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    हरियाणा में वायुसेना अधिकारी ने ठुकराया दहेज, लिया केवल एक रुपये का शगुन; तीन पीढ़ियों से देश सेवा कर रहा परिवार

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 02:43 PM (IST)

    मातनहेल गांव के साहिल ने दहेज के खिलाफ अनूठी मिसाल पेश की है। वायुसेना में कार्यरत साहिल ने अपनी सगाई में दहेज लेने से इनकार कर दिया और केवल एक रुपये का शगुन लिया। वधू पक्ष द्वारा लाए गए दहेज को लौटाकर उन्होंने समाज को संदेश दिया कि शादी लेन-देन नहीं, बल्कि दो परिवारों का पवित्र मिलन है। उनके इस कदम की पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है।

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    वायुसेना अधिकारी ने सिर्फ 1 रुपये के शगुन पर सगाई की।

    संवाद सूत्र, साल्हावास। मातनहेल गांव का एक युवा, भारतीय वायुसेना में कार्यरत साहिल पुत्र संजीत सुहाग, दहेज प्रथा के खिलाफ एक ऐसा उदाहरण बनकर उभरा है जिसे पूरा क्षेत्र सलाम कर रहा है। समाज में फैली कुरीतियों पर प्रहार करते हुए साहिल ने अपनी सगाई के दौरान वधू पक्ष से दहेज में कुछ भी लेने से साफ इनकार कर दिया।

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    परंपरागत तौर पर जहां कैश, गहने और अन्य सामान दिया जाता है, बधू पक्ष यह लेकर भी पहुंचा था, वहीं साहिल ने मात्र 1 रुपये का शगुन लेकर एक सशक्त और सकारात्मक संदेश दिया - हमारे लिए दुल्हन ही दहेज है।

    दहेज का सामान लौटाया

    रोहतक के कबूलपुर निवासी समुद्र डागर अपनी बेटी निधि का रिश्ता लेकर मातनहेल पहुंचे थे। परिवार की परंपरा के अनुसार वे कैश और गहनों सहित भारी शगुन लेकर आए थे, लेकिन साहिल के पिता संजीत सुहाग ने वह सब सम्मानपूर्वक लौटा दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, शादी दो परिवारों का पवित्र मिलन है, लेन–देन का सौदा नहीं। वर पक्ष द्वारा दहेज न लेना और केवल प्रतीकात्मक एक रुपया स्वीकार करना पूरे समाज के लिए संदेश बन गया है कि बदलाव बड़े भाषणों से नहीं, बल्कि छोटे–छोटे कदमों से आता है।

    गांव में खुशी और गर्व का माहौल

    इस पहल की खबर पूरे इलाके में फैल चुकी है। ग्रामीण इसे आज के समय में अत्यंत साहसिक निर्णय मानते हैं। उनका कहना है कि यदि समाज में ऐसे निर्णय लेने वाले युवाओं की संख्या बढ़े, तो दहेज प्रथा खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी। साथ ही परिवार ने भात में भी केवल एक रुपये का ही प्रतीकात्मक आदान–प्रदान किया, जिसने उनके संकल्प को और मजबूत साबित किया।

    सोच में बदलाव से शुरू हुआ बड़ा कदम

    साहिल पिछले छह वर्षों से भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे रहे हैं। 2018 में दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के दौरान एक साथी ने हरियाणा में घटते लिंगानुपात और बेटियों पर होने वाले सामाजिक दबाव की चर्चा की, जिसने साहिल को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने बताया कि झज्जर में उपायुक्त रही सोनम गोयल के कार्यकाल में ‘बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ’ अभियान के जरिए जिले में लिंगानुपात में सुधार हुआ। यह सामाजिक परिवर्तन उनके मन में और अधिक प्रेरणा का कारण बना।

    परिवार के साथ विचार–विमर्श कर साहिल ने लिया दृढ़ निश्चय

    साहिल का परिवार तीन पीढ़ियों से देश की सेवा में है। उनके पिता संजीत सुहाग जाट रेजीमेंट से सेवानिवृत्त होकर वर्तमान में दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं। परिवार की यह परंपरा अब सिर्फ देश-सेवा तक सीमित नहीं रही, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में भी मजबूत कदम बनकर सामने आई है।