हरियाणा: 20 साल बाद आई खुशहाली तो किसान ने क्यों की आत्महत्या? पेड़ पर लटका मिला शव
झज्जर के रेढ़ूवास गांव में किसान सूबे सिंह का शव पेड़ से लटका मिला। क्षेत्र में जलभराव से फसलें डूबने के कारण वह परेशान थे। इस बार अच्छी फसल की उम्मीद थी लेकिन बारिश और माइनर टूटने से 10 एकड़ फसल बर्बाद हो गई। कर्ज और फसल की बर्बादी से तंग आकर उन्होंने आत्महत्या कर ली। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

संवाद सूत्र, साल्हावास (झज्जर)। रेढ़ूवास गांव के भिंडावास झील के किनारे शनिवार दोपहर को किसान सूबे सिंह (48 वर्ष) का शव पेड़ से लटका मिला। उनके शव के पास ही ट्रैक्टर मिला। ग्रामीणों के अनुसार, इस क्षेत्र में जलभराव की समस्या पिछले दो दशकों से बनी हुई है।
हर साल बरसात में फसलें डूब जाती थीं, जिससे किसान निराश रहते थे। इस बार सिंचाई विभाग ने सौर ऊर्जा से चलने वाले बोरिंग लगाकर पानी की निकासी की थी, जिससे उम्मीद थी कि फसल अच्छी होगी। वास्तव में, 20 साल बाद धान की अच्छी फसल खड़ी हुई थी।
हालांकि, सूबे सिंह का शव मिलने की सूचना पर साल्हावास थाना पुलिस मौके पर पहुंची और साक्ष्य जुटाए। शव को पेड़ से उतारकर सामान्य अस्पताल झज्जर भेजा गया। थाना प्रभारी हरेश कुमार ने बताया कि मृतक के पिता जगदीश की शिकायत पर इत्तफाकिया कार्रवाई की जा रही है। रविवार को शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा।
सूबे सिंह की 10 एकड़ फसल पूरी तरह बर्बाद
हाल ही में हुई लगातार बारिश और कासनी माइनर के टूटने से स्थिति बिगड़ गई। ग्रामीणों के अनुसार, जब कोहंद्रावाली गांव को बचाने के लिए रेढ़ूवास रोड काटा गया, तो पानी का रुख इस क्षेत्र की ओर मुड़ गया। इसके परिणामस्वरूप सैकड़ों एकड़ धान पानी में डूब गई।
सूबे सिंह की 10 एकड़ फसल, जिसमें से 6 एकड़ जमीन उन्होंने पट्टे पर ली थी, पूरी तरह बर्बाद हो गई। उन्होंने 10 एकड़ धान की बुवाई में भारी खर्च किया था, जिसमें खाद-बीज, सिंचाई और मजदूरी का खर्च शामिल था।
पिता जगदीश ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि सूबे सिंह फसल खराब होते देख चिंतित थे और परिवार को अपनी परेशानी बताते रहते थे। शनिवार को वह ट्रैक्टर लेकर खेत की ओर निकले, लेकिन शाम तक घर नहीं लौटे। बाद में सूचना मिली कि उन्होंने भिंडावास झील के पास पेड़ से फांसी लगा ली है।
500 से 600 एकड़ जमीन में दो से तीन फीट पानी अभी भी भरा
गांव के सरपंच सतवीर सिंह ने बताया कि विधायक गीता भुक्कल ने 15 दिन पहले गांव का दौरा किया था और अधिकारियों को मोटर लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग ने कहा कि उनके पास मोटरें नहीं हैं। इस कारण सैकड़ों किसानों की मेहनत बर्बाद हो गई।
सरपंच के मुताबिक इस समय एरिया में करीब 500 से 600 एकड़ जमीन में दो से तीन फीट पानी भरा है। अधिकांश किसानों की धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। किसान भी कर्ज और खर्च के बोझ तले दबे हैं।
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता सतीश कुमार जनावा ने बताया कि कासनी माइनर टूटने से पानी की निकासी में समस्या आई थी। विभाग के पास पंपों की कमी थी और किराए पर भी पंप उपलब्ध नहीं हो पाए।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, सूबे सिंह ने ट्रैक्टर लेकर घर से निकला था। उनकी पत्नी ने ढाई बजे फोन किया, लेकिन फोन बंद मिला। साढ़े तीन बजे वह मुंडाहेड़ा में खाद-बीज की दुकान के पास सीसीटीवी में दिखे। एक घंटे बाद सूचना मिली कि उनका शव पेड़ से लटका हुआ है।
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