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    अनूठा है बादली का चुनाव

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    Updated: Tue, 15 Sep 2015 05:25 PM (IST)

    संवाद सूत्र, बादली : बादली गांव के नाम से ही विधानसभा हलका भी है। ये गांव अपने आप में विशिष्ट है और

    संवाद सूत्र, बादली : बादली गांव के नाम से ही विधानसभा हलका भी है। ये गांव अपने आप में विशिष्ट है और यहां होने वाला चुनाव भी। पूर्व विधायक नरेश शर्मा पहले इसी गांव के सरपंच थे। गांव की चौधर हासिल करने के बाद ही वो दो दफा विधायक बने। भंग पंचायत के सरपंच रतिराम छनपाड़िया फिलहाल जेल में हैं। गांव की आबादी 14 हजार के लगभग है तो यहां पर वोटर तकरीबन 9728 हैं।

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    समृद्ध इतिहास है बादली का

    बादली गाव हरियाणा प्रदेश के झज्जार जिले में स्थित एक अत्यंत प्राचीनए ऐतिहासिक एवं बडा गाव है। यह हरियाणा-दिल्ली की सीमा से दो किलोमीटर की दूरी पर नजफगढ़-झज्जाररोड और बहादुरगढ़-गुड़गाव रोड के चौराहे पर स्थित है। यह नजफगढ़ से 20 किलोमीटर, झज्जार से 15 किलोमीटर, बहादुरगढ़ से 18 किलोमीटर और गुडगाव से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। गाव में चार पाने है :- पहला पाना चौधराण, दूसरा लाख्याण, तीसरा मिंघाण और चौथा चूडाण। जिनमें से चौधराण पाना सबसे अहम है। गाव का नाम दादी बोदली नामक वीर और निडर महिला के नाम पर बादली रखा गया। लगभग नौंवी शताब्दी में कोयलपुर खेतावास से गुलिया खाप के कुछ पूर्वज यहा पर आकर बसे थे। गाव बादली में जाट गोत्र मुख्य रूप से रहा है। इस गाव के जाटों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर भाग लिया था। गाव में पंचायती राज के फैसले आज भी गुलिया खाप ही लेती है। इस खाप का इतना ज्यादा असर है कि विधायक वो ही बनता है जिसके नाम को गुलिया खाप रजामंदी देती है। गुलिया खाप के 24 गाव है, जिनकी बागडोर बादली गाव के पास है। गाव के ही निवासी धीरपाल सिंह गुलिया लगातार 5 बार विधायक बने थे।

    यहा के प्राचीन व ऐतिहासिक स्मारकों में एक विशाल सात चौकी हवेली थी जो अब एक खण्डर का रूप लेने लगी थी मगर लोगों ने उसके ऊपरी तल की मुरम्मत करवाकर उसका प्रयोग आरभ कर दिया है। दूसरी विशाल इमारत एक मुगलकालीन लाल हवेली है। कहा जाता है कि दिल्ली के लाल किले के बनने के बाद बची हुई भवन सामग्री जैसे ईट, पत्थर और लकड़ी आदि का प्रयोग इस हवेली को बनाने के लिए किया गया था। यह हवेली अब एक खंडहर का रूप ले चुकी है।

    खेलों में भी यहा के बच्चों ने काफी नाम कमाया है। बहुत पहले से ही यहा के बच्चे खेलों में रूचि लेते रहे है। फुटबाल टीम यहा की प्रसिद्ध टीम रही है। इस विषय में हनुमान जी के नाम का काफी योगदान रहाहै। उनके मार्गदर्शन में हनुमान फुटबाल क्लब की स्थापना हुई। बादली गाव की टीम राष्ट्रीय स्तर पर भी खेल चुकी है। जिले और प्रदेश में कई बार पुरस्कार पाती रही है। गाव के सीनियर सैकेण्डरी स्कूल में पिछले साल हॉलैंड और हरियाणा टीम के बीच में मैच हुआ था जिसमें बादली के खिलाडियों ने हिस्सा लिया था। भारत में पहली बार किसी गाव में विदेशी टीम के साथ मैच हुआ था। फिलहाल गांव में चुनावी रंग है। पूर्व सरपंच हत्या के मामले में जेल में हैं लिहाजा वो चुनाव नहीं लड़ सकते। लेकिन चौधर पर पकड़ तो कायम रखनी है। इसस वजह से चर्चा है कि उनका भतीजा विरासत संभालेगा। उन्हें चुनौती देने कौन आता है ये बात नामांकन के बाद ही पता चलेगी।

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