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Shardiya Navratri 2022: मां भीमेश्वरी देवी ने तोड़ा था भीम का अहंकार, मन्नतों को पूरा करती है मां

मां भीमेश्‍वरी देवी का मंदिर नवरात्रों के पर्व पर सजकर तैयार हो चुका है। यहां भक्‍तों की भारी भीड़ रहेगी। वर्ष में दो बार लगने वाले मेले में प्रदेश ही नहीं बल्कि दूरदराज से भी लाखों भक्त पहुंचते हैं। मान्यता है कि मां भीमेश्वरी देवी सबकी कामना पूरी करती है।

By Amit PopliEdited By: Manoj KumarPublished: Sun, 25 Sep 2022 05:36 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 05:36 PM (IST)
Shardiya Navratri 2022: मां भीमेश्वरी देवी ने तोड़ा था भीम का अहंकार, मन्नतों को पूरा करती है मां
झज्‍जर में स्थित मां भीमेश्‍वरी देवी के मंदिर में भक्‍तों की भारी भीड़ लगती है

जागरण संवाददाता, झज्‍जर। झज्‍जर के बेरी में स्थित मां भीमेश्‍वरी देवी का मंदिर नवरात्रों के पर्व पर सजकर तैयार हो चुका है। अब यहां भक्‍तों की भारी भीड़ रहेगी। वर्ष में दो बार लगने वाले मेले में प्रदेश ही नहीं, बल्कि दूरदराज से भी लाखों भक्त पहुंचते हैं। मान्यता है कि मां भीमेश्वरी देवी की अनुकंपा का ऐसा असर है कि सच्चे मन से परिवार की मंगल कामना करने पर पूरी होती है।

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मां भीमेश्वरी देवी ने तोड़ा भीम का अहंकार

बेरी स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पं. पुरुषोत्तम वशिष्ठ बताते हैं कि बेरी कस्बा महाभारत कालीन है। कौरव व पांडवों की कुलदेवी हिंगलाज पर्वत, जो अब पाकिस्तान में है, पर निवास करती थीं। महाभारत युद्ध को देखते हुए कुंती ने भीम को पहले कुलदेवी का आशीर्वाद लेने के लिए कहा। भीम हिंगलाज पर्वत पहुंचे और मां की अराधना आरंभ की।

माता ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए व अराधना का कारण पूछा तो भीम ने महाभारत युद्ध के बारे में बताते हुए साथ चलने की प्रार्थना की। मां इस शर्त पर चलने को तैयार हुई कि रास्ते में कंधे से नीचे नहीं उतारेंगे। मां की प्रतिमा मान भीम अपने कंधे पर विराजमान कर चल पड़े। बेरी पहुंचने पर जंगल में वृक्ष के समीप बाय नामक तालाब के नजदीक भीम को अनायास लघुशंका की इच्छा हुई और उस दौरान मां की शर्त को भूल बैठे।

ऐसे में उन्होंने मां को वहीं रख दिया। लघुशंका से निवृत होकर तालाब में स्नान कर जब मां को अपने कंधे पर विराजमान करना चाहा तो प्रतिमा टस से मस न हुई। मां ने कहा मैंने पहले कहा था कंधे से नीचे जहां उतारोगे, वहीं विराजमान हो जाऊंगी। इसके बाद भीम मां का आशीर्वाद लेकर युद्ध के लिए चले गए। यहीं बना मंदिर भीमेश्वरी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

-----पं. पुरुषोत्तम वशिष्ठ के मुताबिक मां भीमेश्वरी देवी के पावन स्थल पर सच्ची श्रद्धा से आने वाले भक्तों की हर मन्नत पूरी होती है। कोविड के दौर में सभी को प्रशासन के स्तर पर बताए जा रहे नियमों का पालन करते हुए आशीर्वाद लेना चाहिए।


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