CJI बनने के बाद पैतृक गांव हिसार आएंगे सूर्यकांत, रामलला जैसा स्वागत की तैयारी में ग्रामीण; फिर मनेगी दीवाली
गांव पेटवाड़ में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत ने देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उनके शपथ ग्रहण समारोह में परिवार और गांव के लोग शामिल हुए। ग्रामीणों ने बताया कि चीफ जस्टिस सूर्यकांत का गांव से गहरा नाता है। वह हर साल गांव आकर युवाओं को प्रेरित करते हैं। ग्रामीणों ने उन्हें नारनौंद में कोर्ट बनाने के लिए मांग पत्र दिया था, जिस पर अब काम शुरू होगा।
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CJI बनने के बाद पैतृक गांव हिसार आएंगे सूर्यकांत। फाइल फोटो
सुनील मान, नारनौंद (हिसार)। गांव पेटवाड़ में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। समारोह में भाग लेने के लिए उनके बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत परिवार सहित दिल्ली पहुंचे हैं। गांव पेटवाड़ के लाल प्रदेश के पहले चीफ जस्टिस बने। चीफ जस्टिस बनने के बाद सूर्यकांत जब पैतृक गांव पेटवाड़ पहुंचेंगे तो ग्रामीण रामलला जैसा स्वागत करने की तैयारी में हैं। एक बार फिर गांव में दीवाली देखने को मिलेगी।
गांव ही नहीं पूरे क्षेत्र के लोग आज खुद को गर्वित महसूस कर रहे हैं कि देश में हमारे प्रदेश की गूंज है। उनका हमेशा से ही गांव की मिट्टी से जुड़ाव रहा है। हर साल गांव में पहुंचकर युवाओं को प्रेरणा देकर उनके भविष्य की मंजिल को पंख लगाकर उड़ान भरने का काम करते हैं। जस्टिस सूर्यकांत अपने पैतृक गांव पेटवाड़ में बचपन की सभी यादें ताजा करके जाते हैं। वह पैतृक घर में भी जाते हैं, जिसमें उनका बचपन गुजरा था।
जिस स्कूल में उन्होंने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की थी, उसको भी हमेशा यादों में रखते हैं। बड़े भाई ऋषिकांत बोले- जस्टिस सूर्यकांत के बड़े भाई मास्टर ऋषिकांत ने बताया कि परिवार के सभी सदस्य शपथ ग्रहण में भाग लेने दिल्ली पहुंच चुके हैं। उनकी मेहनत रंग लाई है। पूरे प्रदेश को उन पर गर्व है। साल में एक बार हमारे परिवार की ट्रस्ट की तरफ से गांव के स्कूल में कार्यक्रम किया जाता है।
उसमें भाग लेने के लिए वह प्रत्येक वर्ष पहुंचते हैं। अगले वर्ष भी उनको पहुंचने के लिए न्योता दिया जाएगा। ये कहना है गांव की सरपंच उर्मिला का- सरपंच उर्मिला ने कहा कि भविष्य में इतनी बड़ी खुशी कभी नहीं मिली। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने प्रदेश का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखने का काम कर दिया।
उनके शपथ ग्रहण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंची हूं। पूरे गांव की तरफ से उनका अभिनंदन किया जाएगा। उनको गांव में आने का न्योता भी दिया जाएगा।
यह कहना है ग्रामीणों का- ग्रामीण सतबीर सिंह, राजेश, लोकेश ने बताया कि जब वो पिछली बार गांव में आए थे तो गांव की पंचायत की तरफ से उनको नारनौंद में कोर्ट बनाने के लिए मांग पत्र दिया था। अब नारनौंद में कोर्ट का काम जनवरी के महीने से शुरू हो जाएगा।
आज पूरा गांव उन पर गर्व कर रहा है। विधायक ने कहा- हमारे प्रदेश के लाल ने रचा इतिहास विधायक जस्सी पेटवाड़ ने बताया कि इतने बड़े पद पर पहुंचना किसी साधारण परिवार के व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता।
उन्होंने मेहनत के बल पर यह काम करके दिखाया है। कोई भी ग्रामीण अंचल का युवा किसी भी बड़े पद तक पहुंच सकता है। इससे युवा प्रेरणा लेंगे, पूरे गांव में खुशी का माहौल है। आज हमारे प्रदेश के लाल ने इतिहास रचने का काम कर दिया है।
पिता मदन लाल थे अध्यापक जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदन लाल शास्त्री अध्यापक थे, इसके साथ-साथ उन्होंने 14 पुस्तक लिखीं। उन्होंने हरियाणवी भाषा में रामायण लिखा, इसके लिए उनको हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से सूरदास पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पंडित लख्मीचंद पुरस्कार से भी वह सम्मानित हो चुके थे।
उनकी मुख्य पुस्तकें नगरी नगरी द्वारे द्वारे, कमल और कीचड़, माटी की महक, यह कैसा हिंदुस्तान है, प्रमुख थीं। हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता बने थे जस्टिस सूर्यकांत 10 फरवरी 1962 को मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए।
उन्होंने गांव के प्राइमरी स्कूल में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और दसवीं कक्षा भी गांव के ही सरकारी स्कूल में पास की। 1981 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हिसार से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1984 में हिसार जिला न्यायालय में वकालत शुरू की।
1985 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत करने के लिए चंडीगढ़ चले गए। सात जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता नियुक्त होने का गौरव इन्होंने प्राप्त किया। मार्च 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।
9 जनवरी 2004 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने। 5 अक्टूबर 2018 से 23 मई 2019 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश पद पर रहे। 24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।

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