जींद में सिमटी पूरे हरियाणा की राजनीति, उपचुनाव में पल पल बदल रहे समीकरण
हरियाणा की पूरी राजनीति जैसे जींद में सिमट गई है। सभी दलाें के दिग्गजों की सक्रियता से उपचुनाव मेें हर पल चुनावी समीकरण बदलते दिख रहे हैं।
जींद, [अनुराग अग्रवाल]। आजकल जींद हरियाणा की राजनीति का केंद्र बिंदु बना हुआ है। चंडीगढ़ से लेकर कैथल और गुरुग्राम से लेकर भिवानी, तमाम नेता यहां पहुंच चुके हैं। होटलों में रहने के लिए कमरे नहीं हैं...रिश्तेदारियां भी फुल हो गई हैं। शहर में कहीं रुकने की जगह नहीं...गाडिय़ां, झंडे और बैनरों से पूरा शहर अटा पड़ा है। अमरहेड़ी, डालमवाला, कंडेला, मनोहरपुर और ईक्कस ऐसे बड़े गांव हैं जहां पर जींद की राजनीति हर रोज नई दिशा ले रही है। प्रदेश की सियासत का केंद्र बने इस जींद में सब कुछ बड़ी तेजी के साथ चल रहा है, लेकिन मतदाता की होशियारी देखिये, बिल्कुल चुप है। कंडेला में कुछ जगहों पर तो आलम यह है कि जिस पार्टी का नेता आए, उसके झंडे लगा दिए जाते हैं। उम्मीदवार भी खुश, नेता भी खुश और मतदाता भी खुश। मतदाताओं की यह चुप्पी सभी दलाें का ऊहापोह में डाल रही है।
जींद के रण में जहां जिस पार्टी के नेता पहुंच रहे वहां उसी के झंडे, वोटर की चुप्पी से प्रत्याशी ऊहापोह में
एक लाख 70 हजार मतदाताओं वाले जींद में जिस उम्मीदवार को 50 हजार के आसपास वोट मिल गए तो समझो अगला सियासी मैदान उसी का है। यहां के चुनावी रण में मतदाताओं ने इस कदर पेंच फंसा दिया कि हर उम्मीदवार को जीत का सपना दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस ने रणदीप सुरजेवाला, जेजेपी ने दिग्विजय चौटाला और इनेलो ने उमेद सिंह रेढ़ू को मैदान में उतारकर जो जाट कार्ड खेला है, वह अब इन्हीं दलों पर भारी पड़ रहा। जाट वोट बैंक के बंटने का असर या लाभ भाजपा को मिलने की उम्मीद है, लेकिन बड़े गांवों के जाट नेताओं में आजकल कोई एक निर्णय लेने की चर्चाएं आम हैं।
हर उम्मीदवार को दिखा रहे चुनावी समर में जीत का सपना, पर्दे के पीछे चल रहा कुछ ओर
भाजपा ने गैर जाट कृष्ण मिड्ढा पर दांव खेला है, लेकिन उनकी राह भी जाट उम्मीदवारों की तरह ही कांटों से भरी है। भाजपा की राह में सबसे बड़ा रोड़ा उनकी पार्टी के बागी सांसद राजकुमार सैनी बने हुए हैं। लोकतंत्र रक्षा पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर भाजपा सांसद ने विनोद आशरी को चुनाव मैदान में उतारा है। आशरी ब्राह्मणों और सैनियों के अलावा पिछड़ों के वोट पर अपना हक जता रहे हैं। यह वोट बैंक भाजपा का माना जाता है। सांसद यदि अपना उम्मीदवार नहीं उतारते तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलता, मगर अब पार्टी के सामने दोहरी मुश्किल आन खड़ी हुई है।
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एक चुनावी सभा में प्रदेश भाजपा प्रधान सुभाष बराला।
सुरजेवाला को वोटों की गोलबंदी की उम्मीद, भाजपा सैनी को मनाएगी
भाजपा के रणनीतिकार हालांकि धीरे-धीरे चुनाव की दिशा बदलने के लिए काम कर रहे हैं। इस कड़ी में जहां भाजपा खाप नेता टेकराम कंडेला को मनाने में कामयाब हो गई, वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल के जीेंद में 30 चाय कार्यक्रमों से कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिली है। भाजपा खेमे की ओर से राजकुमार सैनी को भी मनाने के प्रयास शुरू हो गए हैंं। कांगे्रस के कद्दावर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के हक में हुड्डा, दीपेंद्र, किरण, तंवर और कुलदीप के बाद अब कुमारी सैलजा ने भी मोर्चा संभाल लिया है। सुरजेवाला को जाट वोटों की गोलबंदी और वैश्यों का समर्थन मिलने की उम्मीद है।
एक चुनावी सभा को संबोधित करते दुष्यंत चौटाला।
जेजेपी का माइक्रो बूथ मैनेजमेंट, रेढ़ू के लिए चौटाला मारेंगे गेड़ा
जननायक जनता पार्टी के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह चौटाला का माइक्रो बूथ मैनेजमेंट गजब का है। जेजेपी के रणनीतिकारों की छोटे से छोटे बूथ पर निगाह है। अब उन इलाकों में काम किया जा रहा जहां वोटों में सेंधमारी की जरूरत है। यूथ जेजेपी के साथ लगे नजर आ रहे हैं। इनेलो के उमेद सिंह रेढ़ू कंडेला खाप से हैं। अभय सिंह चौटाला और उनके बेटे कर्ण सिंह चौटाला ने रेढ़ू के लिए मोर्चा संभाल रखा है। अगले दो-चार दिन में इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के भी यहां गेड़ा मारने (आने) की संभावना है।
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भाजपा को जाट नेताओं से करिश्मे की उम्मीद
भाजपा के रणनीतिकार मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ-साथ जाट नेताओं चौ. बीरेंद्र सिंह, कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला और ओमप्रकाश धनखड़ से करिश्मे की उम्मीद में हैं। कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला को पूर्व केंद्रीय मंत्री और आजाद विधायक जयप्रकाश जेपी का साथ फायदेमंद साबित हो सकता है। माहौल को देखकर लग रहा कि जींद का चुनाव 27 जनवरी की रात को कहीं भी पलटा मार सकता है।