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    बंदरों के काटने के रोजाना बढ़ रहे मरीज, छत पर चढ़ पाना भी नहीं रहा आसान

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 04 Jul 2022 06:21 PM (IST)

    आंकड़ों की ²ष्टि से देखें तो बंदरों के काटने के केस इन दिनों में लगातार बढ़ रहे है। झज्जर सिविल अस्पताल में आस पास के क्षेत्रों व गांवों से बंदरों के काटने के मरीज लगातार पहुंच रहे हैं।

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    बंदरों के काटने के रोजाना बढ़ रहे मरीज, छत पर चढ़ पाना भी नहीं रहा आसान

    जागरण संवाददाता, झज्जर : आंकड़ों की ²ष्टि से देखें तो बंदरों के काटने के केस इन दिनों में लगातार बढ़ रहे है। झज्जर सिविल अस्पताल में आस पास के क्षेत्रों व गांवों से बंदरों के काटने के मरीज लगातार पहुंच रहे हैं। गांव हो या शहरी क्षेत्र, बंदरों के काटने का आतंक निरंतर बढ़ रहा है। हालात ऐसे हो गए है कि लोग अपनी छत पर भी नहीं चढ़ पा रहे।

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    बता दें कि बंदर के काटने से होने वाले घाव का इलाज भी कुत्ते के काटने से बने घाव की तरह ही किया जाता है। हालांकि, विभाग के स्तर पर इस तरह से भी जागरूक किया जा रहा है कि अस्पताल में आने से स्वयं भी ध्यान रखें। ताकि, नुकसान कम हो। विशेषज्ञ बताते है कि काटने से हुए घाव को लगातार 5-10 मिनट तक साबुन और पानी से आराम से धोएं। घाव धोने के बाद उस पर सेवलान, डिटाल, बिटाडीन आदि जैसे एंटीसेप्टिक लगाए। सिर्फ कुत्ते के काटने से ही रेबीज नहीं होता बल्कि बंदर के काटने से भी रैबीज हो सकता है। इसलिए घाव धोने के तुरंत बाद अपने नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें तय समय में रेबीज का इंजेक्शन लगवाना न भूलें। बंदरों के काटने पर क्या करें : 10 से 15मिनट तक घाव को पानी और साबुन से अच्छी तरह से धोएं। - घाव में धूल-मिट्टी, बाल या दांत जैसी कोई वस्तु है, तो तुरंत उसे सावधानी से निकालें। - अगर घाव छोटा है, तो उसे आस-पास से दबाकर उसमें से खून निकालें। ताकि खून के साथ अंदर मौजूद कीटाणु भी निकल जाएं। - अगर घाव बड़ा है उसमें से •ा्यादा खून निकल रहा है, तो उस पर पट्टी या सा़फ कपड़ा रखकर कुछ देर तक दबाव बनाएं।

    सिविल अस्पताल की एमएस डा. कनिका ने सिविल अस्पताल में औसतन बंदरों के काटने के रोजाना एक से दो नए मरीज पहुंच रहे हैं। सोमवार को कुल 6 मरी•ा अस्पताल पंहुचे हैं। जिनमे से 2 बंदर काटने के नए और 4 बंदर व कुत्तों के काटने के पुराने मरी•ा है। जिन्हें इला•ा हेतू रेबि•ा का इंजेक्शन लगाया जा रहा है।अगर पिछले माह की बात करें तो झज्जर सिविल अस्पताल में जून माह में बंदर व कुत्ते काटने के दोनों को मिला कर करीब 200 मरी•ा आए थे।