स्वर्ग जाने की चाह में चौपट राजा खुद चढ़ा फांसी पर
सफीदों की आल इंडिया ग्लोबल सोसाइटी के तत्वावधान में मंगलवार शाम दीवान बाल कृष्ण रंगशाला में भारतेंदु हरिश्चंद्र के लिखे नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा, टका ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, जींद : सफीदों की आल इंडिया ग्लोबल सोसाइटी के तत्वावधान में मंगलवार शाम दीवान बाल कृष्ण रंगशाला में भारतेंदु हरिश्चंद्र का लिखित नाटक 'अंधेर नगरी चैपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा' का मंचन किया गया। नाटक का शुभारंभ मार्के¨टग बोर्ड एक्सईएन नवीन दहिया ने किया। नाटक का निर्देशन रंगकर्मी रमेश कुमार ने किया।
नाटक में दिखाया गया कि काशी तीर्थ यात्रा की वापसी में एक गुरु और शिष्य किसी नगरी में पहुंचे नाम उसका अंधेर नगरी था। शिष्य बाजार में सौदा खरीदने निकला तो वहां हर चीज एक ही भाव-सब धन बाइस पसेरी। भाजी टका सेर और खाजा (एक मिठाई) भी टका सेर। शिष्य और चीजें खरीदने के झंझट में क्यों पड़ता? एक टके का सेर भर खाजा खरीद लाया और बहुत खुश होकर अपने गुरु जी से बोला, गुरु जी यहां तो बड़ा मजा है। खूब सस्ती है, चीजें, सब टका सेर। देखिए, एक टका में यह सेर भर खाजा लाया हूं। हम तो अब कुछ दिन यहीं मौज करेंगे। छोड़िए तीर्थयात्रा, यह सुख और कहां मिलेगा। नाटक में आगे सिपाही मोटा व्यक्ति खोजने चले तो वही मोटा शिष्य सामने पड़ा। वह हलवाई के यहां खाजा खरीद रहा था। सिपाही उसे ही पकड़कर ले चले। गुरु को खबर लगी, वह दौड़े आए। सब बातें लोगों से मालूम की। एक बार तो उनके मन में आया कि इसे अपनी बेवकूफी का फल भोगने दें, पर गुरु का हृदय बड़ा ही दयालु था। सोचा, जीता रहेगा तो आगे समझ जाएगा। सिपाहियों के पास जाकर बोले, इस वक्त फांसी चढ़ने का हक तो मेरा है, इसका नहीं। राजा ने पूछा कि सबमें फांसी पर चढ़ने की होड़ क्यों है, तो बताया कि जो फांसी पर चढ़ेगा, वह स्वर्ग लोक जाएगा। यह सुनकर चौपट राजा खुद फांसी पर झूल गया। नाटक की समाप्ति पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। इस मौके पर डॉ. सतीश शर्मा, पीएनबी चीफ प्रबंधक बीएम पंवार, आधारशिला पब्लिक स्कूल निर्देशिका अंजू सिहाग, सुभाष ढिगाना, ओम प्रकाश चौहान, डॉ. नरेंद्र अत्री, मंगतराम शास्त्री, शकुन्तला काजल, सोहनदास, अमित यादव आदि मौजूद रहे।

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