खाटू श्याम में मिले लापता पार्षद संजय जांगड़ा बोले- मानसिक तनाव के चलते लिखा था नोट, BJP में हलचल
दीवाली के बीच, झज्जर में भाजपा पार्षद संजय जांगड़ा के लापता होने से हड़कंप मच गया। उन्होंने एक पत्र में जिला परिषद अध्यक्ष और ओमप्रकाश धनखड़ पर आरोप लगाए। पुलिस ने उन्हें खाटू श्याम धाम से ढूंढ निकाला। पार्षद ने मानसिक तनाव की बात कही है और वायरल पत्र की जांच जारी है।

मानसिक तनाव के चलते लिखा था नोट- संजय जांगड़ा, फाइल फोटो
संवाद सूत्र, साल्हावास (झज्जर)। दीवाली की खुशियों के बीच झज्जर में राजनीतिक गलियारों में उस समय हड़कंप मचा, जब भाजपा समर्थक जिला पार्षद संजय जांगड़ा रविवार दोपहर अचानक लापता हो गए। उनके द्वारा छोड़ा गया सात पन्नों का भावनात्मक नोट पूरे जिले में सियासी हलचल मचाने वाला साबित हुआ। इस नोट में उन्होंने जिला परिषद अध्यक्ष कप्तान बिरधाना और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ पर आरोप लगाए थे।
पुलिस कमिश्नर डा. राजश्री सिंह के निर्देशन में डीपीसी क्राइम अमित दहिया, सीआइए और साइबर सेल की टीम ने 24 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सोमवार शाम उन्हें राजस्थान के प्रसिद्ध खाटू श्याम धाम से सकुशल बरामद किया। पार्षद का पीजीआइ रोहतक में परीक्षण करवाया गया और मंगलवार दोपहर बाद उन्हें उनके घर पहुंचा दिया गया। थाना प्रभारी हरेश कुमार ने बताया कि पार्षद ने बताया कि मानसिक तनाव के कारण उन्होंने पत्र लिखा था।
वायरल हुए नोट की जांच जारी है। इस बीच पुलिस ने वह पत्र भी बरामद कर लिया जो उनके घर से मिला है। खाटू श्याम से लौटने के बाद संजय जांगड़ा ने कहा-मैं बाबा खाटू के दर्शन के लिए गया था। क्योंकि हारे का सहारा बाबा श्याम है। अब मैं सकुशल लौट आया हूं, कुछ दिन बाद अपने मन की बात रखूंगा। बहरहाल, इस घटनाक्रम ने भाजपा की जिला राजनीति में भूचाल ला दिया। नोट में जांगड़ा ने लिखा था- जिप अध्यक्ष का रवैया लोगों को जोड़ने का नहीं, तोड़ने का है... विकास कार्यों में भेदभाव किया जा रहा है।
विवाद के केंद्र में आए कप्तान बिरधाना ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संजय जांगड़ा के वार्ड में दो करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्य कराए गए हैं। किसी से कोई भेदभाव नहीं किया। साथ ही अन्य लगाए गए आरोप भी निराधार हैं। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ ने भी कहा-संजय का सुरक्षित मिलना संतोषप्रद है। भाजपा में संवाद से समाधान का रास्ता निकलता है। संगठन एकजुट है और हर कार्यकर्ता की बात सुनी जाती है। कुल मिलाकर, इस घटनाक्रम ने दीपावली की रौनक में राजनीतिक छाया डाल दी, लेकिन पार्षद के सकुशल लौटने से जिले में राहत की सांस ली गई है।

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