20 साल पहले पिता का हो गया था निधन, मां ने खेतों में मजदूरी कर बेटे हरदीप गिल को बनाया लेफ्टिनेंट
उचाना के अलीपुरा गांव के हरदीप गिल भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने। 20 वर्ष पहले पिता के निधन के बाद, उनकी मां संतरो देवी ने हार नहीं मानी और परिवार का ...और पढ़ें

लेफ्टिनेंट बन हरदीप गिल ने मां के सपने को किया पूरा।
संवाद सूत्र, उचाना। कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। यह साबित किया है, उचाना के गांव अलीपुरा के भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हरदीप गिल ने। 20 वर्ष पहले हरदीप के पिता का निधन हो गया था। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
ऐसे समय में हरदीप की मां संतरो देवी ने हार नहीं मानी। तीन बेटियां और दो वर्ष का बेटा हरदीप था। सीमित संसाधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद परिवार का अच्छे से पालन-पोषण किया। उन्होंने सरकारी स्कूल में मिड डे मील वर्कर के रूप में काम करना शुरू किया।
इतना ही नहीं, स्कूल की छुट्टी के बाद वे खेतों में मजदूरी कर अपने बच्चों के भविष्य को संवारने में जुटी रहीं। मुश्किल हालातों में जीवन यापन करते हुए संतरो देवी ने बच्चों को मेहनत, ईमानदारी और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया। उनके संस्कारों का परिणाम है कि आज उनका बेटा हरदीप गिल भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर देश सेवा के लिए तैयार है।
हरदीप गिल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इग्नू से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने भी अपनी मां का हाथ बंटाया और खेतों में मेहनत मजदूरी की।
कठिन परिश्रम और अनुशासन को जीवन का हिस्सा बनाते हुए हरदीप ने भारतीय सेना में जाने का सपना संजोया और आखिरकार भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से कमीशन प्राप्त कर उसे साकार कर दिखाया। लेफ्टिनेंट हरदीप गिल की सफलता केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव और क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।

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