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    8 हजार गायों वाली डीघल गौशाला में आज भी नहीं बेचा जाता दूध

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 12 Jun 2019 01:16 AM (IST)

    पूर्ण कौशिक बेरी करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव डीघल की गौशाला में करीब ...और पढ़ें

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    8 हजार गायों वाली डीघल गौशाला में आज भी नहीं बेचा जाता दूध

    पूर्ण कौशिक, बेरी : करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव डीघल की गौशाला में करीब 8 हजार गाय है। गायों के प्रति समर्पण भावना और गौशाला से जुड़े दानवीरों की यहां कोई कमी नहीं है। खास बात यह हैं कि इतनी बड़ी संख्या में गौवंश होने के बावजूद गाय का दूध आज तक नहीं बेचा जाता। ग्रामीण रणबीर सिंह ने बताया कि 65 गांव की डीघल गौशाला में दान देने वालों की होड़ लग जाती है। लाखों रुपये दान के अलावा दानवीर गोमाता के लिए अनाज की ट्रालियां भरकर देते हैं। दरअसल, झज्जर-रोहतक मार्ग पर स्थित डीघल गांव वीआईपी लोगों के गांव के रूप में पहचान बनाता जा रहा है। गांव के अधिकतर नौजवान फौज-पुलिस में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं। गांव की मिट्टी से बड़े हुए युवा विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पद तक भी पहुंचे हैं। यही नहीं देशसेवा के साथ-साथ खेलों में भी डीघल के नौजवानों ने खूब नाम कमाया है। बिग्रेडियर रणसिंह हरियाणा सरकार में स्पीकर पद पर रहे। स्थिति ऐसी है कि गांव के हर घर से प्राय: एक युवक सेना या हरियाणा पुलिस में सेवा दे रहा है। ---सत्ता के गलियारे में भी किया प्रतिनिधित्व पूर्व सैनिक जगत सिंह अहलावत का कहना है कि गांव के ही बिग्रेडियर रणसिंह बीएसएफ में डायरेक्टर रहे। देश सेवा के बाद राजनीति में ब्रिगेडियर रणसिंह ने बेरी विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया और विधानसभा के स्पीकर पद पर रहे। वहीं भीम सिंह संयुक्त हरियाणा पंजाब राज्य में बतौर डीसी के पद पर रहे। गांव के दलपत सिंह अहलावत डिस्ट्रिक बोर्ड के चेयरमैन रहे, हरिसिंह अहलावत हरियाणा पुलिस में आईजी के रूप में सेवा दे चुके है, गांव ने सूरत सिंह अहलावत के रूप में एसपी दिया, सेना में मेजर जनरल एसइस अहलावत, जयभगवान जॉइंट कमिश्नर सेल टैक्स दिल्ली,डीएसपी नरेश अहलावत उच्च पद पर रहे। साथ ही ऐसी और भी लंबी सूची हैं कि जिसमें गांव की मिट्टी से निकले युवाओं ने यहां का हरियाणा ही नहीं देश भर में नाम रोशन किया है। ----पुस्तकालय से मिल रहा विद्यार्थियों को फायदा गांव में एक पुस्तकालय भी है। जिसका निर्माण 23 मार्च 2015 को किया गया। जगत सिंह अहलावत का कहना है कि इस पुस्तकालय से बहुत बच्चों को लाभ मिल रहा है। जब इस पुस्तकालय का निर्माण हुआ।उस समय इसमें 50 बच्चों ने पढ़ना शुरू किया। उन 50 बच्चों में से 45 बच्चों को सरकारी नौकरी मिल गई।जिसके चलते दिन प्रतिदिन पुस्तकालय में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ---140 साल पुराना है जोहड़ का इतिहास अहलावत खाप के प्रधान जय सिंह ने बताया कि डीघल के चारों तरफ जोहड़ व तालाब हैं। गांव में एक ऐसा जोहड़ भी है जिसमें नहाने या जोहड़ की मिट्टी लगाने से पुराने से पुराने मश खत्म हो जाते हैं। इस जोहड़ में नहाने के लिए काफी दूर दराज से लोग पहुंचते हैं। इसी कड़ी में गांव की पहचान एक शिवालय से होती है। ग्रामीण अशोक सेठ ने बताया कि इसका निर्माण सेठ धनीराम के परिवार ने 140 वर्ष पहले करवाया था। इसकी ऊंचाई लगभग 110 फीट है और काफी दूर से दिखाई देता है।सेठ धनीराम का परिवार कोलकाता दिल्ली या कहीं भी हो साल में अलग-अलग समय पर आकर इसकी संभाल करते हैं तथा भंडारे भी लगाते हैं।इसके नाम से जोहड़, गऊघाट व कुआं आदि का नाम भी जुड़ा हुआ है। ---वीर सैनिकों की याद में स्मारक देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए गांव का कोई जवान जब शहीद हो जाता है तो उसकी शहादत का जिदा रखने के प्रयास में गांव में करीब 30 लाख रुपये की लागत से एक यादगार भवन बनवाया गया हैं । इस भवन को बनवाने का विचार जगत सिंह का ही था। पूर्व सैनिक जगत सिंह का कहना है कि स्वतन्त्रता सेनानियों की सूची , प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध के योद्धाओं की सूची , राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों के साथ - साथ गांव डीघल के उत्कृष्ट खेल प्रशिक्षकों की सूची भी लगवाई गई है । इसी के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त , वरिष्ठ अधिकारी , इतिहास में गांव का नाम रोशन करने वाले व्यक्तियों के नाम भी अंकित हैं । यादगार भवन के बनने से पूर्व सैनिक कल्याण समिति , ग्राम पंचायत , शहीदों के परिवारों व गांव डीघल के लोगों का सपना पूरा हुआ है । ग्रामीणों के मुताबिक सीमा पर शहादत का सम्मान प्रत्येक देशवासी के लिए नैतिक फर्ज है । गांव में चल रहे विकास कार्य बेहतर जीवन के लिए आधार का काम करते हैं । ----गांव में दो बेटियों को मिला स्वर्ण पदक गुरुजंभेश्वर विश्वविद्यालय हिसार में आयोजित दीक्षांत समारोह में गांव डीघल की दो बेटियों को रेलमंत्री सुरेश प्रभु , राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने गोल्ड मेडल प्रदान किए। बिदु हिसार में एमएससी अप्लाइड साइकोलॉजी विषय में टॉप रैंकिग हासिल की है । फिलहाल वह हिदू महिला कॉलेज सोनीपत में असिस्टेंट प्रोफेसर है । वहीं गांव की लड़की वेदित अहलावत को एमएससी नैनो टेक्नोलॉजी में गोल्ड मेडल हासिल किया है ।

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