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    हरियाणा: सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर ठगे 74 लाख, मुख्यमंत्री का नजदीकी बताकर दिया झांसा; थमाए फर्जी नियुक्ति पत्र

    जींद में सरकारी नौकरी के नाम पर महिला समेत छह लोगों से 74 लाख की ठगी हुई। आरोपी ने खुद को मुख्यमंत्री का करीबी बताकर फर्जी नियुक्ति पत्र दिए। पुलिस ने पानीपत के दंपती के खिलाफ मामला दर्ज किया है। नौकरी के नाम पर रेलवे पुलिस और विश्वविद्यालय में भी ठगी की गई।

    By Dharmbir Sharma Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 22 Aug 2025 04:57 PM (IST)
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    नौकरी लगवाने के नाम पर छह लोगों से हड़पे 74 लाख। सांकेतिक फोटो

    जागरण संवाददाता, जींद। सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा देकर महिला सहित छह लोगों से 74 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आरोपित ने खुद को मुख्यमंत्री का नजदीकी बताकर फर्जी नियुक्ति पत्र, मेडिकल सर्टिफिकेट थमा दिए।

    सिविल लाइन थाना पुलिस ने पानीपत के दंपती के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस को दी शिकायत में डिफेंस कालोनी निवासी महिला सुदेश ने बताया कि उसके घर के नजदीक ही जिम है, जिसमें वह प्रैक्टिस करने जाती थी।

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    इसी जिम में पानीपत जिले के मतलोडा का मनोज आता था और एक्सरसाइज व डाइट की जानकारी देता था। उसकी मनोज के साथ जान- पहचान थी। मनोज ने खुद को मुख्यमंत्री नायब सैनी का नजदीकी बताते हुए कहा कि वह नौकरी दिलवाने का काम करता है।

    पिछले साल अगस्त में उसकी तबीयत खराब हो गई, तो मनोज अपनी पत्नी मीना के साथ उससे मिलने के लिए आया। उसकी पत्नी ने भी कहा कि मनोज की एचएसएससी, रेलवे, यूनिवर्सिटी, आयकर विभाग में अच्छी जान- पहचान है।

    उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ मनोज की फोटो भी फोन में दिखाई। इससे उसे विश्वास हो गया। मीना ने कहा कि अपने किसी परिचित या रिश्तेदार को नौकरी लगवाना हो, तो बता देना। मनोज ने उसे बताया कि पुलिस विभाग में करनाल में क्लर्क का पद खाली है। यहां क्लर्क लगवाने के 10 लाख रुपये लगेंगे। जिसमें से पांच लाख रुपये एडवांस देने होंगे।

    बाकी नियुक्ति के बाद देने है। सुदेश ने बताया कि उसने पिछले साल 22 अगस्त को अपने देवर कुलदीप की पुत्रवधू प्रीति के कागज व पांच लाख रुपये मनोज को नौकरी के लिए दे दिए। 16 दिसंबर 2024 को डाक के माध्यम से प्रीति का नियुक्ति पत्र मिल गया। पत्र में नियुक्ति मार्च तक करवाने के लिए कहा गया था। जिस पर एडीजीपी मुख्यालय पंचकूला की मोहर भी लगी थी।

    इसलिए उन्होंने उस पर विश्वास कर लिया और बाकी के पांच लाख रुपये भी मनोज को दे दिए। इसके बाद मनोज ने कहा कि रेलवे लोको पायलट में भी दो पोस्ट निकली हैं। उसने जानकार झज्जर जिले के गांव दुल्हेड़ा निवासी अंजू, बराह खुर्द गांव निवासी विशाल के दस्तावेज मनोज के पास भेज दिए।

    मनोज ने उसके माध्यम से अंजू और विशाल से छह- छह लाख रुपये ले लिए। अंजू और विशाल का राजस्थान के कोटा में फर्जी मेडिकल भी करवा दिया। घर के पते पर सत्यापन पत्र भिजवा दिया और दिल्ली बुलाकर एक जगह पर उनके दस्तावेज भी सत्यापित करके उन्हें वापस भेज दिया।

    17 मार्च को अंजू और विशाल के घर के पते पर नियुक्ति पत्र भेज दिए गए। इनमें भी नियुक्ति का समय तीन महीने का दिया गया था।

    लखनऊ में कराया मेडिकल

    शिकायतकर्ता सुदेश ने बताया कि दिल्ली बड़ौदा हाउस में क्लर्क की नौकरी के नाम पर भी उसके देवर की लड़की संजू के दस्तावेज लेते हुए पांच लाख रुपये एडवांस ले लिए। संजू का लखनऊ में मेडिकल करवाया गया। संजू को भी नियुक्ति पत्र भिजवाया गया।

    अप्रैल में नियुक्ति की तारीख दी गई थी। उसके बाद रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर के पद पर नौकरी के नाम पर चरखी दादरी के खेड़ी सनसनवाल गांव की प्रीति के दस्तावेज भेजे और उनसे भी 13 लाख रुपये ले लिए।

    इसी दौरान ही इनकम टैक्स इंस्पेक्टर लगवाने के नाम पर कालोनी के ही अमन के दस्तावेज और 11 लाख रुपये ले लिए। उसका फर्जी इंटरव्यू करवाया गया और फर्जी नियुक्ति पत्र दिया, जिसका उन्हें बाद में पता चला।

    विवि में क्लर्क लगवाने के नाम पर लिए 11 लाख

    विश्वविद्यालय में क्लर्क लगवाने के नाम पर भी पुलिस लाइन में रहने वाले सुमित से 11 लाख रुपये लिए गए। 12 मई को चरखी दादरी निवासी प्रीति ज्वाइन करने के लिए गई, तो पता चला कि वहां कोई भर्ती ही नहीं की गई। इसके बाद किसी को भी नियुक्ति नहीं मिलने पर उन्होंने मनोज से संपर्क किया।

    मनोज ने पैसे वापस देने की बात कही। कुछ दिन बाद जींद के दिए गए पते पर मनोज से मिलने के लिए वह गई, तो पता चला कि मनोज मकान छोड़ कर भाग गया है।

    पानीपत में मतलोडा जाकर भी मनोज से रुपये वापस मांगने गए। लेकिन उसने पैसे वापस नहीं दिए और धमकी दी। सिविल लाइन थाना पुलिस ने मनोज व उसकी पत्नी मीना के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।