'हांडी' में छिपी है पिता-पुत्र की हत्या की भयावह कहानी, मर्डर के बाद बेटे ने एक ही चिता पर जलाई थी दोनों लाशें
बिहार में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जहाँ एक बेटे ने अपने पिता और भाई की हत्या कर दी। उसने दोनों के शवों को एक ही चिता पर जला दिया। पुलिस को 'हांडी' में हत्या से जुड़े अहम सुराग मिले, जिससे पूरे मामले का खुलासा हुआ।

आरोपी फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, झज्जर। जिले के कलोई गांव में पिता-पुत्र की हत्या का राज अब धीरे-धीरे खुलने लगा है। यह मामला जितना क्रूर है, उतना ही योजनाबद्ध भी प्रतीत हो रहा है।
पुलिस की जांच में सामने आया है कि हत्या के बाद दोनों शवों को एक ही चिता पर जलाकर उनकी अस्थियों को एक हांडी में लाल कपड़े से बांधकर घर में छिपाकर रखा गया। अब यही हांडी इस दोहरे हत्याकांड का सबसे बड़ा राज समेटे हुए है। पुलिस ने इसकी तलाश शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक वह बरामद नहीं हो पाई है।
जांच अधिकारियों अनुसार यदि हांडी पुलिस के हाथ लग जाती है, तो इससे पूरे हत्याकांड की सच्चाई सामने आने की उम्मीद है। पुलिस डीएनए जांच के माध्यम से यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि पिता-पुत्र की मृत्यु जलाने से पहले हुई थी या उन्हें बेहोश कर आग में डाल दिया गया था।
हत्या के बाद सामान्य माहौल बनाने की कोशिश
अभी तक पुलिस जांच में सामने आया है कि घटना को पूरी तरह छिपाने की साजिश रची गई थी। छह अगस्त की शाम को पिता खजान सिंह और पुत्र संजय की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद घर के ही आंगन में लकड़ी और उपलों से चिता सजाई गई और दोनों के शवों को साथ रखकर आग लगा दी गई। हत्या के बाद परिवार के सदस्यों ने ऐसा माहौल बनाया मानो घर में कुछ हुआ ही न हो।
सूत्रों के अनुसार, संजय की पहले बेरहमी से पिटाई की गई थी, जबकि पिता खजान सिंह की मृत्यु कम चोटों के बाद ही हो गई। पुलिस का कहना है कि हत्या घर के भीतर ही की गई थी। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि हत्याकांड के दौरान अशोक का बड़ा भाई दूध बेचने के लिए साइकिल लेकर गांव से बाहर गया हुआ था।
घर की देखरेख अब रिश्तेदारों के हाथ
घटना के बाद पुलिस लगातार अशोक के घर पर जांच के लिए पहुंच रही है। अब वहां केवल रिश्तेदार दिखाई दे रहे हैं जो पशुओं की देखभाल भी कर रहे हैं। किसी बाहरी व्यक्ति को घर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। बताया गया है कि करीब 15 वर्ष पहले परिवार ने औरंगपुर के पास खेत खरीदे थे। गांव में उनका किसी से विशेष संपर्क नहीं था।
गांव में अलग-थलग था परिवार, नहीं था लेन-देन
ग्रामीणों का कहना है कि परिवार के सदस्य सामाजिक संपर्क से लगभग कटे हुए थे। केवल चुनावी मौसम में ही वे राजनीतिक उम्मीदवारों से मिलते थे, लेकिन बाकी समय वे खुद में सीमित रहते थे। खेतों में काम करते समय भी वे पड़ोसियों से औजार तक उधार नहीं लेते थे। इसीलिए जब इतना बड़ा अपराध हुआ, तो ग्रामीणों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
तीनों भाइयों के पांच बेटे, रिश्तों में उलझी कहानी
मृतक खजान सिंह तीन भाइयों – महेंद्र सिंह और वेद सिंह – में सबसे छोटे थे। तीनों भाइयों का अब निधन हो चुका है। वेद सिंह के दो बेटे गांव में रहते हैं, जबकि महेंद्र सिंह का बेटा बाहर नौकरी करता है। खजान सिंह के तीन बेटे – अनिल, अशोक और संजय – तथा एक बेटी है। तीनों भाइयों की पत्नियां सगी बहनें हैं, जिससे पारिवारिक संबंध और अधिक जटिल हो गए हैं। अनिल और संजय दोनों के दो-दो बच्चे हैं, जिनमें एक बेटा और एक बेटी शामिल हैं। अशोक का एक बेटा है।
पुलिस को मिले कुछ अहम सुराग
डीसीपी क्राइम अमित दहिया ने बताया कि पुलिस के हाथ कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य लगे हैं। पूछताछ में मुख्य आरोपित अशोक ने कबूल किया है कि पिता और भाई की हत्या के बाद दोनों के शवों को एक ही चिता में जलाया गया था।
उसने बताया कि दोनों की अस्थियां लाल कपड़े से बांधकर एक हांडी में रखी थीं। योजना थी कि इन्हें गंगाजी में विसर्जित किया जाएगा, लेकिन हांडी अभी तक घर में ही रखी थी। बीते रविवार को फॉरेंसिक टीमों ने घटनास्थल का सूक्ष्म निरीक्षण किया और हर छोटे से छोटा साक्ष्य जुटाने की कोशिश की।
पूछताछ में खुल रही हैं नई परतें
पूछताछ के दौरान लगातार नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। आरोपितों में दो महिलाएं भी शामिल हैं, जिनमें से एक को दमा की शिकायत बताई जा रही है। पुलिस ने कहा कि जब तक सभी कड़ियां साक्ष्यों से नहीं जुड़तीं, तब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जाएगा। कुल मिलाकर, हत्या का एक सिरा उस हांडी पर आकर टिक गया है जिसमें दोनों की अस्थियां रखी गई थीं। यदि यह हांडी मिल जाती है, तो उससे न केवल अपराध की पुष्टि होगी बल्कि हत्या के तरीके और समय का भी खुलासा संभव हो सकेगा।

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