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    मौसम विज्ञान के शब्द पश्चिमी विक्षोभ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन आखिर क्या होते हैं, जानिए पूरी जानकारी

    By Naveen DalalEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jul 2022 11:40 AM (IST)

    हरियाणा में दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्र में अभी तक वर्षा नहीं हुई है। ऐसे में किसान से लेकर आम आदमी तक को गर्मी से झुलसा रखा है। अब मौसम विज्ञानी फिर से वर्षा के योग बता रहे हैं। 11 जुलाई तक कई क्षेत्रों में वर्षा होने का अनुमान है।

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    मौसम विज्ञानी पश्चिमी विक्षोभ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन शब्दों का प्रयोग करते हैं।

    हिसार, जागरण संवाददाता। हरियाणा में मानसून की दस्तक हो चुकी है और बारिश को लेकर आजकल हर किसी जगह चर्चा बनी हुई है। कई स्थानों पर अधिक वर्षा की चर्चा तो कहीं पर वर्षा न आने से मौसम विज्ञान विभाग की कटघरे में है। ऐसे में बार-बार मौसम विज्ञानी पश्चिमी विक्षोभ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। मगर आम लोगों को यह जल्दी से समझ नहीं आते तो यहां जान सकते हैं कि पश्चिमी विक्षोभ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन क्या होता है। यह वर्षा करने में किस प्रकार से रोल अदा करते हैं।

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    पश्चिमी विक्षोभ

    पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यरेखा-क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली वह बाह्य- उष्णकटिबंधीय आंधी है जो सर्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भागों में अकस्मात बारिश ले आती है। यह बारिश मानसून की बरसात से भिन्न होती है। बाह्य-उष्णकटिबंधीय आंधियां विश्व में सब जगह होती हैं। इनमें नमी सामान्यतः ऊपरी वायुमंडल तक पहुंच जाती है, जबकि उष्णकटिबंधीय आंधियों में आर्द्रता निचले वायुमंडल में बनी रहती है। भारतीय महाद्वीप में जब ऐसी आंधी हिमालय तक जा पहुंचती है तो नमी कभी-कभी बरसात के रूप में बदल जाती है।

    साइक्लोनिक सर्कुलेशन

    जब भी पश्चिमी विक्षोभ गुजरता है तब हवाओं के एक चक्रवात बन जाता है जिसे साइक्लोनिक सर्कुलेशन कहते हैं। यह सर्कुलेशन हवा व नमी का मिश्रण होता है जो आगे जाकर बारिश करने का काम करता है।

    आज से फिर वर्षा के बन रहे योग, राज्य की तरफ आ सकती है मानसूनी हवाएं

    हरियाणा में दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्र में अभी तक वर्षा नहीं हुई है। ऐसे में किसान से लेकर आम आदमी तक को गर्मी से झुलसा रखा है। अब मौसम विज्ञानी फिर से वर्षा के योग बता रहे हैं। 11 जुलाई तक कई क्षेत्रों में वर्षा होने का अनुमान है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो मानसून टर्फ़ जैसलमेर कोटा, जबलपुर, कलिंगापट्नम से होता हुआ बंगाल की खाड़ी तक बना हुआ है जिससे बंगाल की खाड़ी की तरफ से मानसूनी हवाएं आने तथा दक्षिण पश्चिमी राजस्थान पर एक साईक्लोनिक सरकुलेशन बनने से अरब सागर की तरफ से नमी वाली हवाएं राज्य की तरफ आने की संभावना से 9 जुलाई रात्रि से 11 जुलाई  के दौरान  तेज हवाओं व गरजचमक के साथ राज्य के ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश की संभावना बन रही है। इस दौरान कुछ एक स्थानों पर तेज बारिश होने की भी संभावना है।