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    संघर्ष की महाभारत में हम कमजोर न हों उसके लिए भगवत गीता पढ़ें : ज्ञानानंद महाराज

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 22 Nov 2021 08:43 PM (IST)

    सभी के जीवन में किसी न किसी रूप में संघर्ष रहता है।

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    संघर्ष की महाभारत में हम कमजोर न हों उसके लिए भगवत गीता पढ़ें : ज्ञानानंद महाराज

    जागरण संवाददाता, हिसार : सभी के जीवन में किसी न किसी रूप में संघर्ष रहता है। केवल कारण, परिस्थितियां व समय अलग-अलग हो सकता है, लेकिन संघर्ष अवश्य होता है। उस संघर्ष में हम कमजोर न पड़ जाए इसके लिए हमें गीता में बताए ज्ञान की तरह आचरण करना चाहिए। हम हर संघर्ष में जीत जाएंगे। श्रद्धालुओं को यह प्रवचन स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने सेक्टर-14 के पंजाबी भवन में आयोजित दिव्य गीता सत्संग में दिए। श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति एवं जीओ गीता की ओर से पंजाबी भवन में तीन दिवसीय दिव्य गीता सत्संग का आयोजन हो रहा है। जो 22 से 24 नवंबर 2021 तक होगा। जिसमें स्वामी ज्ञानानंद महाराज श्रद्धालुगणों को भगवत गीता में दिए उपदेशों के ज्ञान से जीवन जीने की कला सिखाएंगे। साथ ही यह ज्ञान जीवन में जीतना सिखाता है।

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    उपदेश नहीं उपचार है गीता

    स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने प्रवचन में कहा कि भगवत गीता उपदेश नहीं उपचार है। श्रीमद्भगवत गीता न केवल धर्म का उपदेश देती है, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाती है। महाभारत के युद्ध के पहले अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। महाभारत के युद्ध में जब पांडवों और कौरवों की सेना आमने सामने होती है तो अर्जुन अपने बंधुओं को देखकर विचलित हो जाते हैं। तब उनके सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण उन्हें उपदेश देते हैं। गीता का वह उपदेश हमें बताता है कि जीवन में किसी भी चुनौती से घबराना नहीं चाहिए। समस्याओं के सामने घुटने नहीं टेकने वाले पात्र का नाम ही अर्जुन है। जब अर्जुन को वनवास मिला तो उसने उसे भी अवसर बनाया। इसलिए जीवन में कोई चुनौती आ जाए तो उससे भयभीत नहीं हो बल्कि उसे अवसर बनाए और प्रयास करे आपको अवश्य जीत हासिल होगी।

    विश्व के सामने मिसाल बना भारत

    स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने प्रवचन में कहा कि दुनिया के साधन संपन्न देश भी कोरोना के सामने घुटने टेक गए। जब कोरोना बढ़ा तो यूरोप व अमेरिका सर्वाधिक मौतें हुई। जबकि हमारे भारत में हमने ऐसे ऐसे केस भी देखे जहां मरीज की हालत देखकर चिकित्सक मौन हो गए लेकिन उन्होंने भगवत गीता के ज्ञान को जीवन में आचरण करते हुए हिम्मत नहीं छोड़ी अपना मनोबल बढ़ाए रखा और ठीक होने की उम्मीद बनाए रखी। वे मरीज ठीक हुए। वहीं ऐसे भी मरीज थे जो अधिक बीमार नहीं थे, लेकिन कोरोना होते ही अपना मनोबल खो बैठे। डर के कारण नकारात्मकता बढ़ने लगी और घटना घट गई। इसलिए जीवन में मनोबल बढ़ाने और संघर्ष से जीत हासिल करने का ज्ञान हमें भगवत गीता से ही मिलता है उसके ज्ञान को जीवन में अपनाए और जीत हासिल करें।

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