Jhajjar History: ग्रामीण परिवेश के साथ लोक संस्कृति का शहर 'झज्जर', जानिए यहां घूमने लायक खास जगह
अगर आप ग्रामीण परिवेश में घूमने के शौकीन हैं तो हरियाणा का झज्जर शहर आपके लिए काफी अच्छी जगह साबित हो सकती है। अपनी लोक संस्कृति और ग्रामीण परिवेश से जुड़ा ये शहर इतिहास और वहां के टूरिस्ट प्लेस को लेकर कई पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। तो आइए जानते हैं झज्जर शहर (Jhajjar History) के बारे में।

डिजिटल डेस्क, झज्जर। हरियाणा का झज्जर शहर जिसका इतिहास (Jhajjar History) काफी पुराना है। इस शहर के नाम और इतिहास को लेकर कई किवदंतियां मशहूर हैं। वहीं, इस शहर में पर्यटन से जुड़ी कई जगह हैं। यहां की संस्कृति पंजाबी और हरियाणवी का मिश्रण है। तो आइए जानते हैं झज्जर के इतिहास और संस्कृति से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में।
इतिहास
झज्जर की भूमि में कई ऐतिहासिक इमारतों को देखा जा सकता है। झज्जर शहर का विकास 1191 ईस्वी के दौरान मोहम्मद गौरी और राजा पृथ्वीराज के बीच युद्ध के दौरान नहीं हुआ था। यहां सिर्फ जंगल ही जंगल थे। इसके पूर्वी हिस्से में मालोकन नाम से एक जाटों का शहर था। जो युद्ध के कारण काफी खराब क्षेत्रों में गिना जाता था। झज्जर शहर को कई शासकों के अत्याचार से गुजरना पड़ा था। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि शहर के संस्थापक छज्जू से इसका नाम झज्जर पड़ा। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि झारनगर नाम से प्राकृतिक फव्वारे से लिया गया था। साल 1997 तक ये रोहतक जिले का हिस्सा था, जिसे बाद में अलग कर दिया गया।
पंजाबी और हरियाणवी संस्कृति का मिश्रण
झज्जर शहर की अगर संस्कृति की बात करें तो यहां पर पंजाबी और हरियाणवी संस्कृति का मिश्रण है। यहां हरियाणवी के साथ-साथ पंजाबी त्योहार भी मनाए जाते हैं। जोगिस, भट्ट और सैंगिस ने लोक संगीत को झज्जर और हरियाणा के अन्य क्षेत्रों में लोकप्रिय बनाया है। साथ ही झज्जर के लोग अपना पारंपरिक लोक नृत्य भी करते हैं।
जनसंख्या और साक्षरता
हरियाणा के झज्जर में कुल जनसंख्या (साल 2011 से) 9,58,405 है। वहीं, इस शहर में लिंगानुपात 862 है। जबकि औसत साक्षरता 80.65 फीसदी है। वहीं, झज्जर जिले के आबादी का 86% कृषि पर आधारित है। नवंबर 1966 में हरियाणा के गठन के बाद जिला ने कृषि में उल्लेखनीय प्रगति की।
झज्जर में पर्यटन स्थल
माता भिमेश्वरी देवी मंदिर
हरियाणा के झज्जर के बेरी कस्बे में स्थित माता भीमेश्वरी देवी के मंदिर को बेरी वाली माता का मंदिर भी कहा जाता है। यहां रोजाना हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। साथ ही नवरात्रि के दौरान यहां पर नवविवाहित जोड़े मंदिर में गांठ बांधने के लिए आते हैं। इस मंदिर को लेकर कई लोक किवदंतियां मशहूर हैं।
भिंडावास पक्षी विहार
भिंडावास पक्षी विहार में प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। इसके साथ ही अपने समृद्ध एवी जीवों के अलावा कोई भी भिंडावास पक्षी अभ्यारण्य में एंटेलोप नीलगाय, जंगली बिल्ली को भी देखा जा सकता है।
प्रतापगढ़ फार्म
अगर आपर प्रकृति के दीवाने हैं तो ये जगह आपके लिए खास है। गांव और फार्म टूरिज्म डेस्टिनेशन में यहां का शांत वातावरण आपको काफी आकर्षित करता है। ग्रामीण परिवेश और आउटिंग के मकसद से ये जगह एक दम परफेक्ट है।
जॉयगांव
झज्जर में जोयगांव में भी आप ग्रामीण जीवन शैली का मजा ले सकते हैं। ग्रामीण अनुभव झोपड़ियां, लोक संगीत, नृत्य, पारंपरिक भोजन और शांत सिर की मालिश जैसी चीजों से इस जगह का महत्व और बढ़ जाता है। यहां का ग्रामीण परिवेश आपको अपना दीवाना बना लेगा।
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