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    पांडवों ने छुड़ाई थीं गायें, आज गरीबदास की छतरी साहिब बनाती है आस्था का केंद्र, जानें झज्जर के छुड़ानी गांव की कहानी

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 02:12 PM (IST)

    हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित छुड़ानी गांव, धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। महाभारत काल में पांडवों ने राजा विराट की गायों को यहां छुड़ाया था, जिसके क ...और पढ़ें

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    यहां पांडवों ने छुड़ाई थी राजा विराट की गाय, इसीलिए नाम पड़ा छुड़ानी (फोटो: जागरण)

    प्रदीप भारद्वाज, झज्जर। झज्जर जिले में बसा छुड़ानी गांव धार्मिक दृष्टि से बेहद अहम है। यहां का इतिहास महाभारतकालीन है। गांव का नाम छुड़ानी क्यों पड़ा इसके पीछे भी महाभारत समय का ही किस्सा है।

    बताते हैं कि जब कौरवों ने राजा विराट की गायों को हथिया लिया था, तब पांडवों ने इसी जमीन पर उन गायों को छुड़ाया था। इसीलिए गांव का नाम छुड़ानी पड़ा था। अब यह गांव कबीर दर्शन स्थली और गरीबदासीय पीठ के नाम से प्रसिद्ध है।

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    बता दें कि बहादुरगढ़-झज्जर मार्ग पर दुल्हेड़ा गांव से रास्ता छुड़ानी की तरफ जाता है। गांव में प्रवेश करते ही धर्मनगरी का साइन बोर्ड देखकर अहसास हो जाता है यह गांव खास क्यों है। इस गांव के मंदिरों की विशेष पहचान है।

    यहां पर आचार्य गरीबदास का छतरी साहिब धाम, कोठी दयालदास सतगुरु मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर और कबीर दर्शन स्थली प्रमुख हैं। गरीबदासीय धाम में वर्ष में दो बार मेला लगता है। फाल्गुन और भादो मेला। इनमें हरियाणा के अलावा दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान से

    पूर्व सरपंच सत्यवान ने कहा कि पांच साल के कार्यकाल में मैने गलियों के पुर्ननिर्माण के अलावा फिरनी को पक्का कराने, नाले बनवाकर ड्रेन में निकासी कराने, स्टेडियम, जिम बनाने। मातन लिंक ड्रेन का काम, सरकारी स्कूल में सुधार कार्य कराए। मौजूदा सरपंच विनोद कुमार ने बताया कि गांव में कई विकास कार्य करवाए हैं।

    भक्त पहुंचते हैं। विदेशों में बसे अनेक परिवार भी इस धर्मनगरी के प्रति अगाढ़ आस्था रखते हैं। महंत दयासागर बताते हैं कि आचार्य गरीबदास ने अठारहवीं सदी में यहां अवतार लिया था।

    10 वर्ष की उम्र में ही उनको कबीर साहिब के दर्शन हुए थे। गरीबदास उस समय गायों को चराने जंगल में गए थे। बाद में गायों को साथियों को सौंपकर ध्यान लगाकर एकांत में बैठ गए थे।

    कुछ देर बाद आचार्य गरीबदास के पास अन्य बालक पहुंचे तो वहां सूर्य का अत्यधिक प्रकाश था। कबीर साहिब ने उनको नाम व दान की दीक्षा दी। इस दिन के बाद से गरीबदास की ख्याति तेजी से फैलने लगी। गरीबदासीय वाणी का अखंड पाठ लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।

    गांव के निवासी कृष्ण वत्स बताते हैं कि प्रसिद्ध घाट और प्राचीन शिव मंदिर भी यहां की धरोहरों में से एक है। यहां से कभी चंद्रावती नदी बहती थी, जो बाद में सूख गई थी।

    लोगों के बीच मान्यता है कि आचार्य गरीबदास ने अपने जप-तप से नदी की धारा पुनः प्रकट की थी। पूर्व सरपंच सत्यवान बताते हैं कि गांव का जाटी वाला घाट भी प्रमुख स्थल है। इस घाट पर जाटी का पेड़ होता था।

    उस पेड़ से जुड़ा नाम यहां अमिट बन गया। यहां साढ़े 14 एकड़ का तालाब आसपास के क्षेत्र में सबसे विशाल है। धार्मिक महत्व रखने वाले इस गांव के ये तमाम ऐतिहासिक स्थल ही इसको खास बनाते हैं। इसीलिए यह छुड़ानी धाम मशहूर है। वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना रहता है। इसलिए ग्राम पंचायत ने विगत में कई सुविधाएं बढ़ाई हैं।