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    सरवर नीर के सांग की व्याख्या की

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    Updated: Mon, 16 Mar 2015 05:53 PM (IST)

    संवाद सहयोगी, अलेवा : बिघाना गाव में मीरा बाबा शहद भूरा गोशाला की तरफ से साग आयोजित किया गया। इसमें

    संवाद सहयोगी, अलेवा : बिघाना गाव में मीरा बाबा शहद भूरा गोशाला की तरफ से साग आयोजित किया गया। इसमें हरियाणवी सागी वेदप्रकाश शर्मा पार्टी ने सरवर-नीर पर आधारित हरियाणवी किस्से का साग किया गया। सरवर नीर के साग की व्याख्या करते हुए पार्टी प्रमुख वेदप्रकाश ने कहा कि सतयुग के समय वर्षो पूर्व एक राजा यम हुआ करते थे। राजा यम के परिवार में रानी अमली के अलावा दो बेटे सरवर व नीर हुआ करते थे। राजा ठाठ-बाठ से राजमहल में परिवार के साथ रहता था। उन्होंने कहा कि एक दिन राजा के महल में एक भगवा भेष में साधु आ गया। राजा यम ने साधु के महल में पहुचने पर उसका भव्य स्वागत किया। साधु ने राजा की सच्चाई का प्रमाण लेने के लिए उसे तीन वचन लेकर राजा का राजपाट दान में माग लिया। उन्होंने कहा कि राजा साधु को दिए अपने वचन के अनुसार सारा राजपाट उसके हवाले कर देता है। इसके बाद राजा-रानी अमली व दोनो बेटों को लेकर चल पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि राजा एक टापू पर परिवार को बैठाकर जंगल से लकड़ी आदि लाने के लिए चला जाता है। राजा के जाने के बाद वहा पर एक भटियारी आकर रानी व दोनों बेटों को अपने साथ ले जाकर रोटी देने की बात करती है। राजा धर्म सिंह की कोई औलाद न होने के चलते राजा ने अपने सैनिकों को कहा हुआ था कि उसकी मौत के बाद शव यात्रा के समय जो भी मनुष्य सबसे पहले शव यात्रा के सामने आए राजपाट उसे सौंप देना। वे लोग राजा के मृत शरीर की शव यात्रा शमशान ले जा रहे थे कि सबसे पहले राजा यम सामने आ गए। सैनिकों ने उसे रोककर राजा का राजपाट उसके हवाले कर दिया। कुछ दिन बाद सौदागर रानी अमली को लेकर गन्नोर शहर के टापू पर आ जाता है। इस प्रकार राजा का बिछड़ा परिवार दोबारा से मिलकर पूर्व की तरह राजमहल में रहने लगता है।

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