एचएयू के तीन छात्र कल जाएंगे आस्ट्रेलिया, वहां की मधुमक्खी के शहद पर करेंगे शोध
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के तीन विद्यार्थी आस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में ड्यूल डिग्री प्रोग्राम के तहत पीएचडी डिग्री ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के तीन विद्यार्थी आस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में ड्यूल डिग्री प्रोग्राम के तहत पीएचडी डिग्री के लिए शोध करेंगे। चुने गए इन विद्यार्थियों में खाद्य और पोषण विभाग की मंतव्या बिश्नोई, कीट विज्ञान विभाग की सिधु और मृदा विज्ञान विभाग के चरण सिंह शामिल हैं। ये विद्यार्थी ड्यूल डिग्री प्रोग्राम के तहत एचएयू में अपना पाठ्यक्रम पूरा कर चुके हैं। इन विद्यार्थियों को वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी की ओर से संपूर्ण ट्यूशन फीस में छूट के साथ ही सालाना 30,000 आस्ट्रेलियन डालर की छात्रवृत्ति दी गई है। ये विद्यार्थी चार अप्रैल को आस्ट्रेलिया के लिए रवाना होंगे। छात्र चरण सिंह वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में डा. ऊफे नीलसन के मार्गदर्शन में बैक्टीरिया आइसोलेट्स पर काम करेंगे और पौधों को अधिक पोषक तत्व प्रदान करने और सूखे के तनाव को कम करने में उनकी भूमिका का पता लगाएंगे। इस अनुसंधान को भारतीय परिदृश्य में भी दोहराया जाएगा। छात्रा मंतव्या बिश्नोई वहां के वैज्ञानिक डा. विजय जयसेना के मार्गदर्शन में आस्ट्रेलियन मधुमक्खी के शहद की गुणवत्ता का विशलेषण करेगी। इस शोध से पता लगेगा कि किस मधुमक्खी का शहद उत्तम गुणवत्ता का है और किस शहद को लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सकता है। विवि के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और विज्ञानियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नवीन तकनीकों में प्रशिक्षित करने के प्रयास में विश्व प्रसिद्ध अनेक विश्वविद्यालयों व शोध संस्थानों के साथ अनुबंध किए हैं। इसी कड़ी में आस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के साथ भी गत वर्ष अनुबंध हुआ था। अब एचएयू के विद्यार्थी लगातार विश्व के शीर्ष वरियता प्राप्त विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जा रहे हैं।
लैंडस्केप फूलों की विविधता का परागणकर्ताओं के प्रदर्शन पर प्रभाव जानेंगे
इसी प्रकार छात्रा सिधु वैज्ञानिक डा. शेली पॉवर के मार्गदर्शन में लैंडस्केप फूलों की विविधता का परागणकर्ताओं के प्रदर्शन पर प्रभाव जानेगी। इस शोध से मधुमक्खियों की कार्य करने की क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा जिससे परागण को बढ़ाकर फसलों के उत्पादन में वृद्धि संभव हो सकेगी। आस्ट्रेलिया प्रस्थान करने से पूर्व विद्यार्थियों ने प्रो. बीआर काम्बोज से भेंट की और उन्हे अंतरराष्ट्रीय मंच पर शोध के लिए अवसर प्रदान करने के लिए उनका आभार जताया। इस दौरान ओएसडी डा. अतुल ढ़ींगड़ा, स्नातकोत्तर अधिष्ठाता डा. केडी शर्मा, इंचार्ज इंटरनेशनल सैल, डा. आशा क्वात्रा और कोआर्डिनेटर डा. दलविदर उपस्थित रहे।

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