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    ढहने की कगार पर 'झज्जर का ताजमहल', जर्जर हो रहे मुगलकालीन मकबरे; खतरे में पड़ी प्रेम की निशानी

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 02:47 PM (IST)

    झज्जर के बहादुरगढ़ रोड पर कलालों के मकबरे और बुआ-हसन तालाब मुगलकालीन स्थापत्य और प्रेम कहानी के प्रतीक हैं। पुरातत्व विभाग के संरक्षण के बावजूद, ये रा ...और पढ़ें

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    झज्जर के बहादुरगढ़ रोड पर कलालों के मकबरे और बुआ-हसन तालाब मुगलकालीन स्थापत्य और प्रेम कहानी के प्रतीक हैं (फोटो: जागरण)

    जागरण संवाददाता, झज्जर। शहर के बहादुरगढ़ रोड पर स्थित कलालों के मकबरों का समूह और निकटवर्ती बुआ-हसन तालाब न केवल मुगलकालीन स्थापत्य की अनुपम मिसाल हैं, बल्कि स्थानीय इतिहास व प्रेमकथा की जीवंत गाथा भी समेटे हुए हैं।

    पुरातत्व विभाग के संरक्षण में राष्ट्रीय महत्व के इन स्मारकों की स्थिति जर्जर हो रही है, जिस पर स्थानीय बुद्धिजीवी व इतिहासकार चिंता जताते हैं।

    जिक्र होता है कि इन मकबरों का निर्माण 16वीं-17वीं शताब्दी के बीच के काल में हुआ माना जाता है। स्थानीय कलाल शासकों व जागीरदारों की यह पारिवारिक कब्रगाह कभी 12 संरचनाओं वाली थी, जिनमें से अब सात मकबरे, मस्जिद व ईदगाह के अवशेष स्पष्ट हैं।

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    पठान शैली में बने ये अष्टकोणीय व वर्गाकार गुंबददार मकबरे लाल बलुआ पत्थर, कंकर चूना व लखौरी ईंटों से निर्मित हैं, जिनमें मेहराब, झरोखे व नक्काशीदार पदक उभरकर आते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार ये झज्जर के राजनीतिक-सांस्कृतिक विकास व मुगल प्रशासन के प्रमाण हैं।

    मकबरों से सटा यह विशाल जलाशय ''बुआ वाला तालाब'' के नाम से विख्यात है, जिसकी लोककथा मुगल शासक मुस्तफा कलाल की पुत्री ''बुआ'' व गरीब लकड़हारे ''हसन'' के प्रेम से जुड़ी है।

    किवदंती है कि बाघ के हमले से बचा हसन बुआ का हृदय जीत लेता है, लेकिन सामाजिक बाधाओं व युद्ध में हसन की शहादत के बाद बुआ ने प्रेमी का मकबरा बनवाया व स्वयं तालाब किनारे समाधिस्थ हो गई। स्थानीय पर्यटन इसे ''झज्जर का ताजमहल'' कहता है, जहां का पानी कभी रोगनाशक माना जाता था।

    देखा जाए तो पूरा यह स्थल न केवल इतिहास पढ़ने वाले शोधार्थियों के लिए, बल्कि पर्यटकों व युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं। इन्हें बचाना हरियाणा की साझा विरासत को संरक्षित करने का दायित्व है।

    सूर्य उदय और सूर्यास्त के समय बुआ हसन के मकबरे और तालाब का यह दृश्य बेहद मनमोहक हो जाता है।

    बालीवुड स्टार आमिर खान की 1857 की क्रांति, पर बनी फिल्म मंगल पांडे के कुछ दृश्य भी यहां फिल्माए गए थे। फिल्म के विद्रोह की रणनीति बनाने के दृश्य में बुआ हसन का मकबरा साफ देखा जा सकता है।