Photos: झज्जर में बाहुबली तो सिरसा में जलेबी मूंछ वाला 'रावण', आप भी देखें लंकापति के अनोखे पुतले
हरियाणा में कहीं बाहुबली रावण तो कहीं मूंछ वाला रावण काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इन पुतलों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि सबका ध्यान इन्हीं की ओर जा रहा है। आज झज्जर में दशहरे पर विशेष आकर्षण देखने को मिलेगा। यहां पहली बार रावण (30 फीट) मेघनाद (20 फीट) और कुंभकरण (20 फीट) के बाहुबली पुतलों का दहन किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, झज्जर। जिला मुख्यालय पर इस बार दशहरे पर विशेष आकर्षण देखने को मिलेगा। यहां पहली बार रावण (30 फीट), मेघनाद (20 फीट) और कुंभकरण (20 फीट) के बाहुबली पुतलों का दहन किया जाएगा।
जबकि, बेरी, दुजाना और बहादुरगढ़ भी दशहरा की धूमधाम के साथ तैयारियां की जा रही है। इधर, जिला मुख्यालय स्थित प्राचीन रामलीला मैदान में हुए मंचन में बुधवार की शाम श्रीराम चरित के वे अद्भुत प्रसंग मंचित किए गए, जिन्होंने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सिरसा के दशहरा ग्राउंड में रावण का पुतला तैयार किया जा रहा है। जागरण।
हनुमान जी द्वारा अशोक वाटिका विध्वंस और लंका दहन से लेकर मेघनाथ-लक्ष्मण युद्ध तथा संजीवनी बूटी की खोज तक के दृश्य इतने जीवंत तरीके से प्रस्तुत किए गए कि पूरा वातावरण भक्तिमय और रोमांचकारी हो उठा।
झज्जर में बाहुबली रावण
सिरसा में भी रावण दहन
इसके साथ ही सिरसा में भी तीन स्थानों पर शाम 5:57 पर रावण, कुंभकरण, मेघनाद और अक्षय कुमार के पुतले का दहन होगा। रावण दहन काे लेकर जिलेभर के लोग कार्यक्रम स्थलों पर पहुंचेंगे।
सिरसा। चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के सामने दशहरा ग्राउंड में तैयार किया गया 52 इंच लंबी मूंछों वाला 70 फीट ऊंचे रावण का मुख। जागरण
वहीं, दशहरा पर्व से पहले क्लबों की तरफ से शहर में शोभायात्रा निकाली जाएंगी। इस दौरान यातायात व्यवस्था को संभाले रखने के लिए 70 से अधिक जवानों मुख्य बाजार व चौक चौराहों पर तैनात रहेंगे।
हनुमान जी ने मचाई लंका में तबाही
मंचन का आरंभ उस दृश्य से हुआ जब हनुमान जी माता सीता की कुशलक्षेम जानने लंका पहुंचे। अशोक वाटिका में सीता माता से मिलकर उन्होंने उनका संदेश और निशानी ली तथा श्रीराम तक पहुंचाने का वचन दिया।
सेक्टर-24 में श्री कृष्ण क्लब दशहरा कमेटी के ग्राउंड में खडे रावण, कुंभकरण व मेघनाद के पूतले। जागरण
इसके बाद हनुमान जी ने रावण की सेना को परास्त करते हुए वाटिका को तहस-नहस कर दिया। जब उन्हें पकड़कर रावण के दरबार में ले जाया गया तो उन्होंने अपनी पूंछ में आग लगवाई और उसी आग से पूरी लंका को जलाकर राख कर दिया। इस प्रसंग पर पूरा मैदान “जय बजरंगबली” के गगनभेदी नारों से गूंज उठा।
फतेहाबाद: रतिया में रावण के पुतले का तैयार किया गया मुखौटा।
रामसेतु निर्माण और लंका की ओर प्रस्थान
इसके बाद दृश्य में दिखाया गया कि हनुमान जी सीता माता की निशानी लेकर लौटे और श्रीराम को उनकी कुशलता सुनाई। भावुक होकर श्रीराम ने वानर सेना के साथ लंका विजय का संकल्प लिया। समुद्र तट पर भगवान शिव की पूजा कर आशीर्वाद लेने के बाद वानर योद्धाओं नल-नील ने समुद्र पर रामसेतु का निर्माण किया।
राम नाम लिखे पत्थरों से बना यह सेतु श्रद्धालुओं के लिए आस्था और उत्साह का केंद्र बन गया। इसके बाद वानर सेना के साथ श्रीराम ने लंका की ओर कूच किया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।