धैर्यवान होना मनुष्य में सबसे अच्छी विशेषता
कैथल : धैर्य रखना कोई सरल कार्य नहीं है। यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि आज की दुनिया में धैर्यवान बनन
कैथल : धैर्य रखना कोई सरल कार्य नहीं है। यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि आज की दुनिया में धैर्यवान बनना सबसे कठिन काम है। धैर्यवान होना एक अच्छी विशेषता है, जिसे हमे अवश्य ही विकसित करना चाहिए। जो लोग धैर्यवान होते हैं उन्हें विभिन्न मार्गो से इसका फल प्राप्त होता है।
हर व्यक्ति की अपनी दिनचर्या के अनुसार ही अपने लक्ष्य होते है, जो उसके प्रयास के कारण ही बनते हैं। केवल इस अंतर के साथ उद्देश्यों का महत्व एक जैसा नहीं होता। मेहनत से गन्तव्य तक पहुंचना सरल काम नहीं होता। इस बात की संभावना ज्यादा होती है कि लंबे मार्ग में समस्याओं के कारण मनुष्य की रफ्तार कम या फिर पूरी तरह से रूक जाए।
यदि व्यक्ति के पास पर्याप्त अनुभव न हो तो संभव है कि वह आरंभिक रूकावटों का सामना होने पर हताश हो जाए। यदि वह उद्देश्य तक पहुंचने वाले तत्वों को पहचानता हो तो इस बात में संदेह नहीं रहता कि उसकी सफलता की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। धैर्य रखने का अर्थ शांति के साथ कदम उठाना और परिणाम का इंतजार करना है। उतावला होने का अर्थ है कि तुरंत परिणाम तक पहुंचने की कोशिश करना। शब्दकोष में धैर्य का अर्थ है स्वयं को रोकना।
जब कोई व्यक्ति खुद को किसी काम को करने से रोक ले, जिसे वह कर सकता है, तो ऐसे व्यक्ति को हम धैर्यवान कह सकते हैं। इसलिए धैर्य की आम परिभाषा यह होगी कि खुद को ऐसे काम से रोकना जो लक्ष्य तक पहुंचने में रूकावट या उस तक देर से पहुंचने का कारण बने। इस परिभाषा के अंतर्गत धैर्य अपने आप में कोई नैतिक गुण नहीं कहलाएगा, बल्कि यह एक प्रकार का प्रतिरोध है, जो मन पर काबू होने से प्राप्त होता है।
यह प्रतिरोध ऐसी स्थिति में विशेषता कहलाएगी कि धैर्यवान व्यक्ति का उद्देश्य लक्ष्य तक पहुंचना और ईश्वर द्वारा दी गई नियामतों से तालमेल बनाना हो। कमजोर संकल्प व मनोबल के व्यक्ति बहुत जल्द मुसीबतों से घबरा जाते है और समस्याओं के सामने समर्पण कर देते हैं। बड़े बडे़ विद्वानों और धर्मगुरुओं के जीवन में जो विशेषता सबसे अधिक झलकती है, वह उनका धैर्य था।
इसी धैर्य के द्वारा वे बड़े बड़े आविष्कार, खोज, बदलाव करने में सफल हुए। धैर्य का अर्थ हर समस्या व दुख के मुकाबले में दृढता दिखाना है। धैर्य का अर्थ अपमान को सहन करना और हार का कारण बनने वाले तत्वों के सामने नतमस्तक होना नहीं है। कुछ लोग धैर्य का अर्थ अलग ही निकालते हैं। जैसे कि पहला गुट समस्या के सामने आने पर स्वयं को असहाय पाते हैं और रोने धोने लगते हैं, उससे बाहर आने का प्रयास नहीं करते। दूसरा गुट वह है कि जो समस्या का डट कर सामना करते है। तीसरा गुट वह होता है जो कि समस्या का सामना करता है और उसका हल करता और परमेश्वर का आभार व्यक्त करता है। चौथा गुट वह है कि जो ऐसे लोगों का होता है कि जो कठिनाईयों निपटने के लिए स्वयं खड़े हो जाते हैं और उसके नकारात्मक प्रभाव को निष्क्रिय बनाने की योजना बनाते है।
एक बार पूना में महामारी फैली हुई थी, कोई भी घर ऐसा नहीं बचा था, जहां महामारी से कोई मरा ना हो। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। लोक मान्य तिलक का बड़ा लड़का बीमार हुआ और कुछ ही दिनों की बीमारी के बाद चल बसा। लोग मातमपुर्सी के लिए आए, पर लोक मान्य तिलक निश्चिंत होकर लोगों से बातें करते रहे। लोगों को आश्चर्य हुआ कि बड़ा लड़का गुजर गया और तिलक को कोई दुख नहीं हुआ। जब एक महाशय से नहीं रहा गया तो उन्होंने कहा कि इतना बड़ा हादसा हो गया, बड़ा लड़का चला गया ओर आप इतने धीरज से बातें कर रहे हैं। लोकमान्य तिलक सहजभाव से बोल अरे भाई इसमे धीरज की क्या बात है? जब होली आती है और होली को जलाने के लिए प्रत्येक घर से लकड़ी मांगकर होलिका पर डालते हैं न। अपने पूना में महामारी की होली ही तो आई है। जब सबके घर से एक लकड़ी दी गई है तो मेरा घर क्यों खाली रहता। यहां से भी एक लकड़ी जानी चाहिए थी। इसमें दुख की क्या बात है।
इस प्रकार जीवन की कठिन से कठिन परिस्थिति में भी संतुलन बनाए रखना और अपने मार्ग से विचलित नहीं होना ही धैर्य की पहचान है। यदि हम किसी कारण वश धैर्य खो देते हैं तो परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं होता मगर हमारा विवेक और जीवन जरूर प्रभावित होता है।
-डा. रेणु पांचाल, पि्रंसिपल, युवराज पब्लिक स्कूल, बात्ता, कैथल
- धैर्य से सुननी चाहिए बात
हमे अपने जीवन में आने वाली प्रत्येक परिस्थितियों का सामना धैर्य के साथ करना चाहिए। हमेशा दूसरे व्यक्ति की बात धैर्य से सुननी चाहिए। अकसर कैसी भी बात सुनते समय हम ताव में आ जाते है और यदि हमारे मुख से गुस्से में कोई गलत बात निकल जाए तो पूरी बात बिगड़ जाती है। लेकिन यदि हम धैर्य से पूरी बात सुने और अपने विवेक के अनुसार से वार्तालाप का जबाव दे तो बात नहीं बिगड़ती। हमें धैर्य से काम लेना चाहिए क्योंकि धैर्य रखकर मेहनत करने से ही सभी कार्य बनते है। कई लोग ऐसी उतावली मचाते है कि कार्य जल्दी से हो जाए। लेकिन अकसर ऐसे लोगों के कार्य बिगड़ जाते है। अकसर हम कुछ लोगों के प्रति जल्दबाजी में राय बना लेते है और कहते यह व्यक्ति ठीक नहीं है। लेकिन जब हम धैर्य रखकर व्यवहार करते है तो हमे बाद में अहसास होता है कि यह तो बहुत ही नेक और मेहनती व्यक्ति है और हमारी साथ बेहतर व्यवहार कर रहा है। इसलिए हमें हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए।
-युवराज संधू, छात्र, युवराज पब्लिक स्कूल, बात्ता, कैथल।
-सफलता के लिए धैर्य जरूरी
धैर्य से काम लेने वाला व्यक्ति अपने जीवन में सफल होता है और जो व्यक्ति अपने विवेक को पीछे छोड़ देता वह असफल होता है। जैसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए अनुभव की आवश्कता होती है, उसकी जीवन में सफल होने के लिए धैर्य की आवश्कता होती है। यदि हमें मेहनत ना करें ओर सफलता की कामना करें तो किसी भी कीमत पर संभव नहीं है और यदि दिनभर खूब मेहनत करें और उसके परिणाम सुबह होते ही चाहें तो ऐसा भी संभव नहीं है। सफलता के लिए मेहनत के साथ साथ धैर्य का होना आवश्यक है। दोनों में किसी का भी छूटना हमें अपनी सफलता से दूर कर सकता है।
-दीपिका, छात्रा, युवराज पब्लिक स्कूल, बात्ता, कैथल।
--धैर्य जिंदगी के लिए अहम
धैर्य जिंदगी का अहम जरिया है जिसके साथ किसी क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है। गांधी का धैर्य देश के लिए आजादी लाया और नरेंद्र मोदी को उसके धैर्य ने प्रधान मंत्री बनाया। उन के धैर्य की गूंज विश्व में सदा गूंजती रहेगी।
-गूंज बिरला, छात्रा, इंडस पब्लिक स्कूल, कैथल।
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