विद्यार्थी शोध के माध्यम से ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करें : अहलावत
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 75वें आजादी के अमृत महोत्सव पर हिद की चादर गुरु तेगबहादुर पर कार्यक्रम का आयोजन किया।

जागरण संवाददाता, जींद : राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 75वें आजादी के अमृत महोत्सव पर हिद की चादर गुरु तेगबहादुर पर कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें मुख्य रूप से कालेज के प्रोफेसर भीम सिंह, प्रोफेसर रामकुमार. प्रोफेसर सुनील कुमार मौजूद रहे।
भारतीय इतिहास संकलन समिति के जिला अध्यक्ष जितेंद्र अहलावत ने मानवता भलाई व धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर के बलिदान व जीवन पर विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भलाई व त्याग का यह मार्ग जिला जींद की धरा से होकर गुजरता है। जिला जींद के धमतान साहिब, खरकभूरा, खटकड़, जींद से होकर लाखन माजरा की और गुरु तेगबहादुर ने प्रस्थान किया था।
उन्होंने बताया की जींद में भूतेश्वर तीर्थ के पास दसनामी अखाड़े में साधुओं की रिहायश थी। सन 1675 में गुरु तेगबहादुर जी दशनामी अखाड़े में कुछ समय के लिए रुके। इस दौरान उन्होंने दशनामी अखाड़े के साधुओं से मानवता भलाई व त्याग की चर्चा की। सन 1764 में रियासत जींद के प्रथम राजा गजपत सिंह ने इस स्थान पर लाखौरी ईंटों से गुरुद्वारे का निर्माण करवाया। सन् 1858 में राजा रघबीर सिंह ने इस गुरुद्वारे के नाम जमीन दान स्वरूप दी थी। उन्होंने कहा कि आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के दौरान इतिहास के पन्नों से ओझाल शहीद नायकों, स्थानों व घटनाओं को आम जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा की इतिहास की समीक्षा सही प्रकार हो, इसके लिए विद्यार्थी इतिहास के शोध कार्यों में भागेदारी करें तथा उनके माध्यम से घटनाओं को उजागर करें।

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