Haryana Vegetables Price Hike: बारिश से बढ़ी सब्जियों की महंगाई, झज्जर मंडी में आसमान छूते दाम; चेक करें रेट लिस्ट
झज्जर में बारिश के कारण स्थानीय सब्जियों की आवक घट गई है जिससे दूसरे राज्यों पर निर्भरता बढ़ी है। परिवहन लागत बढ़ने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं जिससे आम आदमी परेशान है। उम्मीद है कि डेढ़-दो महीने में स्थानीय सब्जियां आने से कीमतें कम होंगी। अभी सब्जियां हिमाचल प्रदेश राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आ रही हैं।

जागरण संवाददाता, झज्जर। बारिश के मौसम में इस समय लोकल सब्जियां मंडी में कम आने की वजह से दूसरे राज्यों की सब्जियों पर निर्भर होना पड़ रहा है और उन राज्यों में बारिश आने के कारण सब्जियों की सप्लाई भी कम पहुंच रही है। जिससे ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी अधिक होने के कारण सब्जियों के दामों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है।
कहा जा सकता है सब्जियां आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही हैं। सब्जियों के भाव आसमान छूने लगे हैं। उम्मीद है कि अभी लोकल सब्जियांं आने में करीब डेढ़ से दो माह लग जाएंगे।
बता दें कि जिला में करीब 5 हजार हेक्टेयर भूमि में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती होती है। जब स्थानीय सब्जियां मंडी में पहुंचने लगेंगी उस समय सब्जियों भाव में गिरावट आनी शुरू हो जाएगी।
हिमाचल, यूपी व राजस्थान से आ रही सब्जियां
जिले में अधिकांश सब्जियां हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों से आ रही है और यहां तक पहुंचने पर उनका खर्च बढ़ रहा है। जिसका असर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। सब्जी मंडी से दुकानदारों तक पहुंचने में और वहां से ग्राहकों तक उपलब्ध होने तक 20 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव बढ़ रहा है।
मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश से शिमला मिर्च, अरवी, घीया, ताेरई, गोभी, खीरा, टमाटर, भिंडी, मटर आदि, राजस्थान से प्याज, कचरी, ग्वार की फली आदि, उत्तर प्रदेश से आलू, नासिक से प्याज आदि सब्जियां आ रही हैं। वहीं झज्जर क्षेत्र में पेठा, घीया, तोरई, बैंगन, हरी मिर्च आदि कम मात्रा में आ रही हैं।
झज्जर मंडी में सब्जियों के भाव
सब्जी भाव
- आलू : 20 रुपये किलोग्राम
- प्याज : 25 से 30 रुपये किलोग्राम
- टमाटर : 50 से 60 रुपये किलोग्राम
- घीया : 40 से 60 रुपये किलोग्राम
- तोरई : 40 से 60 रुपये किलोग्राम
- कटहल : 60 रुपये किलोग्राम
- शिमला मिर्च : 120 से 140 रुपये किलोग्राम
- अरबी : 60 रुपये किलोग्राम
- परमल : 40 से 50 रुपये किलोग्राम
- हरी मिर्च :100 से 120 रुपये किलोग्राम
- भिंडी : 80 रुपये किलोग्राम
- पेठा : 20 से 30 रुपये किलोग्राम
- बैंगन : 40 से 60 रुपये किलोग्राम
- पालक : 20 रुपये जूटी
दूसरे राज्यों से सब्जियां आ रही है। इतनी दूर से सब्जियांं पहुंचने में खर्चा अतिरिक्त बढ़ जाता है। इस लिए आढ़तियों के पास से सब्जी महंगी मिलती हैं तो दुकानदार को भी दो-चार रुपये मुनाफा चाहिए।
- उमेश, दुकानदार।
दुकानदार मोहन कहते हैं, जब तक लोकल सब्जियां मंडी में पर्याप्त मात्रा में नहींं आती है, उस समय तक सब्जियों के भाव में गिरावट नहींं आएगी। बारिश का असर भी पूरा दिखाई दे रहा है।
सब्जी मंडी में सब्जी खरीदने के लिए आए थे। एक तो अच्छी सब्जियांं कम हैं ऊपर से भाव भी आसमान छूने लगे हैं। जब मंडी में ये हाल है तो दुकानों पर क्या होगा इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
- कैप्टन राजेंद्र सिंह, ग्राहक।
धर्मवीर सिंह कहते हैं कि सब्जी मंडी में तो कुछ हद तक सब्जियां ठीक मिल जाती हैं।बाजार में तो दुकानों पर सब्जी लेना मुश्किल होने लगा है।आम आदमी व गरीब आदमी के सामने परेशानी आने लगी है।
अभी मानसून के सीजन में सब्जियों की पैदावार कम होती है। मानसून का सीजन खत्म होगा तो स्थानीय क्षेत्र से सब्जियां आने लगेंगी तो भाव पर प्रभाव पड़ेगा। अब तीन-चार राज्यों से सब्जियां मंगवाई जा रही हैं। इतनी दूर से यहां तक पहुंचने में माल खराब भी हो जाता है। ट्रांसपाेर्ट का खर्चा भी बढ़ जाता है।
- सुनील यादव, पूर्व प्रधान, सब्जी मंडी, झज्जर।



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