हरियाणा की मंडियों में पहुंचा बाजरा, बदरंग बता सरकारी एजेंसियों का खरीद से इनकार, चिंता में किसान
झज्जर की मंडियों में बाजरे के ढेर लगे हैं पर सरकारी मानकों पर खरा न उतरने से खरीद एजेंसियां पीछे हट रही हैं। 70 प्रतिशत बाजरा काला है रंग 27-38 फेड आ रहा है जबकि नियम 6 प्रतिशत तक की अनुमति देते हैं। एजेंसियां नियमों के विरुद्ध खरीदने पर भुगतान से डर रही हैं। किसानों को प्राइवेट डीलरों का इंतजार है।

जागरण संवाददाता, झज्जर। मंडियों में बाजरे के ढेर लगे हैं, लेकिन सरकार के नियमों पर बाजरा खरा न उतारने के कारण सरकारी खरीद एजेंसियां अब अब हाथ खड़े करने लगी हैं। बाजरे के रंग को लेकर सैंपल फेल आ रहे हैं, जिसमें बाजरे का रंग 27 से 38 फेड आ रहा है। जबकि सरकार के नियमों को देखा जाए तो 6 प्रतिशत तक कलर फेड होने पर ही बाजरा खरीदा जा सकता है।
एजेंसियों के अधिकारी कह रहे हैं अगर बाजरा सरकार के नियमों के विरुद्ध जाकर खरीद लिया तो उसका भुगतान उन्हें करना पड़ेगा। अब आढ़तियों व किसानों की नजर प्राइवेट डीलरों पर नजर टिकी है। रेवाड़ी जिले में प्राइवेट डीलर 2100 से 2400 रुपये प्रति क्विंटल तक बाजरे के खरीद कर रहे हैं, लेकिन झज्जर जिले में अभी तक डीलरों के आने का इंतजार किया जा रहा है।
भावांतर भरपाई योजना के तहत बाजरे की खरीद पर 625 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से राशि सीधे किसानों के खाते में डाली जाएगी। जबकि 2150 रुपये क्विंटल बाजरे की खरीद के आदेश एजेंसियों को दिए हैं, लेकिन इस पर भी एजेंसियां बाजरा खरीदने को तैयार नहीं हैं।
करीब डेढ़ लाख क्विंटल बाजरा पहुंच चुका है मंडियों में
झज्जर जिले की चार अनाज मंडियों में करीब डेढ़ लाख क्विंटल के आसपास बाजार आया हुआ है। झज्जर व मातनहेल की अनाज मंडियों में ही एक लाख क्विंटल से अधिक बाजरा आया है, जबकि ढाकला व बेरी के अनाज मंडी में भी करीब 40 हजार क्विंटल के आसपास बाजार पहुंचा है।
मानसून की अधिक बारिश से खराब हुआ बाजरा
पिछले दिनों मानसून की अधिक बारिश में भीगने के कारण रंग काला पड़ गया है। अनाज मंडियों में जगह की कमी बताकर जो अच्छा बाजरा आया था वह भी जेसीबी मशीनाें से लगाए गए ढेरों के कारण आपस में मिल चुका है।
मंडियों में करीब 70 प्रतिशत बाजरा काले रंग का और 30 प्रतिशत बाजरा अच्छा आया हुआ था। अब भी आढ़ती अच्छे बाजरे को इन ढेरों पर ही डलवा रहे हैं। वीरवार से ई-खरीद पोर्टल पर किसानों का रिकाॅर्ड अपलोड होते ही बाजरे के गेट पास कटने शुरू हो चुके हैं और लेकिन शुक्रवार दोपहर बाद तक बाजरे की खरीद शुरू नहीं हो पाई थी।
किसान लगा रहे आढ़तियों के चक्कर
किसान पिछले 15 दिन से बाजरे की खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही अब वे आढ़तियों के पास पैसे के लिए भी चक्कर लगा रहे हैं। कारण, बाजरे की खरीद शुरू नहीं हो पा रही है। ऐसी स्थिति में उनके सामने परेशानी खड़ी हो गई है। जबकि त्योहारी सीजन के साथ-साथ अगली फसल की बिजाई का समय भी आ गया है।
गुणवत्ता पर खरा नहीं उतर रहा बाजरा
हरियाणा वेयर हाउस काॅरपोरेशन, झज्जर के प्रबंधक अजय बेनीवाल का कहना है कि जो अच्छा बाजरा था वह भी काले रंग के बाजरे में मिला दिया गया है। जिससे वह भी खराब हो गया है। अब भी 27 से 38 प्रतिशत तक बाजरा कलर फेड आ रहा है। जो गुणवत्ता पर खरा नहीं उतर रहा है। जबकि सरकार कह रही है कि नियमों के मुताबिक बाजरा खरीदा जाए।
नियमों पर खरा उतरने वाला ही खरीदा जाएगा बाजरा
डीएफएससी अशोक शर्मा का कहना है कि सरकार के आदेश है कि जो बाजरा नियमों पर खरा उतर रहा है उसकी खरीद की जाएगी। अब एजेंसियां बाजरा खरीदने को तैयार नहीं हो रही हैं। जो अच्छा बाजरा है उसकी खरीद की जा सकती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।