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जिन आधुनिक कृषि उपकरणों से खेती करना हुआ आसान, इस कॉलेज में पढ़ इन्हें बनाने का मिलता मुकाम

12वीं का परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद अब विद्यार्थियों के लिए दाखिला प्रमुख लक्ष्य है। जिले के तीन विश्वविद्यालयों और अन्य 22 कालेजों के विभिन्न कोर्सों में विद्यार्थी दाखिला ले सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 04:34 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 04:34 PM (IST)
जिन आधुनिक कृषि उपकरणों से खेती करना हुआ आसान, इस कॉलेज में पढ़ इन्हें बनाने का मिलता मुकाम
जिन आधुनिक कृषि उपकरणों से खेती करना हुआ आसान, इस कॉलेज में पढ़ इन्हें बनाने का मिलता मुकाम

जेएनएन, हिसार : 12वीं का परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद अब विद्यार्थियों के लिए दाखिला प्रमुख लक्ष्य है। जिले के तीन विश्वविद्यालयों और अन्य 22 कालेजों के विभिन्न कोर्सों में विद्यार्थी दाखिला ले सकते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के एग्रीकल्चरल इंजीनिय¨रग कालेज में होने वाले विभिन्न कोर्सों, उनकी पढ़ाई और अवसर के बारे में। इस कालेज से निकलने वाली कई इंजीनियर ट्रैक्टर व अन्य विभिन्न कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनियों में काम कर रहे हैं।

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इस कालेज में आप बन सकते हैं खेती के आधुनिक उपकरणों के इंजीनियर -

एग्रीकल्चर इंजीनियर अपनी इंजीनिय¨रग स्किल की बदौलत कृषि उत्पाद से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने की दिशा में कार्य करते हैं। देश में कृषि के विशाल क्षेत्र को देखते हुए एग्रीकल्चर इंजीनिय¨रग में करियर की बेहतर संभावनाएं हैं। प्रदेश में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का एग्रीकल्चर इंजीनिय¨रग कालेज इस दिशा में प्रमुखता से कार्य कर रहा है। इस कालेज में पांच मुख्य विभाग हैं। फार्म मशीनरी एंव पावर इंजीनिय¨रग विभाग हरियाणा में कृषि मशीनीकरण पर शोध करना और उनको बढ़ावा देना है। वहीं सोयल एंव वाटर इंजीनिय¨रग का कार्य वर्षा जल संचयन और प्रबंधन करना है। प्रोसे¨सग एंव फूड इंजीनिय¨रग विभाग कृषि उत्पादों और खाद्य इंजीनिय¨रग की प्रसंस्करण के क्षेत्र में अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है। वहीं बेसिक इंजीनिय¨रग विभाग में इंजीनिय¨रग सामग्री परीक्षण और संरचनात्मक डिजाइन सुविधा का काम होता है। इसके अलावा रीन्यूएबल एंड बॉयो एनर्जी विभाग गैर-पारंपरिक उर्जा स्त्रोंतों और उनके विकास पर रिसर्च करता है। यह करता है एग्रीकल्चर इंजीनियर

एग्रीकल्चर इंजीनियर का काम कृषि उत्पाद से संबंधित तकनीकी समस्या को दूर करना होता है। वाटर सप्लाई और वाटर इरिगेशन की फील्ड में हाइड्रोलॉजिकल, डेम डिजाइन, कैनाल, पाइपलाइन, पम्प सिस्टम, माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम्स और ड्रेनेज सिस्टम आदि से जुड़े कार्य यही इंजीनियर करते हैं। जबकि एग्रिकल्चर मैकेनाइजेशन के तहत इंजीनियर ट्रैक्टर, अन्य मशीनों की टे¨स्टग, नए मशीन, उपकरण के लिए डिजाइन तैयार करने का कार्य करते हैं। ये हैं अवसर -

एग्रीकल्चर कालेज के डीन डा. आरके झोरड़ ने बताया कि पब्लिक सेक्टर में एग्रीकल्चर डिपॉर्टमेंट, डेवलॅमेंट ऑर्गनाइजेशन, यूनिवर्सिटी/ इंस्टीट्यूट, लैब के अलावा निजी क्षेत्र में एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव, एग्रीकल्चर मैन्युफैक्च¨रग यूनिट्स, फर्टिलाइजर और इरिगेशन कंपनीज, फार्रि्मंग कंपनी, सर्विस ऑर्गनाइजेशन आदि में नौकरी की संभवनाएं हैं।

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बीटेक में हैं कुल 47 सीटें, ऐसे होगा दाखिला -

विश्वविद्यालय के इस कालेज में कुल 47 सीटें हैं, जिनमें से 35 सीटों पर दाखिला हरियाणा तकनीकी शिक्षा विभाग के अनुसार किया जाएगा। वहीं 6 सीटों पर आइसीएआर की ओर से तथा 6 सीटों पर लीट के माध्यम से सीधे द्वितीय वर्ष में दाखिले लिए जाएंगे।


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