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    मुझको कुछ दोस्त मेरे दगा दे गए, दुश्मनों से मैं खुद को बचाती रही

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 08 Oct 2018 12:53 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, जींद राजकीय महिला कॉलेज के सभागार में एक शाम अटल के नाम मुशायरा में

    मुझको कुछ दोस्त मेरे दगा दे गए, दुश्मनों से मैं खुद को बचाती रही

    जागरण संवाददाता, जींद

    राजकीय महिला कॉलेज के सभागार में एक शाम अटल के नाम मुशायरा में शायरों, गजल गायकों व कवियों ने समां बांध दिया। वरिष्ठ कवि राशिद अली ने अपनी गजलों व शायरी से लोगों का दिल जीत लिया। अच्छी बात यह रही कि उर्दू अदब और शायरी व गजलों के दीवाने आखिर तक कार्यक्रम में डटे रहे और हर गजल व शेर पर तालियों से हौसला बढ़ाया।

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    महिला शायर दानिश गजल मेरठी की गजल मुझको कुछ दोस्त मेरे दगा दे गए, दुश्मनों से मैं खुद को बचाती रही, लोगों के दिलों को छू गई। शायर डॉ. समर याब समर ने अपनी गजल.. मुझे तो काशी व मथुरा से अकीदत है, मैं जर्रे-जर्रे का यों एहतराम करता हूं से खूब तालियां बटोरी। उन्होंने इस गजल का सार समझाते हुए कहा कि जर्रे-जर्रे में ईश्वर का वास है, मैं किस से नफरत करूं। नजम खतौली की गजल सारे जहां से दूर अंधेरा हो जुल्म का, उल्फत का वो चिराग जलाते रहेंगे हम.. ने ¨हदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के भाई चारे की मिसाल को पेश किया। केशव देव जाबीर की नजम मरने से भी डरना कैसा भी श्रोताओं को खूब पसंद आई। विजेंद्र गाफिल की गजल.. जब मैंने किया जंग का ऐलान अलग से, तब जाके बनी है मेरी पहचान अलग से को भी खूब सराहा गया। विजेंद्र परवाज, महिला शायर फलक सुल्तानपुरी, अशोक पंकज और असरफ मेवाती की गजल को भी खूब पसंद किया गया। सबसे आखिर में बुजुर्ग शायर राशिद अली ने सबका दिल जीत लिया। उनके शेर.. इश्क में यूं ही किया खुद को तमाशा मैंने, तेरे फेंके हुए पत्थर को भी चूम लिया। पहले डाली तेरे चेहरे पे बहुत देर नजर, ईद का चांद तो फिर बाद में देखा है। इसी तरह मैंने जिस रोज तेरे हंसने की तारीफें की थी, इतने फूलों ने तेरे घर का पता पूछा है।

    --मुनवर राणा और पापुलर मेरठी नहीं आए

    मुशायरे में मशहूर शायर मुनवर राणा और पापुलर मेरठी को भी आमंत्रित किया गया था। आयोजकों ने भी कहा कि ये दोनों वरिष्ठ शायर आएंगे। इन दोनों को सुनने के लिए आए लोगों को भी काफी निराशा हुई। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों के आने की भी बात कही गई थी, लेकिन वे भी नहीं आए। आयोजकों ने 1100 लोगों का खाना बनवाया था, लेकिन मात्र 300 लोग ही पहुंच सके। उर्दू अकादमी के निदेशक डॉ. नरेन्द्र कुमार उपमन्यु ने सभी शायरों को सम्मानित किया। इस मौके पर पूर्व मंत्री सुरेन्द्र बरवाला, मनुराज प्रकाशन से जुड़े प्रशासक प्रो. राममेहर, महिला कॉलेज की प्राचार्या राजेश्वरी कौशिक, प्रो. मंजू रेढू, वजीर ¨सह, रामफल खटकड़, नरेंद्र अत्री, पवन आर्य, वेद प्रकाश पांचाल,मास्टर ओमप्रकाश चौहान, दीपिका लाठर, सिवनीत, मंजू मानव, शकुंतला, काजल, सुशीला समेत अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।