरोहरों के जीर्णोद्धार को लेकर पहल करने की जरूरत है। कैथल शहर प्राचीन व ऐतिहासिक शहर रहा है। यहां काफी प्राचीन धरोहर है। लेकिन अनदेखी व लापरवाही का शिकार हो रही है। इनमें जीर्णोद्धार को लेकर प्रयास करने चाहिए।

    मकबरे का हो जीर्णोद्धार

    रेल यात्री कल्याण समिति के चेयरमैन सतपाल गुप्ता ने बताया कि यह मकबरा काफी ऐतिहासिक है। वर्षो से वे इस देखते आ रही है। ऐसी प्राचीन धरोहरों को सहेजने के लिए आगे आने की जरूरत है। सरकार व पुरातत्व विभाग को इनके जीर्णोद्धार को लेकर काम करना चाहिए ताकि हमारी युवा पीढ़ी को इतिहास के बारे में जानकारी मिले।

    धरोहर का रख-रखाव जरूरी :

    इतिहासकार प्रवीण कुमार ने बताया कि शेख तैयब हुसन का मकबरा काफी ऐतिहासिक धरोहर है। मुगलकाल से यह धरोहर जुड़ी हुई है। लेकिन अब अनदेखी व लापरवाही के कारण यह धरोहर अपनी पहचान खोती जा रही है। इसे सहेजने की जरूरत है।

    ये हैं हालात

    इस समय मकबरे के हालात बद से बदतर है। मकबरा खंडहर होता जा रहा है। सामने लगा बोर्ड भी जंग खा चुका है। आसपास गंदगी फैली रहती है। धरोहर को लेकर कोई सुरक्षा प्रबंध नही हैं।

    ये हो सकता है सुधार

    मुगलकालीन इतिहास समेटे इस धरोहर का जीर्णोद्धार कर पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है। लोगों में इस मकबरे को लेकर काफी मान्यता है। इसलिए सरकार व पुरातत्व विभाग को इसे सहेजने की जरूरत है।