ट्रांसपोर्टर हड़ताल से महंगी हुईं सब्जियां व फल, आज से दूध और गैस की सप्लाई भी राेकी
ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से हरियाणा में सब्जियां और फल महंगे हो गए हैं। हड़ताली ट्रांसपोर्टरों ने आज से दूध, सब्जियों, फलों और गैस की सप्लाई बंद कर दी है।
जेएनएन, हिसार। पेट्रोल-डीजल सस्ता करने और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने सहित विभिन्न मांगों को लेकर चल रही ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का अब अाम लाेगों पर असर पडने लगा है। हड़ताल के कारण औद्योगिक इकाइयों की स्थिति चरमरा गई है, वहीं आम आदमी पर भी सीधा असर दिखने लगा है। हड़ताल के कारण सब्जियों व फलों की आवक कम होने से इनके रेट आसमान छूने लगे हैं। ट्रांसपोर्टरों ने बुधवार से सब्जियों, फलों के संग दूध व गैस की आपूर्ति बंद कर दी है।
हड़ताल के कारण हरियाणा के विभिन्न जिलों में फल और सब्जियां महंगी हो गई हैं। दूसरी ओर, दवा कारोबारी जरूरी दवाइयां कोरियर के माध्यम से मंगा रहे हैं। पिछले कई दिनों से हरियाणा की मंडियों में दूसरे राज्यों से बहुत कम सब्जियों की आवक हुई पर असली परेशानी अब शुरू हुइ है।
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हड़तालियों ने बुधवार से दूध, सब्जी, फल और गैस जैसी जरूरी सेवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया है और उन्होंने बहादुरगढ़ को पूरी तरह सील करने की तैयारी की है। हड़ताली ट्रांसपोर्टरों ने बाहर की गाडिय़ों को रोकने के लिए बहादुरगढ़ में छह स्थान तय किए गए हैं। यहां कुल 19 यूनियनों की बैठक करके तय स्थानों पर हड़तालियों की की ड्यूटी लगाई गई है।
पिछले छह दिन से चल रही हड़ताल को लेकर ट्रांसपोर्ट यूनियनें अब उग्र हो रही हैं। अकेले बहादुरगढ़ में ही 19 यूनियनों ने दिल्ली के अलावा प्रदेश के दूसरे मार्गों से आने वाले सभी रास्तों पर माल ढुलाई पूरी तरह रोकने का एेलान कर दिया।
महंगी होने लगीं सब्जियां
नई सब्जी मंडी के आढ़तियों ने बताया कि मंडी में हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से सब्जियों की आवक होती है। ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के कारण मंगलवार को मंडी में सब्जियों की आवक कम हुई। हिमाचल से रोजाना 20 टन आने वाली टमाटर की आवक केवल पांच टन ही हुई। इसका असर फल और सब्जियों के दाम पर दिखा। सेब और टमाटर जैसे फल और सब्जियां की कीमत एकाएक बढ़ गईं। 21 जुलाई को जो हिमसोना टमाटर थोक में करीब 25 रुपये किलो था, अब 45 रुपये किलो भी बड़ी मुश्किल से मिल पा रहा है।
रोजाना निकलती हैं पांच सौ गाडिय़ां
बहादुरगढ़ में छोटे-बड़े मिलाकर करीब पांच हजार उद्योग हैं। इनमें से रोजाना 500 गाडिय़ां माल लेकर निकलती हैं और इतनी ही गाडिय़ां कच्चा व दूसरा माल लेकर बाहर के क्षेत्रों से यहां पर आती हैं। मगर चार दिन से सब कुछ ठप है।
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'' पांच दिनों में हड़ताल में अकेले बहादुरगढ़ में करीब 600 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो चुका है। हड़ताल लंबी चली तो नुकसान की कोई सीमा नही रहेगी। अब सरकार के स्तर पर ही कोई हल निकल सकता है।
- नरेंद्र छिकारा, वरिष्ठ उप प्रधान, चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज बहादुरगढ़।
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''दूसरे शहरों से आने वाली दवाओं की सप्लाई नहीं आ रही है। अभी स्टॉक है जिस कारण कारोबार पर अभी कोई असर नहीं है और दवाओं की भी कोई कमी नहीं है। जरूरी दवाओं को कोरियर के माध्यम से मंगाया जा रहा है।
- महेंद्र सिंह चावला, प्रधान रोहतक जिला केमिस्ट एसोसिएशन।
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'' ट्रक नहीं मिलने के कारण दूसरे राज्यों से हो रही सब्जियों की आवक मंगलवार को कम हुई। अगर हड़ताल कुछ दिनों तक और चली तो दूसरे राज्यों से सब्जियों की आवक बंद हो जाएगी, जिसका असर आम लोगों पर भी पड़ेगा।
- सोनू छाबड़ा, प्रधान आढ़ती एसोसिएशन, नई सब्जी मंडी रोहतक।
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'' मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी। यूनियन राष्ट्रीय स्तर पर सरकार से वार्ता कर रही है। अब सरकार के हाथ में है कि वह स्थिति को कैसे हैंडल करती है।
- मंजीत, प्रधान, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन रोहतक।
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'' ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से पंप मालिकों की सेल आधी से भी कम हो गई है। सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द उचित कदम उठाने होंगे नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
- दिनेश गोयल, प्रदेशाध्यक्ष, ऑल पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन।
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ट्रांसपोर्टरों की ये हैं मुख्य मांगें
-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए।
-टोल संग्रह प्रणाली से राहत दी जाए।
- अधिक बीमा प्रीमियम और थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम पर जीएसटी से छूट दी जाए।