Tokyo Olympics: बजरंग पूनिया की जीत के लिए मां ने रखा व्रत, पिता बोले- बेटा लाएगा मेडल
Tokyo Olympics में बजरंग पूनिया आज कांस्य पदक के लिए भिड़ेंगे। झज्जर से टोक्यो गए वे पांचवें खिलाड़ी हैं। बाकी चार खिलाड़ी पद नहीं ला सके। इधर पिता को पूरी उम्मीद है कि बजरंग गोल्ड लेकर ही लौटेंगे। उनकी मां ने शिवरात्रि का व्रत भी रखा है।
जागरण संवाददाता, झज्जर। पहलवान बजरंग पूनिया थोड़ी देर में टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक के लिए भिड़ेंगे। उनकी विजय के लिए उनकी मां ने शिवरात्रि का व्रत रखा है। वहीं, पिता भी बजरंग की जीत पर आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि बेटा देश के लिए मेडल जरूर लाएगा।
बजरंग पूनिया को कुश्ती का ककहरा सिखाने वाले पिता बलवान पूनिया को पूरा विश्वास है कि बजरंग कांस्य जरूर जीतेंगे। उनक कहना है कि खेल में हार-जीत लगी रहती हैं। दरअसल, मैच में हार जीत के लिए खिलाड़ी के खेल, विधा, मानसिक मजबूती के साथ उसका दिन होना भी बहुत जरूरी हैं। सेमिफाइनल में बजरंग ने वापसी का पूरा प्रयास किया। लेकिन, सफल नहीं हो पाए। हां, इससे पहले के दोनों मैच में उनका प्रदर्शन शानदार रहा।
क्वार्टर फाइनल मैच में जीत के दांव को लेकर पिता बलवान पूनिया से हुई बात में उन्होंने कहा कि टैम में पट्टे काढ़ कै बजरंग ने दूसरा पहलवान पटक के मारा। मौका ही नहीं दिया आगले तै। हालांकि, सेमिफाइनल में होने वाले मुकाबले में बजरंग के प्रदर्शन को लेकर भी वह काफी आश्वस्त थे। जबकि, सफल नहीं हो पाने पर कुछ निराश भी हुए। पिता के त्याग और भाई हरेंद्र के समर्पण के दम पर बजरंग ने खेल में यह मुकाम हासिल किया है। जिसके बूते आज देश उनसे पदक की उम्मीद लगाए हैं। अभी भी बजरंग से कांस्य पदक की उम्मीद शेष है। इधर, बजरंग की मां ने भी बेटे की जीत की कामना के लिए शिवरात्रि का व्रत रखा हुआ है।
दमखम से जीतते हैं, लेग डिफेंस रहा समस्या
रिकॉर्ड की बात करें तो बजरंग पूनिया पिछले दस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पदक जीतने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने छह स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य जीता। अपने दमखम के आधार पर जीतने वाले बजरंग के लिए ‘लेग डिफेंस’ समस्या रहा है। लेकिन, उन्होंने इस पर मेहनत की है। जिसका परिणाम आज यहां पर क्वार्टर फाइनल के मुकाबले में देखने को मिला हैं। विदेशी कोच के साथ बजरंग ने विशेष पर लेग डिफेंस और स्टेमिना पर काम किया है।
झज्जर को पदक की आखिरी उम्मीद बजरंग से
टोक्यो ओलिंपिक में बजरंग पूनिया ने दो मैच जीतने के बाद जब सेमिफाइनल में प्रवेश किया तो ऐसा लगा कि वह अपने खेल के अुनुरूप प्रदर्शन करेंगे। लेकिन, संयोगवश दिन प्रतिद्वंदी खिलाड़ी के नाम रहा। बजरंग सफल नहीं हो पाए। वह मैच में लय बरकरार नहीं रख पाए। हालांकि, अभी कांस्य पदक के लिए मौका शेष है। झज्जर से बजरंग पूनिया सहित कुल पांच खिलाड़ी ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने टोक्यो गए थे। इनमें मनु भाकर, सुमित नागल, दीपक पूनिया और राहुल रोहिल्ला देश को पदक नहीं दिला पाए। अब पदक की आखिरी उम्मीद बजरंग पूनिया से है।
सात साल पहले सोनीपत चला गया था परिवार
बजरंग पूनिया ने 65 किग्रा फ्रीस्टाइल के क्वार्टर फाइनल में इरान के मोर्तेजा चेका को 2-1 से हराकर सेमीफाइनल में अपना स्थान सुनिश्चित किया। इसके आधार पर ही उन्हें कांस्य पदक के मुकाबले में स्थान मिला है। बता दें कि झज्जर के गांव खुड्डन निवासी बजरंग का परिवार करीब सात साल पहले सोनीपत चला गया था, ताकि बजरंग बेहतर तरीके से अभ्यास कर सकें। वहां पर जाने के बाद उन्हें अपने गुरु योगेश्वर दत्त का भी आशीर्वाद मिला।
समर्थकों में उत्साह, बजरंग के आखिरी मैच पर टिकी नजर
टोक्यो में हो रहे ओलिंपिक में प्रतिनिधित्व की बात करें तो कुल 31 खिलाड़ी हरियाणा से संबंध रखते हैं। जबकि, इन 31 खिलाड़ियों में से पांच जिला झज्जर से हैं। टेनिस स्टार सुमित नागल, गोल्डन गर्ल मनु भाकर, पहलवान दीपक पूनिया और राहुल रोहिल्ला उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए। अब आखिरी उम्मीदें बजरंग पूनिया पर टिकी है। बजरंग के मेडल जीतने के साथ झज्जर का नाम भी विश्व भर में एक अलग पहचान प्राप्त कर लेगा।
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