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तलाक बिना युवती ने रचाई दूसरी शादी, दूसरे पति से मांगा गुजारा भत्‍ता, कोर्ट ने कहा, नहीं मिलेगा

युवती ने दूसरे पति पर भी आरोप लगाया कि उसने उसे घर से निकाला। गुजारा भत्‍ता मिले। वहीं दूसरे पति ने कहा युवती ने जिससे पहली शादी की उस युवक को तलाक नहीं दिया मैं भत्‍ता नहीं दूंगा

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 03:24 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 08:56 AM (IST)
तलाक बिना युवती ने रचाई दूसरी शादी, दूसरे पति से मांगा गुजारा भत्‍ता, कोर्ट ने कहा, नहीं मिलेगा
तलाक बिना युवती ने रचाई दूसरी शादी, दूसरे पति से मांगा गुजारा भत्‍ता, कोर्ट ने कहा, नहीं मिलेगा

फतेहाबाद, जेएनएन। महिलाओं के साथ कुछ भी गलत होने पर उनका उन्‍हें हक दिलाने के‍ लिए कई कानून बनाए गए हैं। मगर कानून का पालन नहीं करने पर महिलाओं को भी अधिकार से वंचित होना पड़ता है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार की अदालत ने पहले पति से बिना तलाक लिए दूसरी शादी करने वाली पत्नी को गुजारा भत्ता की हकदार ना मानते हुए पति की रिवीजन पटीशन को स्वीकार करते हुए निचली अदालत के फैसले को सैट-असाइड कर दिया है। जानकारी के मुताबिक जगजीवनपुरा निवासी स्वाति ने जीरकपुर निवासी अपने पति रोहित चावला के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 125 के तहत निचली अदालत में गुजारा भत्ता दिलवाए जाने की याचिका दायर की थी।

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स्वाति ने अपनी याचिका में बताया था कि उसका विवाह रोहित चावला के साथ 4 नवंबर 2011 को हुआ था। उसके पति की आइडीबीआइ बैंक जालंधर में नौकरी लग गई और वह वहां चला गया तथा उसे जीरकपुर छोड़ गया। स्वाति ने आरोप लगाया कि उससे दहेज के रूप में एक कार और 10 लाख रुपये की मांग की गई थी। इसी के चलते उसे घर से निकाल दिया गया। उसका पति आइडीबीआइ बैंक से 75 हजार रुपये मासिक सैलरी लेता है। उसके पिता की 50 हजार रुपये पेंशन आती है। निचली अदालत ने पति रोहित को अपनी पत्नी स्वाति को प्रति माह 25 हजार रुपये अंतरिम गुजारा भत्ता अदा करने के आदेश दिए थे।

वहीं, उसके पति रोहित का आरोप था कि स्वाति की शादी उससे पहले अंशुल नाम के व्यक्ति के साथ हुई थी और उनके बीच में कोई तलाक नहीं हुआ था। सत्र न्यायालय ने रिवीजन पटीशन की सुनवाई करते हुए कहा कि स्वाति पहले से शादीशुदा थी और उसने दूसरी शादी बिना तलाक लिए रोहित से की है। सीआरपीसी धारा 125 के तहत बिना तलाक लिए दूसरी शादी करने वाली पत्नी गुजारा भत्ता की हकदार नहीं होती। इसलिए रोहित की रिवीजन पटीशन स्वीकार की जाती है और निचली अदालत का फैसला सेट एसाइड किया जाता है।


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