NCR में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर तो हरियाणा के कई शहर खतरे के निशान पर, स्माग से लोगों की सांसें फुली
हरियाणा में प्रदूषण से अधिकांश शहरों में स्माग की चादर लोगों को बीमार कर रही है। इस प्रदूषण में सबसे अधिक घातक पीएम 2.5 (पर्टिकुलेट मैटर या कण प्रदूषण ...और पढ़ें

हिसार, जागरण संवाददाता। हरियाणा में प्रदूषण की चादर ने लोगों की सांसें फुला दी हैं। पिछले एक सप्ताह से भी अधिक समय से प्रदेश के कई शहरों की अबोहवा प्रदूषित है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में तो वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) कई स्थानों पर भी 400 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर को भी पार कर गया है। जिसमें फरीदाबाद में 446, गुरुग्राम में 449, जींद में 426, बहादुरगढ़ में 435 माइक्राेग्राम प्रति घन मीटर तक एक्यूआई पहुंच गया, जोकि वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
इन सभी स्थानों पर पीएम 10 व पीएम 2.5 कण प्रदूषण की अधिकता पाई गई। सिर्फ यह नहीं बल्कि हरियाणा के लगभग हर शहर में इसी प्रकार से वायु प्रदूषण का ओरेंज और रेड अलर्ट पर चल रहा है। इसके साथ ही कार्बन मोना आक्साइड गैस की मात्रा भी बढ़ी हुई है। यह वही गैस है जो सीवर में पाई जाती है। इतने प्रदूषण के लिए पराली ही नहीं बल्कि मौसम भी उतना ही जिम्मेदार है जितना की प्रदूषण के कारण हैं।
पीएम 10 व पीएम 2.5 के अधिक होने पर बनता है स्माग
इतने प्रदूषण से अधिकांश शहरों में स्माग की चादर लोगों को बीमार कर रही है। इस प्रदूषण में सबसे अधिक घातक पीएम 2.5 (पर्टिकुलेट मैटर या कण प्रदूषण ) के कण हैं जो निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल, कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ते हैं। जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन आदि की परेशानी देखने को मिलती है। वहीं वातावरण में स्माग जैसी स्थिति हो जाती है।
सर्दी के समय में हवा ठंडी होने के कारण वायु में मौजूद प्रदूषण के करण अधिक ऊपर नहीं उठ पाते हैं तो वातावरण में तैरकर एक परत बना देते हैं जिसे हम स्माग की तरह देखते हैं। वहीं कुछ शहरों में पीएम 10 की अधिकता भी है। पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण सांस लेते समय आपके फेफड़ों में चले जाते हैं जिससे खांसी और अस्थमा के दौरे पढ़ सकते हैं। उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन जाता है, इसके परिणामस्वरूप समय से पहले मृत्यु भी हो सकती है। पीएम 2.5, 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। जबकि पीएम 10 का स्तर 100 से कम ही रहना चाहिए।
वायु प्रदूषण में पराली ही नहीं सभी कारक बराबर के जिम्मेदार
बठिंडा स्थित पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के डीन डा. वीके गर्ग बताते हैं कि वायु प्रदूषण के लिए कोई एक चीज जिम्मेदार नहीं है। सभी का अपना योगदान है। वाहन, पराली से भी यह प्रदूषण हो रहा है। मगर मौसम का रोल भी वायु प्रदूषण काे बढ़ाने में अहम हो जाता है। जब हवा गर्म होती है तो प्रदूषण के कण फैलकर ऊपर आसमान में चले जाते हैं। वहीं सर्दी के दिनों में हवा या हवा में मौजूद प्रदूषण ऊपर नहीं उठ पाते हैं।
अभी हवा नहीं चल रही है इस कारण से स्माग बन रहा है। अगर हवा चले तो यह स्माग छट जाएगा। अगर वर्षा आ जाए तो यह स्माग पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। यह सभी कारण वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। इसमें प्राकृतिक कारणों के साथ पराली वाहन व इंडस्ट्रीज सभी की अपनी हिस्सेदारी है। इस बार पहले की तुलना में पराली कम जल रही है। इसके साथ ही कार्बन मोनो आक्साइड भी वातावरण में कम होनी चाहिए। क्योंकि यह गैस काफी खतरनाक हो सकती है। बुजुर्गों, रोगियों को तो इससे बचाव कराना ही चाहिए।
वायु में अलग अलग प्रदूषण और उनका अधिकतम स्तर
शहर - पीएम 2.5- पीएम 10 - कार्बन मोनो आक्साइड (सीआे)
बहादुरगढ़- 500 - 453- 45
फरीदाबाद- 500- 500- 88
गुरुग्राम- 500- 500- 86
कुरुक्षेत्र- 396- 353- 102
हिसार- 442- 405- 103
2 नवंबर को पराली के मामले
पंजाब- 3634
हरियाणा- 166
उत्तर प्रदेश- 25
राजस्थान- 63
मध्य प्रदेश- 284
पिछले तीन वर्षों में यह थी पराली जलने की स्थिति
2020- 3241
2021- 2606
2022- 2249
नोट-- पराली के दो नवंबर तक की स्थिति।
इन स्थानों पर वीरवार को पराली में आग लगाई गई
जिला- स्थानों पर पराली में लगाई आग
अंबाला- 11
फतेहाबाद- 57
हिसार- 5
जींद- 41
कैथल- 23
करनाल- 8
कुरुक्षेत्र- 1
पलवल- 2
सिरसा- 13
सोनीपत- 2
यमुनानगर- 3
प्रदेश में औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स
अंबाला- 181
बहादुरगढ़- 329
बल्लभगढ़- 310
भिवानी- 219
चरखी दादरी- 212
फरीदाबाद- 346
फतेहाबाद- 276
गुरुग्राम- 310
हिसार- 244
जींद- 320
कुरुक्षेत्र- 220
मानेसर- 299
रोहतक- 207
नोट- एक्यूआई माइक्राे ग्राम प्रति घन मीटर में है।

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