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    वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की टीम पहुंची सफीदों

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 20 Nov 2019 09:00 AM (IST)

    जैव विविधता के प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की टीम बीडीपीओ कार्यालय पहुंची और प्रशासन के सहयोग से कार्यशाल ...और पढ़ें

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    वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की टीम पहुंची सफीदों

    संवाद सूत्र, सफीदों : जैव विविधता के प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की टीम बीडीपीओ कार्यालय पहुंची और प्रशासन के सहयोग से कार्यशाला आयोजित करके किसानों, सरपंचों व मौजिज लोगों को जैव विविधता के बारे में जागरूक किया। इस टीम की अगुवाई पूर्व आईपीएस अधिकारी डा. एके गुप्ता कर रहे थे। इस मौके पर एसडीएम मनदीप कुमार ने विशेष रूप से शिरकत की तथा कार्यशाला की अध्यक्षता बीडीपीओ कीर्ति सिरोहीवाल ने की। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की टीम का नेतृत्व कर रहे डा. एके गुप्ता ने कहा कि सफीदों ऐतिहासिक महाभारतकालीन भूमि है और यहां का नाम महाराजा परीक्षित व महाराजा जन्मेजय से जुड़ा हुआ है। पौराणिक रूप से यह शहर व क्षेत्र जैव विविधता से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में क्या-क्या वस्तुएं, जीव-जंतु, मिट्टी व पेड़-पौधे हुआ करते थे या अब हैं इस सबकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज की जाएगी ताकि आने वाली पीढि़यों को इस सब की जानकारी प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कीटनाशक दवाइयों व खादों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है जोकि मानव स्वास्थ्य व वातावरण के लिए अत्यंत खतरनाक है और इन दवाइयों का जीव-जंतुओं पर भी गहरा बुरा असर पड़ रहा है। एसडीएम मनदीप कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2002 में जैव विविधता अधिनियम पारित किया था और उसमें निर्देश जारी किए गए थे कि जैव विविधता के स्रोतों को बचाना है। इसको लेकर केंद्र स्तर पर नेशनल बायोडायवर्सिटी अथॉरिटी (एनबीए) तथा प्रदेश स्तर पर स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड (एसबीबी) का गठन किया गया था लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया और ना ही इसके लिए कोई कमेटियां बनाई गई।

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