रोहतक पीजीआइ में इलाज न मिलने पर बेटे ने तोड़ा दम, पिता सदमे में मुंह के बल गिरे
पटेल नगर निवासी हन्नी चावला ने पीजीआइ प्रबंधन के खिलाफ इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कोविड नॉन कोविड के फेर में चिकित्सक चक्कर कटाते रहे इलाज ही नहीं किया गया। चिकित्सकों की अनदेखी से 40 वर्षीय भाई की मौत हो गई।

रोहतक, जेएनएन। भाई की तबीयत कुछ दिनों से खराब चल रही थी। पीजीआइ में चिकित्सकों को दिखाने पर दवाई देकर घर भेज दिया। ऐसा तीन-चार दिन चलता रहा। तबीयत बिगड़ने पर पीजीआइ लेकर जाते वहां से दवाई लिखकर घर भेज दिया जाता। 29 अप्रैल को भाई की हालात ज्यादा खराब हो गई। हमें तुरंत इमरजेंसी के सी-ब्लॉक लेकर पहुंचे, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। यहां चिकित्सकों ने कोविड संक्रमण की बात कहते हुए ट्रामा सेंटर जाने को कहा।
हम ट्रामा सेंटर पहुंचे, यहां चिकित्सकों ने जांच के बाद कहा कि कोविड संक्रमित नहीं है, वार्ड-21 लेकर चले जाओ, यहां से हम वार्ड-21 पहुंचे, चिकित्सकों ने इमरजेंसी के रूम नंबर छह में भेज दिया। जैसी ही इमरजेंसी पहुंचे तो चिकित्सकों ने झल्लाते हुए कहा कि बताया था कोविड है ट्रामा सेंटर जाओ, हमने बताया कि ट्रामा से ही भेजा गया है, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। भाई का आक्सीजन लेवल भी कम होता जा रहा था। सुबह करीब छह बजे भाई का निधन हो गया। पटेल नगर निवासी हन्नी चावला ने पीजीआइ प्रबंधन के खिलाफ इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि कोविड, नॉन कोविड के फेर में चिकित्सक चक्कर कटाते रहे, इलाज ही नहीं किया गया। चिकित्सकों की अनदेखी से 40 वर्षीय भाई की मौत हो गई। परिवार की पीड़ा यहीं समाप्त नहीं हुई। बेटे की मौत की खबर पाकर 72 वर्षीय पिता हरनाम दास सदमें में बेहोश होकर मुंह के बल गिर पड़े। चेहरे पर चोट आई, शाम तक गंभीर हो गए, स्वजनों ने बताया कि पीजीआइ की इमरजेंसी में पिता को लेकर गए तो इलाज से ही मना कर दिया गया। उन्हें बताया गया कि कोविड मरीजों के इलाज के चलते पिता का इलाज नहीं किया जाएगा। देर रात तक इमरजेंसी के बाहर हरनाम दास को लेकर स्वजन इलाज के लिए इंतजार करते रहे।
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