गौरवशाली है रोहनात का इतिहास, 1857 में अंग्रेजों के छुडाए थे छक्के
गांव रोहनात का इतिहास बड़ा गौरवशाली रहा है। यहां के ग्रामीणों ने 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जमकर अंग्रेजों से लोहा लिया
By manoj kumarEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 05:20 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 04:35 PM (IST)
जेएनएन, बवानीखेड़ा। गांव रोहनात का इतिहास बड़ा गौरवशाली रहा है। यहां के ग्रामीणों ने 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जमकर अंग्रेजों से लोहा लिया और इसी के चलते अंग्रेजों ने भी यहां के ग्रामीणों पर भारी जुल्म ढहाए और गांव कों तोप से उड़ा दिया। इसके साथ-साथ शेष बेच ग्रामीणों को अंग्रेजों ने गांव से उठाकर हांसी स्थित एक सड़क पर रोड रोलर से कुचल लिया।
ये रास्ता है लाल सड़क के नाम से है मशहूर
इस सड़क को आज भी हांसी की लाल सड़क के नाम से जाना जाता है। गांव के गौरवमयी इतिहास की गवाई वर्षाें पूर्व से डाब जोहड़ के किनारे खड़े बरगद का पेड़ व कुआं दे रहा है। अंग्रेजों से लोहा लेने की सजा आज भी ग्रामीण भुगत रहे हैं क्योंकि अंग्रेजों ने यहां के ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि नीलाम कर दी थी, लेकिन अभी तक ग्रामीणों के नाम पर यह जमीन नहीं हो पाई है।
ग्रामीणों ने नहीं मनाया आजादी का जश्न
इसी के चलते ग्रामीण आपने आप को देश की आजादी के बाद भी गुलाम महसूस कर रहे थे और उन्होंने कभी भी आजादी का जश्न नहीं मनाया था, लेकिन 23 मार्च को शहीदी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल गांव में पहुंचे और उन्होंने गांव के एक बुजुर्ग के हाथों राष्ट्रीय ध्वज फहराकर यहां पर ग्रामीणों के साथ आजादी के जश्न मनाने की शुरुआत की थी।
बहादुरी से लडे थे ग्रामीण
गांव की महिला सरपंच रिनू देवी ने बताया कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां के ग्रामीणों ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया और वे बड़ी बहादुरी के साथ आजादी के लिए अंग्रेजों से भिड़े। इसी वजह से अंग्रेजों ने जरनल कोर्टलैंड की अगुआई में गांव रोहनात पर तोपें के गोले दाग कर गांव को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने बताया कि इस हमले के बाद शेष बचे ग्रामीणों को अंग्रेज पकड़ कर हांसी ले गए ओर उन्हें रोड रोलर से कुचल दिया। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने महिलाओं पर भी काफी जुल्म ढहाए। महिलाएं अंग्रेजों से आबरू बचाने के लिए स्वयं डाब जोहड़ के किनारे स्थित कुएं में कूदकर अपने-आप को खत्म कर दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने बचे ग्रामीणों को बरगद के पेड़ पर फांसी से भी लटका दिया।
ग्रामीण झुके नहीं तो अंग्रेजों ने नीलाम कर दी थी जमीनें
सरपंच ने बताया कि अंग्रेजों ने ग्रामीणों के आंदोलन का बदला लेने के लिए उनकी कृषि योग्य भूमि भी नीलाम कर दी। उन्होंने बताया कि भूमि नीलाम होने के बाद अंग्रेजों ने गांव में अधिकारी भेजे और उनसे इस बारे में माफी मांगने के लिए कहा, लेकिन ग्रामीणों ने माफी नहीं मांगी। इसके चलते उनकी जमीन पूरी तरह से नीलाम कर दी गई। उन्होंने बताया कि इसी के चलते आज तक ग्रामीणों के नाम जमीन नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि गांव के बिरहड़ बैरागी को तोप से बांधकर अंग्रेजों ने उड़ा दिया। इसके साथ-साथ नौंदा जाट रुपा खाती समेत अनेक ग्रामीण शहीद हो गए।
जल्द होनी चाहिए घोषणाओं पर कार्रवाई
गांव की सरपंच रिनू देवी ने कहा कि सरकार द्वारा गांव रोहनात की प्रेरणादायक वीर गाथा को आगामी शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने से यहां के ग्रामीणों की गौरवगाथा से पूरे प्रदेश के छात्रों को जानकारी हासिल हो पाएगी। यह ग्रामीणों के लिए गौरवशाली बात है। मुख्यमंत्री द्वारा घोषित की गई अन्य घोषणाओं पर जल्द ही कार्रवाई अमल में लाई जाए ताकि यहां के लोगों को पूरा लाभ मिल सके।
ये रास्ता है लाल सड़क के नाम से है मशहूर
इस सड़क को आज भी हांसी की लाल सड़क के नाम से जाना जाता है। गांव के गौरवमयी इतिहास की गवाई वर्षाें पूर्व से डाब जोहड़ के किनारे खड़े बरगद का पेड़ व कुआं दे रहा है। अंग्रेजों से लोहा लेने की सजा आज भी ग्रामीण भुगत रहे हैं क्योंकि अंग्रेजों ने यहां के ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि नीलाम कर दी थी, लेकिन अभी तक ग्रामीणों के नाम पर यह जमीन नहीं हो पाई है।
ग्रामीणों ने नहीं मनाया आजादी का जश्न
इसी के चलते ग्रामीण आपने आप को देश की आजादी के बाद भी गुलाम महसूस कर रहे थे और उन्होंने कभी भी आजादी का जश्न नहीं मनाया था, लेकिन 23 मार्च को शहीदी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल गांव में पहुंचे और उन्होंने गांव के एक बुजुर्ग के हाथों राष्ट्रीय ध्वज फहराकर यहां पर ग्रामीणों के साथ आजादी के जश्न मनाने की शुरुआत की थी।
बहादुरी से लडे थे ग्रामीण
गांव की महिला सरपंच रिनू देवी ने बताया कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां के ग्रामीणों ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया और वे बड़ी बहादुरी के साथ आजादी के लिए अंग्रेजों से भिड़े। इसी वजह से अंग्रेजों ने जरनल कोर्टलैंड की अगुआई में गांव रोहनात पर तोपें के गोले दाग कर गांव को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने बताया कि इस हमले के बाद शेष बचे ग्रामीणों को अंग्रेज पकड़ कर हांसी ले गए ओर उन्हें रोड रोलर से कुचल दिया। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने महिलाओं पर भी काफी जुल्म ढहाए। महिलाएं अंग्रेजों से आबरू बचाने के लिए स्वयं डाब जोहड़ के किनारे स्थित कुएं में कूदकर अपने-आप को खत्म कर दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने बचे ग्रामीणों को बरगद के पेड़ पर फांसी से भी लटका दिया।
ग्रामीण झुके नहीं तो अंग्रेजों ने नीलाम कर दी थी जमीनें
सरपंच ने बताया कि अंग्रेजों ने ग्रामीणों के आंदोलन का बदला लेने के लिए उनकी कृषि योग्य भूमि भी नीलाम कर दी। उन्होंने बताया कि भूमि नीलाम होने के बाद अंग्रेजों ने गांव में अधिकारी भेजे और उनसे इस बारे में माफी मांगने के लिए कहा, लेकिन ग्रामीणों ने माफी नहीं मांगी। इसके चलते उनकी जमीन पूरी तरह से नीलाम कर दी गई। उन्होंने बताया कि इसी के चलते आज तक ग्रामीणों के नाम जमीन नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि गांव के बिरहड़ बैरागी को तोप से बांधकर अंग्रेजों ने उड़ा दिया। इसके साथ-साथ नौंदा जाट रुपा खाती समेत अनेक ग्रामीण शहीद हो गए।
जल्द होनी चाहिए घोषणाओं पर कार्रवाई
गांव की सरपंच रिनू देवी ने कहा कि सरकार द्वारा गांव रोहनात की प्रेरणादायक वीर गाथा को आगामी शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने से यहां के ग्रामीणों की गौरवगाथा से पूरे प्रदेश के छात्रों को जानकारी हासिल हो पाएगी। यह ग्रामीणों के लिए गौरवशाली बात है। मुख्यमंत्री द्वारा घोषित की गई अन्य घोषणाओं पर जल्द ही कार्रवाई अमल में लाई जाए ताकि यहां के लोगों को पूरा लाभ मिल सके।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें