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    हिसार की प्रथम महिला विधायक स्नेहलता ने लाला शब्द के साथ शाम 4.44 पर जिदगी को कहाअलविदा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 30 Mar 2019 02:03 AM (IST)

    हिसार अपनी जुबान से अंतिम शब्द Þलाला के साथ हिसार की पहली महिला विधायक

    हिसार की प्रथम महिला विधायक स्नेहलता ने लाला शब्द के साथ शाम 4.44 पर जिदगी को कहाअलविदा

    जागरण संवाददाता, हिसार : अपनी जुबान से अंतिम शब्द Þलाला' के साथ हिसार की पहली महिला विधायक ने जिदगी को अलविदा कह दिया। जीवनभर समाज सेवा से जुड़े अपने ससुर जसवंत राय यानि लाला के नाम को पुकारते हुए 97 वर्षीय पूर्व विधायक स्नेहलता ने अंतिम सांस ली। स्नेहलता की इकलौती बेटी डा. भारती ने कहा कि उनकी माता स्नेहलता ने शाम 4.44 पर अंतिम सांस ली। लाला मेरे दादा जी जसवंत राय चूड़ामणी को कहते थे। वे समाज सेवा से जीवन भर जुड़े रहे। मेरी मां भी समाज सेवा करती थीं और उनका सपना था कि मेरे दादा ने समाज सेवा के लिए जो चूड़ामणी ट्रस्ट बनाया है उसे आगे भी समाजसेवा से जुड़ा रहे और उसी जगह वे अंतिम सांस लें। यही मेरी मां का सपना था। उनकी अंतिम इच्छा परमात्मा ने पूरी की और अंतिम क्षण में उनकी जुबान पर मेरे दादाजी का ही नाम आया। 22 घंटे पहले स्नेहलता ने छोड़ दिया था खाना

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    अंतिम क्षण में पूर्व विधायक स्नेहलता के पास मौजूद चिकित्सा स्टाफ ने बताया कि उन्होंने 22 घंटे पहले ही खाना छोड़ दिया था। वीरवार शाम करीब 7 बजे उन्होंने एक चम्मच खिचड़ी खाई थी। उसके बाद शुक्रवार शाम 3 बजे नारियल पानी पिया। उस दौरान वे चूड़ामणी विश्नुदेवी मल्टीस्पेशलिस्ट अस्पताल ट्रस्ट के अंदर अपने निवास पर शुक्रवार सायं 4.44 बजे अंतिम सांस ली। पाकिस्तान के लाहौर से बीए पास स्नेहलता का हिसार पहुंचने का ऐसे रहा सफर

    11 जून 2019 में स्नेहलता का जन्म पाकिस्तान के लाहौर में हुआ। पिता भूपाल सिंह लाहौर के कालेज में आचार्य थे। स्नेहलता ने वहीं से बीए की पढ़ाई की। स्नेहलता के परिवार की उन्हें हमेशा स्पॉर्ट मिलती रही। हिसार के व्यापारी जसवंत चूड़ामणी जो लाहौर में अपना कारोबार करते थे उनके बेटे सेठ महेश चंद्र से स्नेहलता का विवाह हुआ। उस दौरान वे पाकिस्तान में थे। देश के बंटवारे के बाद 26 साल की उम्र में वे हिसार आईं। यहीं से उनका हिसार की धरती से नाता जुड़ा। स्वतंत्रता में परिवार के योगदान के कारण शुरु हुआ राजनीति में सफल

    पूर्व पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी सेठ महेश चंद्र को देश की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने टिकट दी। स्नेहलता की बेटी डा. भारती ने बताया कि मेरे पिता महेश चंद्र स्वतंत्रता सेनानी थे। वे राजनीति में नहीं जाना चाहते थे। वे देश राजनीति से दूर रहकर ही देश सेवा करना चाहते थे। टिकट मिलने पर मेरे पिता ने स्वयं राजनीति से दूर रहते हुए मेरे पिता के कहने पर मेरी माता ने राजनीति में कदम रखा। उन्होंने पहली बार साल 1957 में चुनाव लड़ा और वे विजयी रहीं। मेरी मां तीन बार राजनीति में विजेता रहीं। वे पहली ही बार में विधायक, फिर एमएलसी और साल 1967 में फिर विधायक बनी। इसके बाद उन्होंने फिर चुनाव नहीं लड़ा और समाज सेवा कार्य में ही रहीं। एक दफा उन्होंने बलवंत राय तायल को हराया था। मरने से पहले उन्होंने हवन में लिया था भाग

    पूर्व विधायक की एक बेटी डा. भारती हैं। डा. भारती अपने पति व दो बच्चों के साथ गुरुग्राम में ही रहती हैं। डा. भारती ने कहा कि मेरी मां 97 साल से अधिक उम्र में होते हुए भी शारीरिक रुप से स्वस्थ रहीं। मेरी मां हिसार ही रहना पसंद करती थीं उनकी इच्छा थी कि वे हिसार में ही अंतिम सांस ले। इसलिए जब मेरे पास गुरुग्राम जाती तो अधिक समय नहीं रुकती थी और हिसार आ जाती थीं। 25 मार्च को हमने घर पर हवन करवाया था। मेरी मां हवन में शामिल हुई थी। मेरी मां ने हिसार में ही अंतिम सांस लीं।

    समाज सेवा के क्षेत्र में इस परिवार का सराहनीय योगदान, इन संस्थानों में ट्रस्टी हैं या महत्वपूर्ण योगदान

    . चूड़ामणी अस्पताल : स्नेहलता के ससुर जसवंत सिंह लाहौर में कारोबारी थे। जसवंत सिंह के पिता व माता हिसार में ही रहते थे। भारत-पाक बंटवारे के बाद वे हिसार आए। जसवंत सिंह ने अपने माता-पिता के नाम पर चूड़ामणी अस्पताल ट्रस्ट की शुरूआत की। डा. भारती ने कहा कि मेरी मां का एक ही सपना था कि इस ट्रस्ट को समाज सेवा में हमेशा जिदा रखी। मैं अपनी मां का यह सपना पूरा करूंगी और समाज सेवा करती रहूंगी।

    . सुशीला भवन : पूर्व विधायक स्नेहलता की सास का नाम सुशीला देवी था। उन्हीं के नाम पर सुशीला भवन रखा गया।

    . एफसी कालेज : एफसी कॉलेज को आज इस मुकाम तक लाने में स्नेहलता परिवार का भी योगदान रहा।

    . मेरठ में जसवंत मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल है, जिसमें यह परिवार ट्रस्टी है।

    . ठाकुरदास भार्गव स्कूल, चटर्जी लाइब्रेरी में भी उनका सराहनीय योगदान रहा है। 1967 के बाद नहीं लड़ा चुनाव, राजनीति से संन्यास लेकर समाज सेवा से जुड़ी

    साल 1967 में विधायक बनी। उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद फिर उन्होंने राजनीति छोड़कर समाज सेवा के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने चूड़ामणी ट्रस्ट व सुशीला भवन की बागडोर संभाली। स्नेहलता व उनके परिवार का का राजनीति व सामाजिक रुतबा ऐसा था कि प्रदेश के सभी सीएम व गवर्नर उनके परिवार से मिलने उनके निवास पर आते रहे। यहां तक की वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी साल 2018 में उनसे मुलाकात की। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ भी वे राजनीति में रहीं सक्रिय

    इंदिरा गांधी के साथ भी स्नेहलता राजनीति में सक्रिय रही। उनके इंदिरा गांधी के साथ संबंध के बारे में एक घटना बताते हुए उनकी बेटी डा. भारती ने कहा कि कजन विदेश से इंडिया आए। उन्होंने इंदिरा गांधी से मिलने की इच्छा जाहिर की तो मेरी मां ने इंदिरा जी से मिलने का समय मांगा तो उन्होंने उसी समय उन्हें मिलने के लिये बुलाया और मुलाकात की। मेरी मां को इंदिरा जी स्नेह कहकर पुकारती थी।

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