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    Haryana News: किसानों की बल्ले-बल्ले, इस साल गेंहू की फसल से होंगे मालामाल; सीजन में भरपूर होगी गेहूं की पैदावार

    Updated: Sat, 13 Jan 2024 02:11 PM (IST)

    मौजूदा समय में गेहूं की फसल में पीला रतुआ की समस्या देखने को नहीं मिल रही है। कृषि विभाग से विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप शर्मा ने बताया कि अभी गेहूं की स्थिति जिले में एकदम अच्छी है। कृषि विभाग की मानें तो अगर इसी तरह से ठंड पड़ती रही तो आने वाले दिनों में गेहूं की पैदावार भी काफी अच्छी हो सकती है।

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    किसानों की बल्ले-बल्ले, इस साल गेंहू की फसल से होंगे मालामाल

    जागरण संवाददाता, झज्जर। Haryana News: मौजूदा समय में गेहूं की फसल में पीला रतुआ की समस्या देखने को नहीं मिल रही है। कृषि विभाग से विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप शर्मा ने बताया कि अभी गेहूं की स्थिति जिले में एकदम अच्छी है। हालांकि, अधिक समय तक धुंध छाई रहे तो समस्या आ सकती है। इसी दौरान पीले रतुआ की शुरुआत भी होती है। इससे बचने के लिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

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    90 हजार हेक्टेयर में गेहूं की हुई  खेती

    जिले की बात करें तो यहां करीब 90 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती हो रखी है। बता दें कि इस समय मौसम गेहूं के अनुकूल बना हुआ है। लगातार पड़ रही ठंड के कारण गेहूं की फसल को काफी फायदा होता दिख रहा है। कृषि विभाग की मानें तो अगर इसी तरह से ठंड पड़ती रही तो आने वाले दिनों में गेहूं की पैदावार भी काफी अच्छी हो सकती है।

    पीला रतुआ के क्या है लक्षण? 

    इस रोग की वजह से पत्तियों पर धारियों में पीले धब्बे दिखाई देने लगते हैं। पत्तियों पर पीले रंग के छोटे-छोटे धब्बे कतारों में बन जाते हैं। कभी-कभी ये धब्बे पत्तियों या डंठलों पर भी दिखने लग जाते हैं। इन पत्तियों को हाथ से छूने, सफेद कपड़े व नेपकीन के जरिए छूने सेे पीले रंग का पाउडर लग जाता है।

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    खेत में जाने पर पीले हो जाते कपड़े

    ऐसे खेत में जाने पर कपड़े भी पीले हो जाते हैं। शुरू में यह बीमारी 10-15 पौधों पर ही दिखाई देती है लेकिन बाद में हवा, पानी के माध्यम से पूरे खेत व क्षेत्र में फैल जाती है। नमी की मात्रा व औसतन 10-15 डिग्री सैल्सियस तापमान इस रोग को फैलाने में सहायक होते हैं। आमतौर पर पीला रतुआ रोग नमी वाली क्षेत्रों में, छाया में, वृक्षों के आसपास व पापुलर वाले खेतों में सबसे पहले देखा जाता है।

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