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    समाजसेवा के जुनून ने बनाया डॉक्टर शालीन को आइएएस

    By Edited By:
    Updated: Thu, 10 May 2012 09:57 PM (IST)

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    नरवाना, संवाद सूत्र : डॉ. शालीन के आईएएस बन जाने पर एक बार फिर साबित हुआ है कि दिल में लक्ष्य को पा लेने का जुनून हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। समाजसेवा के जुनून ने ही डॉक्टर शालीन को आइएएस बना दिया। आईएएस बनने की जिद्दोजहद में डॉ. शालीन द्वारा दिल्ली स्थित एक अस्पताल की नौकरी छोड़ना निर्णायक साबित हुआ और डॉक्टर शालीन अब आइएएस डॉक्टर शालीन बन गया। केएम राजकीय कॉलेज में भौतिकी के एसोसिएट प्रोफेसर आरपी रोहिल्ला एवं एसडी पब्लिक स्कूल में एसएस की अध्यापिका श्रीमति राकेश के बेटे डॉ. शालीन ने आइएएस में 81वा रैक प्राप्त कर नरवाना का नाम देश भर में रोशन किया है। छोटे से शहर नरवाना से 12वीं पास करके देश की उच्चतम आइएएस परीक्षा को पास करने जैसा कारनामा करने वाले डॉ. शालीन व उनके परिजनों से हमारे संवाददाता ने विशेष बातचीत की।

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    सफलता का मूलमंत्र

    डॉ. शालीन ने बताया कि उसमें शुरू से ही समाज सेवा व देश सेवा की धुन है। डॉक्टर बनने के बाद उसने सोचा कि आइएएस बनकर समाज व देश की ज्यादा सेवा की जा सकती है। इसलिए उसने आईएएस बनने का फैसला किया। चंडीगढ़ से एमडी कर रही शालीन की बहन डॉ. प्रियंका व छोटे भाई अक्षाश ने भी शालीन के आत्मविश्वास व लगन की तारीफ करते हुए कहा कि मेहनत व अपने लक्ष्य में निरतर नजर बनाए रखने से ही शालीन ने यह मुकाम हासिल किया। केएम कॉलेज में कार्यरत एसोसिएट प्रो. आरपी रोहिल्ला ने बताया कि एसडी पब्लिक स्कूल नरवाना से 12वीं पास करने के बाद शालीन ने रोहतक स्थित पीजीआइ से एमबीबीएस की। बचपन से ही शालीन क्लास में टॉप पोजीशन में आता रहा है। दसवीं में जिला जींद में दूसरे नंबर पर रहा और हिदी विषय में राष्ट्रीय स्तरीय प्रदर्शन किया। वह भाषण, साइंस आदि कम्पीटिशन में भाग लेता रहा है। डिस्कवरी जैसे जानकारी वर्धक टीवी चैनल देखने का शौक है।

    एक फैसले ने बदली जिंदगी

    माता राकेश कुमारी ने बताया कि डॉ. शालीन ने डॉक्टर की डिग्री पास करने के बाद आईएएस बनने का निश्चय किया और एक अच्छी नौकरी के ऑफर को छोड़कर दिल्ली में रहकर आईएएस की तैयारी में जुट गया। लेकिन पहले प्रयास में असफल रहने पर डॉ. शालीन ने दिल्ली स्थित एक अस्पताल में नौकरी ज्वाइन कर ली। सूचना मिलते ही श्री एवं श्रीमति आरपी रोहिल्ला दिल्ली शालीन के पास पहुचे और अपने बेटे शालीन को दिलासा दिया कि अगर तुममें आईएएस बनने की लगन व दृढ निश्चय है तो एक बार फिर कोशिश करना उचित रहेगा। परिवार के लोग उनके साथ है। मा बाप से हौसला मिलने के बाद डॉ. शालीन ने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और एक बार फिर आईएएस की तैयारियों में जुट गया। आखिरकार नौकरी छोड़कर आईएएस की तैयारी करने का यह फैसला निर्णायक साबित हुआ और डॉ. शालीन ने 81वा रैक प्राप्त कर मा-बाप के फैसले को सही साबित किया।

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