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    Jhajjar Crime News: क्यूआर कोड व फर्जी लिंक के जरिए जाल बिछा रहे ठग, साइबर अपराध के लिए SP ने जारी की एडवाइजरी

    By Amit PopliEdited By: Deepak Saxena
    Updated: Sun, 26 Nov 2023 03:11 PM (IST)

    ऑनलाइन क्राइम आज के जमाने में काफी तेजी से उभर रहा है। वहीं ठग तेजी से अलग-अलग तरीके से लोगों को ठगने के लिए नए जाल बिछा रहे हैं। वहीं साइबर अपराध से ...और पढ़ें

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    क्यूआर कोड व फर्जी लिंक के जरिए जाल बिछा रहे ठग (फाइल फोटो)।

    जागरण संवाददाता, झज्जर। आम लोगों को ऑनलाइन साइबर क्राइम से बचाव और सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए चलाया जा रहा जागरुकता अभियान लगातार जारी है। पुलिस अधीक्षक झज्जर डॉ. अर्पित जैन ने बताया कि जालसाज व्यक्ति लोगों से ठगी करने की नियत से अलग-अलग तरह के तरीके अपनाते रहते हैं।

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    ठगी की नियत से ठग किसी आम व्यक्ति को किसी तरह के लालच का झांसा देते हुए पैसा प्राप्त करने के लिए लिंक क्लिक या क्यूआर कोड स्कैन करवा कर पैसा अपने खाते में लेने की लुभावनी बातें की जाती है। जैसे ही किसी व्यक्ति के द्वारा इसे स्कैन या क्लिक किया जाता है, उसके खाते में पैसे आने की बजाय निकल जाते हैं। क्योंकि यह पैसा प्राप्ति का क्यूआर कोड/लिंक होता है।

    कैशबैक के नाम पर फंसा रहे जालसाज

    जालसाज व्यक्ति किसी दुकानदार या व्यापारी को कॉल करके पैसों के भुगतान के लिए गूगल पे या फोन पे के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर की मांग करता है। किसी तरह के ऑनलाइन साइबर अपराध से अनजान व्यक्ति अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर साझा कर देता है। क्यूआर कोड को जालसाज अपराधी द्वारा पैसा रिफंड या कैशबैक इत्यादि लिख इस प्रकार संपादित कर दिया जाता है, जिससे कि कोई व्यक्ति उसकी बातों पर भरोसा कर सके।

    जबकि वास्तव में यह लिंक/क्यूआर कोड पैसे निकालने के लिए होता है। सीधा-सादा व्यक्ति बैंक खाते के साथ पंजीकृत फोन नंबर पर आए मैसेज पर ध्यान नहीं देता। निकासी लिंक या क्यूआर कोड को स्कैन करते ही पैसा प्राप्त करने की बजाय उसके खाते से किसी अन्य खाते में ट्रांसफर हो जाता है।

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    मोबाइल को हैक करते हुए हो रही ठगी

    एसपी डॉ. अर्पित जैन ने बताया कि साइबर क्राइम अथवा किसी भी प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए यह जरूरी है कि किसी भी अज्ञात नंबर से प्राप्त किसी भी प्रकार के लिंक या क्यूआर कोड पर क्लिक या स्कैन ना किया जाए। फर्जी ऐप फोन के डेटा तक पहुंचने और धोखाधड़ी की गतिविधियों को अंजाम देने में सक्षम होते हैं। लालच में आकर आम लोग इन ऐप्स को डाउनलोड करते हैं। इस तरह के लिंक को ओपन करते ही उपभोक्ता का मोबाइल शातिर ठग हैक कर लेते हैं और ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं।

    रुपये के लिए कभी भी एम पिन या यूपीआई पिन दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती। फोन पर बैंक कर्मी या पेटीएम अधिकारी बनकर जालसाज व्यक्ति द्वारा बैंक अकाउंट बंद होने, डेबिट या क्रेडिट कार्ड बंद होने की धमकी देकर अथवा अकाउंट की केवाईसी करने के नाम पर लोगों से बैंक डिटेल्स मांगा जाता हैं, फोन पर जब कॉल करने वाला इस प्रकार की बात करता है तो तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए।

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