Move to Jagran APP

Stubble burning problem: पराली जलाने से रोकने के लिए सिरसा के खैरेका गांव को कृषि विज्ञान केंद्र ने लिया गोद

कृषि विज्ञान केंद्र ने पराली नहीं जलाने देने के लिए खैरेेका गांव को गोद लिया है। गांव में किसी भी किसान को पराली नहीं जलाने दी जाएगी। इसी के साथ दूसरे गांवों के किसानों को भी पराली नहीं जलाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 09:25 AM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 09:25 AM (IST)
Stubble burning problem: पराली जलाने से रोकने के लिए सिरसा के खैरेका गांव को कृषि विज्ञान केंद्र ने लिया गोद
कृषि विज्ञान केंद्र ने पिछले साल पराली जलाने से रोकने के लिए पनिहारी व फरवाई गांव गोद लिया हुआ था।

जागरण संवाददाता, सिरसा। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जाएगा। केंद्र ने पराली नहीं जलाने देने के लिए खैरेेका गांव को गोद लिया है। गांव में किसी भी किसान को पराली नहीं जलाने दी जाएगी। इसी के साथ दूसरे गांवों के किसानों को भी पराली नहीं जलाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। केंद्र ने पिछले साल पनिहारी व फरवाई गांव गोद लिया हुआ था। जिले में धान की 83 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बिजाई की जाती है। धान की फसल कुछ ही समय में पक कर तैयार होने वाली है।

loksabha election banner

गांव में आयोजित होंगे कार्यक्रम

कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा गोद लिये खैरेंका गांव में किसानों को जागरूक करने का कार्य किया जाएगा। गांव में समय समय पर विचार गोष्ठी, सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को पराली नहीं जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देंगे। वहीं किसानों को पराली को भूमि में मिलाने से होने वाले फायदों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसी के साथ किसानों को धान की फसल निकालने के बाद सीधी बिजाई करने बारे में बताया जाएगा। इसी के साथ समय समय पर गांव में जागरूकता प्रर्दशनी का भी आयोजन किया जाएगा।

स्कूलों में आयोजित होंगे कार्यक्रम

गांव खैरेंका के राजकीय व निजी स्कूलों में विद्यार्थियों को भी जागरूक किया जाएगा। विद्यार्थियों को पराली से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण के बारे में बताया जाएगा। जिससे विद्यार्थी अपने अभिभावकों को इस बारे में जागरूक कर सके।

----इस वर्ष गांव खैरेंका को गोद लिया है। गांव में समय समय पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिससे कोई भी किसान पराली न जलाए। पराली जलाने से जहां भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है। इसी के साथ पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है।

डा. देवेंद्र जाखड़, सीनियर कोडिनेटर, कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.