क्या था रेलू राम हत्याकांड? प्रॉपर्टी के लिए बेटी ने अपने ही घर को बना दिया श्मशान, 8 लोगों को उतारा था मौत के घाट
हरियाणा के हिसार में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। संपत्ति विवाद में एक बेटी ने अपने ही परिवार के आठ सदस्यों की निर्मम हत्या कर दी। आरोपी बे ...और पढ़ें

दोषी सोनिया और संजीव (जागरण ग्राफिक्स)
जागरण संवाददाता, हिसार। पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया की बेटी सोनिया ने पति के साथ मिलकर पिता समेत आठ लोगों की संपति की खातिर जघन्य अपराध को अंजाम दिया था। पुलिस ने जब सोनिया को गिरफ्तार किया तो शक हुआ कि एक महिला आठ कत्ल नहीं कर सकती।
फिर पुलिस को पति संजीव पर शक हुआ। पुलिस संजीव के घर सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) पहुंची। संजीव वहां पर नहीं मिला। पुलिस ने परिवार के सदस्यों के साथ सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि संजीव अपने मामा के घर है।
पुलिस ने एक महीने के बाद पानीपत से संजीव को गिरफ्तार किया। अदालत में पेश कर उसका लाई डिटेक्शन टेस्ट करवाने की अनुमति मांगी। फिर उसका लाई डिटेक्शन टेस्ट (पॉलीग्राफ टेस्ट) करवाया। टेस्ट के दौरान चिकित्सक रजनी गांधी के सामने बताया कि मैंने और सोनिया ने मिलकर आठ लोगों को मारा है। उसके पिता सारी प्रॉपर्टी अपने बेटे सुनील के नाम करने वाले थे। सोनिया नहीं चाहती थी सारी संपत्ति सुनील के नाम हो। बताया जाता है कि रेलूराम करीब 100 एकड़ जमीन के मालिक थे।
प्लान के लिए सोनिया के जन्मदिन को चुना था
संजीव ने बताया था कि प्लान के लिए सोनिया के जन्मदिन को चुना था। 23 अगस्त को सहारनपुर से पटाखे, जहर की शीशी, पिस्टल और 24 कारतूस खरीदे थे। हिसार पहुंचने के बाद सोनिया की बहन पम्मा को स्कूल से लेकर कोठी पर आ गए।
मैं गाड़ी के पीछे वाली सीट पर लौट गया ताकि चौकीदार को लगे की गाड़ी में सोनिया और पम्मा ही है। पहले पिस्तौल से सभी को एक साथ मारना था, लेकिन जन्मदिन पर एक साथ नहीं जुटे। फिर भारी भरकम लोहे की रॉड से हत्या करने की सोची। नीचे स्टोर रूम से लोहे की रॉड लाकर हमला कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट जाएंगे: खोवाल
अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि हाईकोर्ट ने दो महीने की अंतरिम जमानत दी है। स्टेट लेवल की कमेटी के सामने रखा गया था कि जेल के अंदर सोनिया ने 17 बार झगड़ा किया और सात बार संजीव ने।
वहीं इन पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। हाईकोर्ट ने स्टेट लेवल की कमेटी को दोबारा से आकलन करने को कहा है। उन्होंने बताया कि वे अब सुप्रीम कोर्ट में पेश होंगे और दोनों की रिहाई पर रोक लगवाने के लिए याचिका दायर करेंगे।
साल 2004 में सोनिया और संजीव ने फांसी की सजा के खिलाफ पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की। 2005 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा।
फांसी का ब्लैक वांरट भी जारी किया
साल 2009 में सेशन कोर्ट ने सोनिया और संजीव की फांसी की तारीख तय करने के लिए ब्लैक वारंट जारी कर दिया। इसी दौरान सोनिया और संजीव ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा दी। जिस कारण फांसी की तारीख टल गई। 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इस याचिका को खारिज कर दी।
साल 2014-15 में सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर फैसला सुनाया कि फांसी की सजा पाए ऐसे कैदी जो लंबे वक्त से अपनी मौत की तारीख गिन रहे हैं सही मायने में उनकी हर दिन मौत होती रहती है। इसलिए उनकी फांसी की सजा उम्रकैद में बदला जाए। इसमें 14 मामले थे जिसका फायदा सोनिया और संजीव को मिला।
2004 में सोनिया और संजीव ने सजा के खिलाफ की थी अपील
अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि हिसार की अदालत में चार साल तक केस चला था। 31 मई 2004 को सेशन जज अरविंद कुमार ने 165 पन्नों के जजमेंट में इस केस को रेयरेस्ट आफ रेयर माना था। सोनिया और संजीव को दोषी मानते हुए जज ने कहा था कि ये प्लांड मर्डर था। संपत्ति के लालच में बेरहमी से जान ली।

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