चलो गांव की ओर : शौर्य दिखाने में पीछे नहीं गांव पहाड़ीपुर के ग्रामीण
- राष्ट्र उत्थान में सराहनीय योगदान दे रहे ग्रामीण

- राष्ट्र उत्थान में सराहनीय योगदान दे रहे ग्रामीण फोटो : 01 पूर्ण कौशिक, बेरी : जिला सचिवालय से करीब 20 किलोमीटर दूर 400 साल पहले बसा पहाड़ीपुर गांव भाईचारे की मिसाल है। आजादी की लड़ाई से लेकर विश्वयुद्ध ही नहीं बल्कि देश के साथ हुई हर जंग में यहां के जवान बॉर्डर पर शौर्य दिखाने से पीछे नहीं हटें। गांव के कई रणबांकुरों ने देश की रक्षा के लिए अपनी आहुति दी है। ग्रामीण भल्ले राम ने बताया कि गांव करीब 400 वर्ष पूर्व बसा था।सबसे पहले गांव गोरखपुर, जिला हिसार से पहाडू नाम का व्यक्ति आया था। पहाडू के नाम से ही गांव का नाम पहाड़ीपुर पड़ा। गांव में एक दादा गुसाईं का बहुत पुराना मंदिर व तालाब हैं जो गांव के बसने से पहले का बताया जाता है। गांव में दादा गुसाईं की बड़ी मान्यता है। लगभग 2300 की आबादी वाले गांव में जोहड़, आंगनवाड़ी केंद्र, सरकारी स्कूल,दो मंदिर, एक चौपाल एवं एक पानी की डिग्गी है। गांव पहाड़ीपुर में एक आईटीआई भी है। जिसमें आसपास के गांव के विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते हैं। गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन है। गांव में सभी लोग आपस मे मिल जुलकर रहते हैं। राष्ट्र उत्थान में दिया सराहनीय योगदान : सरपंच प्रतिनिधि कृष्ण कुमार ने बताया कि गांव पहाड़ीपुर में जन्में कई लोगों ने राष्ट्र निर्माण, सामाजिक उत्थान व अन्य क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।डा. भगवान सिवाच पीजीआई रोहतक में निदेशक के पद पर रहे, डा. रामचंद्र सिवाच ने भगत फूल सिंह महिला कॉलेज, सुनील दत्त जांगड़ा सेना में कर्नल के पद पर कार्यरत हैं। मौजूदा समय में गांव बड़ी संख्या में युवा भारतीय सेना, केंद्र सरकार से जुड़े विभाग व हरियाणा सरकार में अपनी सेवाएं देकर अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं। पृथ्वी पुत्र तोखराम, कालूराम पुत्र शीशराम व दरिया पुत्र छाजूराम स्वतंत्रता सेनानी भी रहे हैं। गांव पहाड़ीपुर में अनेक महान दानवीरों ने जन्म लिया। जिन्होंने गांव के उत्थान के लिए अनेक कार्य करवाए गए हैं। राज सिंह ने बताया कि यहां पर गांव में पुराने समय से मूसों वाली जोहड़ी है जिसमें नहाने व मिट्टी रगड़ने मात्र से ही शरीर से मूस झड़ जाते हैं। इस जोहड़ी में नहाने के लिए यहां दूर दराज से लोग पहुंचते हैं। गांव में बाबा श्याम जी का मंदिर भी है। यहां पर सभी पूजा पाठ करते हैं।
- ग्रामीणों के सहयोग से गांव में घर-घर घूमकर महिलाओं को लिगानुपात के प्रति जागरूक किया जा रहा है। ग्रामीणों को सरकारी स्कूल में ज्यादा से ज्यादा बच्चों का दाखिला करवाया। ग्रामीणों ने पांच साल के कार्यकाल में काफी सहयोग मिला है। गांव में 36 बिरादरी के लोग मिलजुलकर रहते है।
निशा देवी, सरपंच पहाड़ीपुर
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