Sawan 2024: पांडवों ने की थी सीसवाल में शिवलिंग की स्थापना, दूर-दूर से कांवड़ चढ़ाने आते हैं शिव भक्त, हर मनोकामना होती है पूरी
Sawan 2024 महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव सीसवालिय वनों में भी रहे और माता कुंती ने शिव भक्ति की थी। अपने कुछ समय के प्रवास के दौरान माता कुंती के आदेश पर पांडवों ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी जो वर्तमान में शिव मंदिर में मौजूद है। सावन माह में महादेव की विशेष पूजा होती और शिव भक्त कांवड़ लेकर आते हैं।

संवाद सहयोगी, मंडी आदमपुर। आदमपुर से करीब 10 किलामीटर दूर गांव सीसवाल व मोहब्बतपुर के मध्य स्थित पुरातन ऐतिहासिक शिव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने महाभारत काल के दौरान की थी। पुरातत्व विभाग के पास मंदिर का पिछले करीब 750 सालों का रिकॉर्ड उपलब्ध है।
बताया जाता है कि इससे पूर्व का रिकॉर्ड स्वतंत्रता आंदोलन में जल गया था। करीब पांच हजार 150 साल पहले महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव सीसवालिय वनों में भी रहे और माता कुंती ने शिव भक्ति की थी। अपने कुछ समय के प्रवास के दौरान माता कुंती के आदेश पर पांडवों ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी, जो वर्तमान में शिव मंदिर में मौजूद है।
सावन में महादेव की विशेष पूजा
सोमवार से सावन माह शुरू हो रहा है। सावन माह में महादेव की विशेष पूजा होती और शिव भक्त कांवड़ लेकर आते हैं। यहां पर सीसवाल ही नहीं आसपास के गांवों से भी शिव भक्त कांवड़ चढ़ाने आते हैं। ऐसे में मंदिर में साफ-सफाई से लेकर सजावट की तैयारियां शुरू हो गई है।
सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक सीसवाल धाम
जैन मंदिर कमेटी के प्रधान घीसाराम जैन का दावा है कि यह भारत के सबसे प्राचीन चार मंदिरों में से एक है। अपने दावे का आधार वे केंद्रीय पुरातत्व से विभाग से मिली सूचना को बताते हैं। यह सूचना मंदिर की प्राचीनता व ऐतिहासिकता से जुड़ी बताई गई है।
शिवलिंग की लंबाई करीब चार फीट है और अंदर भी इतनी ही होने का अनुमान है। ऐसे प्राकृतिक एवं असाधारण शिवलिंग कम ही देखने को मिलते हैं। इन तमाम विशिष्टताओं के चलते धार्मिक जगत में अपनी खास पहचान बना चुके इस मंदिर से जुड़े इतिहास को लिपिबद्घ करवाने की मांग शिव भक्त कई बार कर चुके हैं।
हर मनोकामना होती है पूरी
मेला संयोजक राकेश शर्मा ने बताया कि सीसवाल का यह शिवालय अपनी कई विशेषताओं और अद्भूत वातावरण के चलते देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से असीम सुख की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि यहां मन और लगन से पूजा करने पर मनोकामना पूरी होती है। शर्मा ने बताया कि अगर इस तरफ पुरात्तव विभाग सकारात्मक कदम उठाए तो इस प्राचीन शिव नगरी का आध्यात्मिक स्वरूप शिव भक्तों के सामने आ सकेग। साथ ही यह शिवालय धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी सामने आ सकता है।
करोड़ों रुपये की लागत से हो रहा जीर्णोद्धार
पिछले करीब साढ़े चार साल से सीसवाल धाम स्थित शिवालय मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य किया जा रहा है। करोड़ों रुपये की लागत से होने वाले जीर्णोद्धार के बाद यह मंदिर देशभर के लिए आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र होगा।
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