झज्जर में जर्जर पड़ा स्कूल भवन, 7 कमरों में से 4 की हालत खराब; किसी भी समय हो सकता है बड़ा हादसा
हरियाणा के झज्जर जिले के जमालपुर गांव के एक सरकारी स्कूल की हालत बहुत खराब है। स्कूल में सात कमरों में से चार जर्जर हैं जिससे छात्रों की सुरक्षा को खतरा है। कमरों की कमी के कारण बच्चों को बरामदे में बैठना पड़ता है। स्कूल प्रशासन ने नए भवन के निर्माण के लिए विभाग को लिखा है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

विक्की जाखड़, साल्हावास (झज्जर)। हरियाणा के झज्जर जिले के गांव जमालपुर स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित नहीं दिख रहा। कारण, स्कूल की हालत खराब होने के कारण किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। साल्हावास खंड के अंतर्गत आने वाले इस इस स्कूल का 57 वर्ष पूर्व भवन बनाया गया था, इसमें चार कमरे थे।
उसके बाद तीन और कमरे सरकार की तरफ से बनाए गए हैं। इनमें से चार कमरों की हालत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है और इस भवन को खराब घोषित कर दिया गया, लेकिन नए भवन का निर्माण नहीं किया जा रहा है।
जिसकी वजह से विद्यार्थियों को भी यहां पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विद्यालय में कुल सात कमरे हैं। सात में से चार खराब हो चुके हैं और तीन कमरों में से दो कमरों में बैठाकर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, जबकि एक कमरे बाल वाटिका चल रही है।
अगर बच्चों को अलग-अलग बैठाना पड़े तो उनको बरामदे में ही बैठाना पड़ता है। अगर कोई बच्चा खेलता हुआ पुराने भवन में चला जाए और अनहोनी का खतरा बना रहता है।
1968 में हुई थी स्थापना
जमालपुर गांव में स्कूल की स्थापना 1967-68 में हुई थी। उस समय बनाए भवन की हालत खराब हो चुकी है। इसके स्थान पर नया भवन बनाने के लिए शिक्षा विभाग को डिमांड भी भेजी जा चुकी है, लेकिन अब तक ग्रांट ना आने के कारण स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है।
हम यहां पर आए उससे पहले ही इस भवन का खस्ताहालत है। दो कमरे हैं, उनमें ही स्टाफ व बच्चों को बैठाया जाता है। विभाग की तरफ से इस बारे जब जानकारी मांगी गई उस समय जानकारी दे दी गई थी। जगह की कमी है। एक कमरा बाल वाटिका के लिए दिया गया है। - राजेश कुमार, स्कूल प्रभारी।
बच्चों को बैठाने के लिए स्कूल में पूरा स्थान तक नहीं है। सरकार को स्कूल के लिए नए भवन का निर्माण करवाना चाहिए। ताकि बच्चे सुरक्षित रूप से शिक्षा ग्रहण कर सकें। - कुसुम, एसएमसी प्रधान।
क्या करें हम तो मास्टर जी के साथ ही एक कमरे में बैठकर पढ़ते है। हमारे तो दो कमरे हैं। कभी कमरों में तो कभी बरामदे में भी बैठते हैं। - विवेक, छात्र।
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