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    पुराने मिथक तोड़ते हुए विशेषज्ञों की टीम आज से पहुंचेंगी सरकारी स्कूलों में काउंस¨लग के लिए

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 10 Feb 2019 11:17 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, झज्जर : कम उम्र में विद्यार्थी को सही दिशा मिल जाए, तो जीवन का सफर आसान हो

    पुराने मिथक तोड़ते हुए विशेषज्ञों की टीम आज से पहुंचेंगी सरकारी स्कूलों में काउंस¨लग के लिए

    जागरण संवाददाता, झज्जर : कम उम्र में विद्यार्थी को सही दिशा मिल जाए, तो जीवन का सफर आसान हो जाता है। इसलिए स्कूल के दिनों से ही काउंस¨लग का महत्व और बढ़ जाता है। यह समय की मांग भी है कि काउंस¨लग के माध्यम से बच्चों और अभिभावक दोनों से चर्चा की जाए। प्राय: निजी स्कूलों में होने वाले इस तरह के प्रयोग से कदमताल करते हुए सरकारी स्कूलों में भी सोमवार से परीक्षा को लेकर काउंस¨लग की प्रक्रिया शुरु होने जा रही है। कहा जा सकता है कि सरकारी स्कूलों से जुड़े पुराने मिथक को तोड़ते हुए शिक्षा विभाग से जुड़े हुए विशेषज्ञों की टीम विद्यार्थी, स्टॉफ एवं अध्यापकों के साथ समय बिताएगी। पहले चरण में 0 से 10 फीसद तक परीक्षा परिणाम लाने वाले पांच स्कूलों को चिह्नित किया गया है। मार्च में होने वाली बोर्ड की परीक्षा तक टीम के सदस्य 50 फीसद तक का परिणाम देने वाले स्कूलों में जाएंगे। ताकि विद्यार्थियों को इस समय में मिलने वाली मदद परीक्षा परिणाम को सुधारने में फायदेमंद साबित हो। ----स्टॉफ को मिलेगी मदद काउंस¨लग में विद्यार्थियों के साथ-साथ स्टॉफ को भी एक प्लेटफॉर्म मिलता है, जहां वे अपनी परेशानी को रख पाते हैं। अगर किसी अध्यापक को परेशानी आ रही है, तो काउंसलर की हेल्प से वह बच्चों को चीजों को समझाने के लिए नए ट्रिक्स अपना पाता है। डिप्टी डीइओ राजेश खन्ना के मुताबिक बीएड की पढ़ाई के दौरान साइकॉलजी इसीलिए पढ़ाया जाता है, ताकि वे बच्चों की साइकॉलजी को अच्छे से समझ सकें। विशेषज्ञ मानते हैं कि अच्छी स्कू¨लग के लिए जरूरी है कि काउंस¨लग के अलावा टीचर्स को स्कूल में ऐसी ट्रे¨नग दी जानी चाहिए। इसका फर्क बच्चे, अभिभावक और स्कूल तीनों जगहों पर नजर आता है।

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    हम सब यह जानते हैं कि वो दिन दिन बीत गए, जब पढ़ाई में अच्छा करना ही काफी होता था। आज हर किसी की नजर टॉप करने वालों पर टिक जाती है। एक ओर जहां हर स्कूल चाहता है कि उसके यहां अच्छे दिमाग वाले बच्चे प्रवेश लें और उनका स्कूल नंबर वन पर रहे। अभिभावक भी स्कूल में बच्चे को टॉपर के रूप में देखना चाहते हैं। जिससे दोहरा दबाव बनता है। बदल रही इस तस्वीर के बीच सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी, खास तौर ऐसे जहां पर बोर्ड का परीक्षा परिणाम 50 फीसद से भी कम रहा है, के बच्चों का मनोबल काफी कम रहता है। साथ ही अध्यापक भी परेशान रहते है। इसी दबाव को कम करने के साथ-साथ परिणाम बढि़या आ सके, को ध्यान में रखते हुए काउंस¨लग की यह प्रक्रिया शुरू की जा रही है। ताकि कमजोरी को समझते हुए इन स्कूलों के विद्यार्थियों को विशेष तैयारी के लिए एक शेड्यूल बनाकर दिया जाए। आंकलन किया जाए कि अतिरिक्त लगाई जाने वाली कक्षाओं में भी ऐसा क्या पढ़ाया जाए। जिससे परिणाम तो सुधरें, विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर में भी सुधार हो। ताकि उन्हें कतई यह नहीं लगे कि शिक्षकों के स्तर पर मेहनत नहीं की गई। ---विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर में होगा विकास 0 से 10 फीसद तक के इन स्कूलों में पहुंचेंगी टीम : शिक्षा विभाग के स्तर पर किए जा रहे इस प्रयास में पहली टीम में मनोविज्ञान प्रवक्ता पूजा नांदल, सक्षम के नोडल अधिकारी सुदर्शन पूनिया तथा उप जिला शिक्षा अधिकारी राजेश खन्ना शामिल है। जो कि जैतपुर, सुबाना, ढाकला, खातीवास तथा साल्हावास के स्कूल में विजिट करेंगे। तीन विशेषज्ञों की टीम पहले भी जिला में शिक्षा के स्तर पर खास काम करके दिखा चुकी है। यहां बताना उचित होगा कि खंड शिक्षा अधिकारी रहते हुए राजेश खन्ना की अगुवाई में मातनहेल ब्लॉक ही सबसे पहले सक्षम ब्लॉक बना था। नोडल अधिकारी सुदर्शन पूनिया की अगुवाई में ही पूरा जिला प्रदेश में सबसे पहले सक्षम जिला बना है। जबकि अब सक्षम प्लस की दिशा में तैयारी करवाई जा रही है। साथ ही मनोविज्ञान प्रवक्ता विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के स्तर पर सामने आने वाली दिक्कतों का समाधान सुझाएगी। उल्लेखनीय है कि इन दिनों में बोर्ड की परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों के लिए स्कूल में छुट्टी के दिन भी अतिरिक्त कक्षाएं भी लगाई जा रही है। ---हेलो जागरण की तर्ज पर अंत में होगा कार्यक्रम विद्यार्थियों की मदद के लिए दैनिक जागरण के स्तर पर चलाए जाने वाले अभियान की तर्ज पर ही तैयार किए प्रारुप में हेलो जागरण जैसा कार्यक्रम भी किया जाना है। टीम के स्तर पर दौरा पूरा होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी सहित अन्य विशेषज्ञों के साथ एक सामूहिक स्तर पर कार्यक्रम किया जाएगा। जिसमें प्रयास रहेगा कि परीक्षा परिणाम को सुधारने के लिए सरकारी स्कूलों में किस तरह और अधिक अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाए।

    --- पहले चरण में 0 से 10 फीसद तक के स्कूलों में टीम पहुंचेंगी। 50 फीसद तक का परिणाम लाने वाले स्कूलों का चयन करते हुए सूचीबद्ध किया जाएगा। प्रयास है कि विशेषज्ञ विद्यार्थी, अभिभावक एवं स्टॉफ की हर संभव मदद कर पाए। जिला शिक्षा अधिकारी की अगुवाई में टीम विभिन्न स्कूलों का दौरा करेगी।

    राजेश खन्ना, उप-जिला शिक्षा अधिकारी।

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