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    'अब खेतों में कभी नहीं डालूंगा कीटनाशक...', हरियाणा में जवान बेटे की कैंसर से हुई मौत, तो किसान पिता ने खाई कसम

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 09:40 PM (IST)

    जींद के जयभगवान ने बेटे की कैंसर से मौत के बाद जहरमुक्त खेती शुरू की। 16 वर्षों से प्राकृतिक खेती कर लागत घटाई और आमदनी बढ़ाई। बेटे की मौत के बाद, उन् ...और पढ़ें

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    जवान बेटे की कैंसर से मौत के बाद जयभगवान ने ठानी, नहीं डालूंगा खेतों में कीटनाशक।

    बिजेंद्र मलिक, जींद। एक पिता ने अपने बेटे को खोया, लेकिन उसी दर्द से जन्मी एक कसम आज सैकड़ों किसानों के लिए मिसाल बन गई। जींद जिले के निडानी गांव के किसान जयभगवान ने बेटे की कैंसर से मौत के बाद जहरमुक्त खेती का रास्ता चुना और बीते 16 वर्षों से प्राकृतिक खेती कर न सिर्फ अपनी लागत घटाई, बल्कि आमदनी भी बढ़ाई।

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    साल 2009 में उनके इकलौते जवान बेटे पुनीत की कैंसर से मौत हो गई। पुनीत नेटबाल का राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी था। उसे महसूस हुआ कि खेत में जो वह कीटनाशक डालता है, वह अनाज और हरे चारे के माध्यम से उनके ही शरीर में पहुंच रहा है। तभी से उसने प्रण लिया कि वह कभी अपने खेत में कीटनाशक नहीं डालेगा। उस दौरान कृषि विकास अधिकारी डॉ. सुरेंद्र दलाल के संपर्क में आकर जहरमुक्त खेती शुरू की।

    जयभगवान आठ एकड़ की खेती करते हैं, जिसमें से डेढ़ एकड़ में सब्जी और बाकी साढ़े छह एकड़ में गेहूं, धान, कपास व अन्य फसल उगाता है। घर में तीन गायें रखी हुई हैं। जिनके मल-मूत्र से खाद तैयार कर खेत में डालता है। प्राकृतिक खेती करने से उसकी लागत प्रति एकड़ करीब पांच हजार रुपये तक घट गई। वहीं, फसलों के उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा। जहरमुक्त गेहूं घर से ही मार्केट से ज्यादा रेट पर बिक जाता है।

    सालाना ढाई लाख रुपये से ज्यादा की बचत

    जयभगवान मेथी, बथूआ, पालक, धनिया, हल्दी, टमाटर सहित अन्य सब्जियां अपने खेत में उगाता है। शाम को गांव में फेरी लगाकर सब्जी बेचता है। जिससे भाव भी अच्छा मिल जाता है। सालभर में तीन बार सब्जी उगाता है। जिससे डेढ़ एकड़ में सालाना ढाई लाख रुपये से ज्यादा की बचत होती है। प्राकृतिक खेती में सराहनीय कार्य के लिए जयभगवान को किसान दिवस पर मंगलवार को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सम्मानित किया जाएगा।

    डेढ़ गुणा खेत में डालता था कीटनाशक

    जयभगवान ने बताया कि उसका रिश्तेदार कीटनाशक निर्माता कंपनी में काम करता था, जिसके कारण उसे कीटनाशक दवाइयां सस्ती मिलती थी। इसलिए वह जरूरत से डेढ़ गुणा कीटनाशक खेत में डालता था। साल 2009 में बेटे पुनीत को आंत में संक्रमण हो गया। चिकित्सकों ने कैंसर घोषित कर दी और कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई।

    बेटे की मौत पर घर शोक जताने पहुंचे कृषि विकास अधिकारी डा. सुरेंद्र दलाल ने उसे समझाया कि खेत में जो अंधाधुंध कीटनाशक डाल रहे हो, वह अनाज और भैसों के दूध के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंच रहा है। उसी की वजह से बेटे को कैंसर हुई।