मां की बनाई अनोखी पोटली के सहारे पहाड़ों की चोटियों काे नाप रही हिसार की पर्वतारोही शिवांगी पाठक
शिवांगी कहती हैं मां का प्यार और आशीर्वाद होता है उसके आगे हर चुनौती बोनी साबित होती है। खुद शिवांगी भी कहती हैं कि मेरे साथ हर वक्त मां आरती के दुलार की दो तरह की पोटलियां होती हैं। जोकि पर्वत पार कराने में हर वक्त मेरी साझीदार रहती हैं।

अरुण शर्मा, रोहतक। हिसार की रहने वाली पर्वतारोही शिवांगी पाठक महज 21 साल की उम्र में दुनिया की ऊंची चोटियों को नाप चुकी हैं। शिवांगी का मानना है कि जिनके साथ मां का प्यार और आशीर्वाद होता है उसके आगे हर चुनौती बोनी साबित होती है। खुद शिवांगी भी कहती हैं कि मेरे साथ हर वक्त मां आरती के दुलार की दो तरह की "पोटलियां' होती हैं। जोकि पर्वत पार कराने में हर वक्त मेरी साझीदार रहती हैं।
शिवांगी शाकाहारी हैं। इसलिए पर्वतों पर चढ़ाई पर जाने से पहले मां दो तरह की पोटलियां साथ भेजती हैं। मां एक सूती नए सफेद कपड़े में सौंठ, लहसुन, सौंफ, आठ-दस लौंग, दो मोटी इलायची, चार छोटी इलायची बांधती हैं। इस पोटली को गरम पानी की बोतल में डालकर ही पीती रहती हैं। इससे सर्दी, जुकाम, बुखार, गला खराब नहीं होता। जबकि दूसरी पोटली में मां नीलगिरी का तेल और कपूर बांधकर देती हैं। पहाड़ों पर रात के वक्त सोते समय अपनी नाक के निकट रखकर सोती हैं।
इससे हर श्वास के साथ इस तेल की महक के पहुंचने से आक्सीजन लेवल स्थिर रहता है। इनका यह भी कहना है कि ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ाई के बीच भी इस पोटली को सूंघती रहती हैं। क्योंकि जितनी ऊंचाई पर चढ़ेंगे तब आक्सीजन सिलेंडर भी नाकाफी साबित होने लगता है। तब यह तेल वाली दूसरी पोटली कारगर साबित होती है।
संयुक्त परिवार, सभी का मिल रहा भरपूर सहयोग
शिवांगी कहती हैं कि संयुक्त परिवार है। परिवार में हर किसी का सहयोग और दुलार उन्हें मिलता है। दादी संतोष रिटायर शिक्षिका हैं। पिता राजेश पाठक और चाचा राजकुार व भाई राघव व्यवसाई हैं। साल 2016 में 8848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट को फतेह किया। 2018 में यूरोप की एलब्रूस की चोटी पर तिरंगा फहराया। इसी साल दक्षिण अफ्रीका स्थित किलिमंजारो पर्वत को पार किया। शिवांगी कहती हैं कि मेरे स्वजनों को तो मुझ पर बड़ा नाज है।
जब होटल के कमरे पर तेंदुआ और भेड़ियों ने बोला हमला
शिवांगी कहती हैं कि पर्वत पर चढ़ाई के दौरान कभी डर नहीं लगा। हालांकि एक घटना ऐसी भी रही जब उन्हें डर ने डराया। बीते साल नेपाल के रास्ते माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर रहीं थीं। करीब तीन हजार मीटर की चढ़ाई के बाद रात में एक होटल में ठहरीं। रात में करीब 10 बजे बत्ती गुल होते ही एक तेंदुआ कमरे के दरवाजे पर धक्का मारता रहा। एक घंटे बाद तेंदुआ गया तो करीब आठ-दस भेड़िओं ने कमरा घेर लिया। जब कई घंटे बाद बिजली आई तो वह भागे। इसी तरह एक बार पहाड़ पर चढ़ाई के दौरान वीडियो शूट कर रहीं थीं। इसी दौरान हाथों का ब्लड सर्कुलेशन बंद हो गया। हाथ पूरी तरह से काले पड़ गए। मुश्किल से बोतल से गरम पानी निकाला और हाथों पर डाला। इस बार भी शिवांगी डर गईं।
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