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डबवाली में 37 साल पुराना जीप कारोबार, अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की थार को टक्कर देती है मोडिफाइ जीप

पंजाब-हरियाणा के सीमावर्ती कस्बे डबवाली में बनने वाली इस जीप की बात करें तो यह अंतरराष्ट्रीय कंपनी की ओरिजनल थार जीप को टक्कर देती नजर आती है। हालांकि इस जीप उद्योग को अगर सरकार का साथ मिल जाए तो डबवाली को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 01 Sep 2022 10:19 AM (IST)Updated: Thu, 01 Sep 2022 10:19 AM (IST)
एयरकंडीशनर, पावर स्टेयरिंग-ब्रेक, एलइडी लाइटस, चौड़े टायर देते हैं आकर्षक लुक, मोडिफाइ जीप को चाहे कैसा भी दे सकते रूप

डीडी गोयल, डबवाली। डबवाली की मोडिफाइ जीप इंडस्ट्री 37 साल पुरानी है। पालीवुड फिल्मों में थार जीप की इंट्री ने बिजनेस को बढ़ावा दिया। दक्षिण भारत के लोग रूबरू हुए तो बालीवुड एक्टरों ने जीप खरीदी। अब यह जीप विदेशों तक फेमस है। पंजाबी गीतों में डबवाली की बनी जीप की तूती बोलती है। पंजाब-हरियाणा के सीमावर्ती कस्बे डबवाली में बनने वाली इस जीप की बात करें तो यह अंतरराष्ट्रीय कंपनी की ओरिजनल थार जीप को टक्कर देती नजर आती है। हालांकि इस जीप उद्योग को अगर सरकार का साथ मिल जाए तो डबवाली को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है इसके साथ ही लोगों के कारोबार में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

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जीप कारोबारी राजेश जैन बताते हैं कि वर्ष 1990-95 के दौर में महज 70 हजार रुपये में जीप तैयार हो जाती है। अधिकतर जमीदार इसे शौक या फिर खेत में पहुंचने के लिए प्रयोग करते थे। मध्यमवर्गीय जमींदार परिवार जीप को विवाह-शादी में गिफ्ट के तौर पर भी देते थे। तब तक साधारण जीप तैयार होती थी। जमाने के साथ जीप का लुक बदल गया। अब जीप में कार की तरह पावर स्टेयरिंग, पावर ब्रेक, एसी, चाइनिज या एलइडी लाइटस, चौड़े टायर आदि सुविधाएं जोड़ दी गई हैं।

इसके अतिरिक्त एक ही जीप को आप ओपन या क्लोजप बनाकर चला सकते हैं। इतनी सारी खूबियों वाली थार कही जाने वाली यह जीप महज साढ़े चार से पांच लाख रुपये में मिल जाती है। वहीं अलग-अलग रंगों में उपलब्ध होने लगी है। जीप कारोबारी बताते हैं कि मेटेलिक रंग के वाहन खूब बिकते हैं। अब इस रंग की जीप भी आ गई है।

----1985 में शुरु हुआ था कारोबार

डबवाली में मोडिफाइ जीप का कारोबार करीब 37 साल पुराना बताया जाता है। जीप कारोबार को लेकर आए थे सिरसा जिले के गांव ख्योवाली के महावीर सिंह श्योराण। महाबीर सिंह पेशे से ऑटो मोबाइल इंजीनियर थे। उन्होंने वर्ष 1980 में श्री गंगानगर (राजस्थान) में जीप को मोडिफाइल करके बेचने का काम शुरु किया था। श्री गंगानगर के बाजार ने जीप को मोडिफाइ करने के मामले में काफी तरक्की की। पांच साल काम करने के बाद श्योराण अपनी वर्कशॉप के मैकेनिकों को लेकर डबवाली आ गए। डबवाली में 1985 में उन्होंने वर्कशॉप खोली, जिसमें उन्होंने मोडिफाई जीप तैयार की।

----1990 में हो गए थे काफी कारोबारी

महावीर सेना व पुलिस के कंडम वाहनों को नीलामी पर लेकर आए थे। वर्ष 1990 के दशक में डबवाली में अनेक लोग उस कारोबार से जुड़े। हरियाणा के अलावा पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश व पश्चिमी बंगाल से लोग ऐसी जीप खरीदने के लिए आते थे। वर्ष 2000 के समय जीप का कारोबार इतना फैला कि डबवाली के सिरसा रोड पर कई शोरूम खुल गए। कई लोगों ने महाबीर सिंह के इस कारोबार को अपना फैमिली बिजनेस भी बना लिया। वर्कशॉप में जीप को मोडिफाइ किया जाता और फिर शोरूम में उसको तैयार कर बेच दिया जाता।

----सैंकड़ों वर्कशॉप कारोबार से जुड़ी हैं

डबवाली में सैंकड़ों वर्कशॉप मोडिफाई जीप कारोबार से जुड़ी हुई हैं। इन दुकानों पर हजारों की संख्या में मिस्त्री, डेंटर, पेंटर, ऑर्ट वर्क, हुड तैयार करने वाले और स्पेयर पार्ट्स वाले लोग अपना रोजगार चला रहे हैं। 20 अगस्त 2006 में डबवाली को जीप बाजार में नई दिशा व पहचान देने वाले इंजीनियर महाबीर सिंह इस दुनिया को छोड़कर चले गए। आज भी डबवाली शहर के जीप बाजार में इंजीनियर महाबीर सिंह श्योराण का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। जीप बाजार से जुड़े लोगों का कहना है कि महाबीर सिंह डबवाली को एक पहचान देकर गए। आज उनकी सोच के बल पर ही हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

----यूं बदलता गया लुक

वर्ष बदलाव

1980-90 साधारण जीप

2008-10 चौड़े टायर हो गए, एलइडी लाइट

2015-16 पावर स्टेयरिंग, पावर ब्रेक की सुविधा

2020-22 जीप में दोनों सुविधा (बंद और ओपन)


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