न्यू इस्माइलाबाद से नारनौल तक बनेगा 230 किलोमीटर लंबा फोरलेन हाइवे
न्यू इस्माइलाबाद से नारनौल तक बनेगा 230 किलोमीटर लंबा नॉर्थ-साउथ कॉरीडोर सबहेड: आठ जि
न्यू इस्माइलाबाद से नारनौल तक बनेगा 230 किलोमीटर लंबा नॉर्थ-साउथ कॉरीडोर
सबहेड: आठ जिले होंगे कवर, हरियाणा के भविष्य की लाइफलाइन माना जा रहा यह हाइवे
--भूमि अधिग्रहण पर एनएच एक्ट के तहत मार्केट से दो से चार गुणा मिलेगा मुआवजा कर्मपाल गिल, जींद
हरियाणा के लिए बड़ी खबर है। प्रदेश में पहली बार सबसे बड़ा 230 किलोमीटर लंबा फोरलेन नेशनल हाइवे बनेगा। कुरुक्षेत्र जिले से शुरू होकर नारनौल बाईपास पर खत्म होने वाला यह हाइवे आठ जिलों को कवर करेगा। इसके लिए सभी जिलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इस फोरलेन हाइवे को केंद्र सरकार की अति महत्वपूर्ण भारतमाला परियोजना के अंतर्गत ट्रांस हरियाणा ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट में शामिल किया है। इसे नॉर्थ-साउथ कोरिडोर कहा जा रहा है, जो कुरुक्षेत्र जिले के न्यू इस्माइलाबाद के गंगहेड़ी गांव से शुरू होगा। यह हाइवे आठ जिलों कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, जींद, रोहतक, भिवानी, चरखीदादरी और महेंद्रगढ़ से होकर गुजरेगा। गंगहेड़ी से पिहोवा बाईपास द्वारा यह एनएच-1 से जुड़ेगा और नौरनाल बाईपास पर एनएच 48बी से जुड़ेगा। नेशनल हाइवे अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) ने हरियाणा के भविष्य की लाइफलाइन कहे जा रहे इस हाइवे के लिए सर्वे और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण होगा, उन्हें एनएच एक्ट के तहत मुआवजा दिया जाएगा। इस एक्ट के तहत बाजार रेट से 2 से 4 गुणा ज्यादा मुआवजा का प्रावधान लागू होगा। भूमि अधिग्रहण के लिए एनएच एक्ट 1956 के तहत धारा 3ए के तहत राजपत्र प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। --आठ लेन तक हो सकेगा विस्तार
लगभग 230 किलोमीटर लंबे फोरलेन हाइवे का आठ लेन तक विस्तार किया जाएगा। इसलिए शुरू में ही ज्यादा भूमि का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया और सर्वे शुरू होगा किया गया है। एनएचएआई ने इस हाइवे को 152डी नाम दिया है। ------वर्जन--------
--न्यू इस्माइलाबाद के गंगहेड़ी से नारनौल बाईपास तक बनने वाले फोरलेन हाइवे के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रदेश के बीचों-बीच से निकलने वाले इस हाइवे से विकास को गति मिलेगी। चंडीगढ़ से नारनौल की दूरी बहुत कम हो जाएगी। 230 किलोमीटर में कहीं भी गाड़ी को ब्रेक लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
केएम शर्मा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई