क्यों गूंगी हो रही हैं भैंसे, रिचर्स में हुआ हैरान करने वाला खुलासा
हरियाणा और पंजाब में केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के एक अध्ययन में पाया गया है कि भैंसें झुंड से दूर रहने के कारण धीरे-धीरे संवाद करना बंद कर रही हैं जिससे गर्भधारण और दूध उत्पादन प्रभावित हो रहा है। शहरीकरण और प्राकृतिक आवास की कमी इसके मुख्य कारण हैं। वैज्ञानिक एक सेंसर विकसित कर रहे हैं जो भैंसों के व्यवहार का विश्लेषण करेगा।

अमित धवन, हिसार। भैंस अब धीरे-धीरे गूंगी होती जा रही हैं। ऐसा उनके झुंड से दूर रहने के कारण है। इसका प्रभाव गर्भधारण और दूध उत्पादन पर पड़ रहा है। यह चिंताजनक स्थिति केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी) की हरियाणा और पंजाब में की एक रिसर्च में सामने आई है।
इसमें पता चला है कि भैंसें अब अकेलेपन के कारण संवाद करना बंद कर रही हैं। शहरीकरण और प्राकृतिक आवास की कमी इसके मुख्य कारण हैं। वर्ष 1990 के बाद ये समस्या बढ़ी है। इस समस्या के समाधान के लिए सीआईआरबी के वैज्ञानिक एक अभिनव सेंसर विकसित कर रहे हैं, जो भैंसों के व्यवहार का विश्लेषण करेगा। इसी आधार पर इस स्थिति से उबरने के प्रयास होंगे।
43,76,644 भैंस हैं हरियाणा में, हिसार में सबसे ज्यादा
प्रदेश में 43 लाख 76 हजार 644 भैंस है। 2019 की पशु गणना के अनुसार हिसार में 4.26 लाख से ज्यादा भैंस है तो जींद में 3.96 भैंस है। इसके अलावा भिवानी में 2.77, फतेहाबाद में 2.34 लाख, कैथल में 2.81 लाख, करनाल में दो लाख, सिरसा में 2.50 लाख और सोनीपत में 2.25 लाख भैंस है। पशु विज्ञानियों की मानें तो पशुओं की संख्या पहले के मुकाबले घटी थी।
सेंसर से पता चलेगा क्यों बदला भैंस का व्यवहार
सीआईआरबी के निदेशक डॉ. यशपाल ने बताया कि इस सेंसर और अनुसंधान से भैंसों के व्यवहार में आए बदलावों को समझकर, वैज्ञानिक उन्हें उनके पुराने प्राकृतिक माहौल में वापस लाने का प्रयास करेंगे। परियोजना में सीआईआरबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार, आस्ट्रेलिया की एडिलेड यूनिवर्सिटी के डॉ. मेहर खटकड़, डॉ. यैंग ली एंग और नाभा के डॉ. मुस्तफा हसन शामिल हैं। ये सभी वैज्ञानिक मिलकर नीली रावी व मुर्राह नस्ल पर अनुसंधान कर रहे हैं।
हरियाणा-पंजाब में 500 पशुओं पर होगा सेंसर ट्रायल
सीआईआरबी के साथ आस्ट्रेलिया की एडिलेड यूनिवर्सिटी और पंजाब में विज्ञानियों की तरफ से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। सेंसर को 500 से ज्यादा भैंसों में लगाया जाएगा। इसे पंजाब के नाभा, सीआईआरबी और किसानों की भैंस में लगाने का निर्णय लिया गया है।
एक साल में यह पूरी रिपोर्ट सेंसर विज्ञानियों तक देगा। इसके बाद भैंस को पुराना माहौल देने के लिए तैयार की जाएगी। प्रोजेक्ट को क्लाइमेट स्मार्ट बफैलो फार्मिंग नाम दिया गया है।
भैंस एक तरह से गूंगी हो गई है। उसका आवाज की पहचान कर उसको प्राकृतिक पुराना माहौल दिया जाए इसको लेकर सेंसर बनाया जा रहा है। यह हरियाणा और पंजाब में भैंसों में लगाया जाएगा। भैंस आवाज से उसको पुराना माहौल देने पर काम होगा। -डॉ. अशोक बल्हारा, प्रधान विज्ञानी, केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।